2024 तक दिखेंगे सियासत के कई रंग

नेता मंदिर से लेकर इबादतगाहों तक पहुंचे

  • सबका सपना पीएम हो अपना
  • संसद से लेकर लालकिला तक की कार्यक्रमों के बैनरों में जगह

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं सियासी नजारे परवान चढ़ते जा रहे हैं। कहीं नेता मंदिरों के चक्कर लगा रहे तो कहीं रोजा-इफ्तार पार्टियों में शामिल हो रहे हैं। कुल मिला के सबकी नजर वोटों पर है। हर राजनैैतिक पार्टी अपने-अपने हिसाब से अपनी दशा व दिशा बना रही है। सबकी एक ही मंशा है किसी तरह से आगामी 2024 की लोक सभा चुनाव में सीटों से उनकी झोली भर जाए और वह सत्ता की कुर्सी पर काबिज हो जाएं। नेताओं व सियासी पार्टियों की मेहनत कितना कामयाब हो पाती है ये तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगे।
लोकसभा चुनाव में बस अब एक साल का समय बचा है। ऐसे में सभी पार्टियां एक तरफ अपनी चुनावी तैयारियों में लग गयी हैं तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल विपक्षी नेता लाल किले पर पहुँचने के लिए लालायित हो रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि जनता क्या चाहती है? जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं वैसे-वैसे कई विपक्षी नेताओं को लाल किले के सपने आ रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दावत ए इफ्तार में गये तो वहां बैकग्राउंड में लाल किले का चित्र लगा हुआ था, लाल किले के चित्र के आगे बैठ कर खजूर खाते हुए नीतीश कुमार ने संभवत: वह ख्वाब एक बार फिर देखा जो वह पिछले काफी समय से देखते आ रहे हैं। इसके अलावा पिछले साल दशहरे पर लाल किला मैदान में लव कुश रामलीला के आयोजन में जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहुँचे थे तब उनकी नजर लाल किले की उस प्राचीर को ढूँढ़ रही थी जहां स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव जब दिल्ली में अपनी पार्टी भारत राष्ट्र समिति के कार्यालय का उद्घाटन करने आये थे तो दावा कर गये कि उनकी पार्टी का गुलाबी झंडा एक दिन लाल किले पर भी उड़ान भरेगा। यही नहीं, राहुल गांधी चूंकि लाल किले के अंदर पहुँचने के लिए सबसे ज्यादा मेहनत कर रहे हैं, इसलिए जब उनकी भारत जोड़ो यात्रा ने दिल्ली में प्रवेश किया था तो लाल किले के बाहर खड़े होकर उन्होंने मोदी सरकार को घेरा था।
क्या जनता ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहेगी जिसके राज्य में हिंसा हो रही हो और वह चैन से बैठकर खा रहा हो? क्या जनता ऐसे नेता को प्रधानमंत्री पद पर चाहेगी जो मुफ्त की रेवड़ी की आदत लगाकर सत्ता हासिल करता है और फिर उसके मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाते हैं? क्या जनता ऐसे नेता को प्रधानमंत्री पद पर चाहेगी जो पूरी तरह परिवारवादी हो, बेटे-बेटियों को महत्वपूर्ण पदों से नवाजता हो,। क्या जनता ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर चाहेगी जिसके परिवार के पास ही अधिकांश समय देश की सत्ता रही हो,या जनता ऐसे किसी को पुन: सत्ता देना चाहेगी जो दस साल से शासन में था और उसके कुछ निणर्यों से देश में माहौल बहुत तनाव पूर्ण रहा। बहरहाल, जनता को यह भी देखना होगा कि लाल किले की प्राचीर पर पहुँचने को आतुर विपक्ष के आधा दर्जन नेता कहीं देश को फिर से गठबंधन सरकारों के युग में तो नहीं धकेल देंगे? वही युग जहां प्रधानमंत्री को कोई भी फैसला करने से पहले अपने सभी सहयोगी दलों की मान-मनौव्वल करनी पड़ती है और उनके भ्रष्टाचार पर आंखें मूंदनी पड़ती हैं।

Related Articles

Back to top button