टैरिफ की मार से कपड़ा उद्योग में खलबली, इन शहरों की कई फैक्ट्रियां बंद!

देश के बड़े कपड़ा उद्योग केंद्रों नोएडा, सूरत और तिरुपुर में मुश्किलें बढ़ गई हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बाद इस सेक्टर पर भारी दबाव बन गया है. कुल मिलाकर अब 50 फीसदी तक का टैरिफ हो चुका है, जिससे भारतीय कपड़े महंगे पड़ गए हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करना बेहद मुश्किल हो गया है. इस वजह से कई फैक्ट्रियां कामकाज पूरी तरह बंद करने को मजबूर हो गई हैं.
पीछे छूट रहा भारतीय टेक्सटाइल सेक्टर
भारतीय निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) ने साफ कहा है कि अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी से कपड़ा, चमड़ा, सेरामिक्स, केमिकल, हैंडक्राफ्ट और कालीन जैसे कई उद्योग संकट में हैं. FIEO अध्यक्ष एस.सी. रल्हन के मुताबिक, नोएडा, सूरत और तिरुपुर के कई टेक्सटाइल और एपरल निर्माता बढ़ती लागत की वजह से उत्पादन रोक चुके हैं. उनका कहना है कि इस सेक्टर की प्रतिस्पर्धा वियतनाम और बांग्लादेश जैसे कम लागत वाले देशों से अब बहुत कमजोर हो गई है. ऐसे हालात में भारत का एक्सपोर्ट सेक्टर पिछड़ रहा है, जिससे लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में आ गई हैं.
सीफूड एक्सपोर्ट पर भी संकट
टैरिफ बढ़ने से सिर्फ कपड़ा उद्योग ही नहीं, बल्कि समुद्री उत्पादों जैसे झींगा निर्यात पर भी बुरा असर पड़ा है. अमेरिकी बाजार भारत के सीफूड निर्यात का करीब 40 फीसदी हिस्सा लेता है. FIEO के अनुसार, टैरिफ के कारण स्टोरेज की कमी, सप्लाई चेन में रुकावट और किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इससे न सिर्फ निर्यातकों को नुकसान होगा, बल्कि किसानों और छोटे व्यवसायों तक इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसलिए FIEO ने सरकार से जल्दी कदम उठाने की अपील की है.
सरकार से वित्तीय राहत की मांग
FIEO ने सरकार से आग्रह किया है कि वह तुरंत एक्सपोर्ट क्रेडिट सपोर्ट प्रदान करे और कम ब्याज दर पर उधार देने का प्रबंध करे, ताकि माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) सेक्टर को राहत मिल सके. कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) के चेयरमैन राकेश मेहरा भी सरकार से सहायता की मांग कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि यह संकट सिर्फ निर्यातकों की समस्या नहीं, बल्कि लाखों लोगों के रोजगार और भारत के 2030 तक 100 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य के लिए भी खतरा है. CITI ने सरकार से एक साल के लिए उधार की मूल राशि और ब्याज भुगतान पर moratorium (स्थगन) की भी मांग की है, ताकि उद्योगों को समय मिल सके और वे अपने कदम संभाल सकें.
भारत-अमेरिका बातचीत में समाधान की उम्मीद
FIEO अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने कहा है कि भारत को अमेरिकी सरकार से बातचीत कर इस समस्या का समाधान निकालना होगा. यह कदम जरूरी है ताकि निर्यातकों को बचाया जा सके और भारत की आर्थिक वृद्धि को रफ्तार मिल सके. बिना किसी देरी के नीतिगत फैसले और वित्तीय मदद के अभाव में कपड़ा और अन्य निर्यात उद्योगों की स्थिति और खराब होने की आशंका है.



