महिला आरक्षण विधेयक के मास्टर स्ट्रोक से विपक्षी गठबंधन में बढ़ी हलचल

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए विपक्षी गठबंधन रणनीति बनाने में जुटे हुए थे, लेकिन मोदी सरकार महिला आरक्षण का मास्टरस्ट्रोक चलने की पूरी तैयारी कर ली है. संसद और विधानमंडल में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने वाले बिल को मोदी सरकार ने सोमवार को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है और अब उसे आज संसद में पेश किया जा सकता है. कांग्रेस ने बिना किसी शर्त समर्थन महिला आरक्षण बिल को समर्थन करने का ऐलान कर दिया है, लेकिन सपा, आरजेडी और जेडीयू अभी भी अपने पुराने स्टैंड पर कायम है.
पिछले 27 वर्षों में इस विधेयक को जब कभी संसद में लाया गया, इसके विरोधियों आरजेडी, सपा, जेडीयू जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के सांसदों ने इसका जमकर विरोध किया. उन्होंने केवल इसका विरोध ही नहीं किया बल्कि विधेयक की प्रतियां भी फाड़ दी थीं. सपा, आरजेडी और जेडीयू कोटा में कोटा की मांग करती रही हैं यानि महिला आरक्षण में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं के लिए आरक्षण फिक्स किया जाए. ऐसे में महिला आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस जिस तरह समर्थन में उतरी है, उससे कहीं विपक्षी गठबंधन के घटक दलों के बीच दरार न पड़ जाए?
कांग्रेस का बिना शर्त महिला आरक्षण को समर्थन
महिला आरक्षण कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और उसे अमलीजामा पहनाने के लिए उन्होंने कई प्रयास भी किए हैं, लेकिन गठबंधन धर्म की मजबूरी के चलते उसे साकार नहीं कर सकी. मोदी सरकार के द्वारा महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट से मंजूरी दिए जाने के बाद कांग्रेस ने बिना शर्त समर्थन का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिलने का हम स्वागत करते हैं. रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने इसी सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने की मांग की थी. महिला आरक्षण बिल संसद में लाए जाने के सवाल पर सोनिया गांधी ने कहा कि ये अपना है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी महिला आरक्षण बिल को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान कर दिया है.
महिला आरक्षण पर सपा-जेडीयू का पुराना स्टैंड
समाजवादी पार्टी महिला आरक्षण के मुद्दे पर अपने पुराने स्टैंड पर अभी भी कायम है. सपा के महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि महिला आरक्षण के मुद्दे पर हम विरोध नहीं हैं, लेकिन इसमें ओबीसी, एससी और एसटी का भी आरक्षण चाहते हैं. सपा की सांसद जया प्रदा ने कहा कि महिला आरक्षण के समर्थन में है, लेकिन कोटा में कोटा की व्यवस्था की जानी चाहिए. दलित, ओबीसी, आदिवासी महिलाओं का आरक्षण भी दिया जाना चाहिए.
जेडीयू भी अपने पुराने रुख पर कायम है. जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि महिला आरक्षण बिल संसद में पेश होने के बाद जेडीयू के संसदीय दल के नेता ललन सिंह अपना बयान देंगे. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने साफ शब्दों में कहा कि गठबंधन बदलते रहने के बावजूद महिला आरक्षण पर नीतीश कुमार की पार्टी का स्टैंड नहीं बदला है. केसी त्यागी का कहना है कि जेडीयू कमजोर महिलाओं को आरक्षण दिये जाने की पक्षधर रही है. इस तरह से जेडीयू भी कोटा में कोटा की मांग कर रही है. आरजेडी भी महिला आरक्षण में कोटा में कोटा की मांग उठाती रही है.
महिला आरक्षण में क्यों कोटा में कोटा की मांग
आरजेडी, सपा और जेडीयू के नेता महिलाओं को आरक्षण पर इसीलिए सवाल उठाते रहे हैं कि इसका फायदा कुछ विशेष वर्ग तक सीमित रह जाएगा. देश की दलित, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में कमी हो सकती है. इन नेताओं की मांग है कि महिला आरक्षण के भीतर ही दलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जाए. इसी बात को लेकर सपा, आरजेडी और जेडीयू महिला आरक्षण बिल का विरोध करते रहे हैं. संसद में जब भी महिला आरक्षण बिल को लाने का प्रयास किया गया तो इन दलों के नेताओं ने सिर्फ विरोध ही नहीं किया बल्कि बिल तक फाड़ दिए थे.
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रहते हुए नीतीश कुमार और शरद यादव ने महिला आरक्षण बिल का विरोध किया था. महिला आरक्षण बिल 2010 में मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान पेश किया गया था तो जेडीयू के शरद यादव, आरजेडी के लालू प्रसाद यादव और सपा के मुलायम सिंह यादव (दिवंगत) ने विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई थी. शरद यादव विरोध करते हुए राज्यसभा के वेल में चले गए और बिल फाड़ दिया. उन्होंने कहा कि बाल कटाने और स्टाइल करने वाली महिलाएं गांव की महिलाओं का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकती हैं?
महिला आरक्षण पर फुल कॉफिडेंस में सरकार
मोदी सरकार सोमवार शाम केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में महिला आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सरकार की पूरी कोशिश होगी कि इस विशेष सत्र में ही संसद के दोनों सदनों से इस बिल को पारित कराने की है. इसकी अपनी एक प्रक्रिया है जिसमें दोनों सदनों में दो-तिहाई समर्थन के अलावा आधी विधानसभाओं के सपोर्ट की जरूरत होगी. यह विधेयक एससी/एसटी के लिए उनके मौजूदा हिस्से के अनुपात में सब-कोटा का भी प्रावधान करेगा. पीएम खुद इस बिल को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं, क्योंकि कांग्रेस पूरी तरह से समर्थन में है. बीआरएस भी साथ है. ऐसे में सरकार बहुत ही आसानी से महिला आरक्षण बिल को पास करा लेगी.
गठबंधन में फंस सकता है पेच
महिला आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस ने जिस तरह से समर्थन देने का ऐलान किया है, उसे पर जेडीयू, आरजेडी और सपा अपना एतराज भी जाहिर कर सकती है. मोदी सरकार अगर महिला आरक्षण में एससी-एसटी-ओबीसी का कोटा निर्धारित नहीं करती है और कांग्रेस समर्थन करती है तो उसे लेकर विपक्षी गठबंधन के घटक दल अपनी नाराजगी सिर्फ बीजेपी से ही नहीं बल्कि कांग्रेस से भी होंगे. सपा, आरजेडी और जेडीयू महिला आरक्षण पर इसी मांग को लेकर पिछले तीन दशक से एतराज जताते रहे हैं और इस बिल को पास होने नहीं दिया. अब बीजेपी और कांग्रेस एक होकर बिल पास कराते हैं तो विपक्षी गठबंधन में दरार पड़ सकती है. इसे लेकर विपक्षी गठबंधन के घटक दल कैसे कांग्रेस के साथ तालमेल बना पाएगें?

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