कहीं 2024 में उल्टा न पड़ जाए दांव
छापेमारी को मुद्दा बना सकता है विपक्ष
- भाजपा को घेरने की तैयारी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। जिस तरह से केंद्र की मोदी सरकार विपक्षी नेताओं के यहां ईडी व सीबीआई के छापे डलवा रही है उससे सियासी संग्राम मचना लाजमी था। इस तरह की कार्रवाई पूरे देश में हो रही है। सियासी जानकारों की माने तो आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में इस मुद्दे को विपक्ष पूरे जोर-शोर से उठा सकता है। और इसीके बहाने बीजेपी व मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। अगर विपक्ष की बात जनता को समझ में आ गई तो इसका नुकसान भाजपा को हो सकता है। वहीं भ्रस्टाचार के नाम पर बीजेपी की विपक्ष को बदनाम करने का दांव उल्टा भी पड़ सक ता है। इस तरह की कार्रवाई पर विपक्ष के आठ दलों ने प्रधानमंत्री को लिखी है और जिसमें दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी का विरोध किया गया है।
इस चिट्ठी केंद्र सरकार पर खुला आरोप लगाया गया है कि वह केंद्रीय एजेंसियों जैसे सीबीआई, ईडी, का घोर दुरुपयोग कर रही है। हैरत की बात यह है कि जिन नीतीश कुमार के जनतादल यू की सरकार तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय जनता दल के साथ चल रही है वही एकमत नहीं हैं। बात चलती रहती है कि नीतीश कुमार विपक्ष के प्रधानमंत्री प्रत्याशी भी हो सकते हैं, वही नीतीश अपने गठबंधन के साथी राजद से ही एकमत नहीं हैं।
दरअसल, राजद के अपने दुख हैं। लालू प्रसाद यादव व राबड़ी देवी के घर केंद्रीय एजेंसी की पूछताछ चली। जहां तक तेलंगाना वालों का सवाल है, वहाँ के मुख्यमंत्री की बेटी का नाम दिल्ली के शराब नीति मामले से जुड़ा हुआ है। कांग्रेस भी सिसोदिया मामले में नीतीश कुमार के साथ है। इन दोनों ने प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
विपक्षी दलों के मतभेदों का फायदा सत्तारुढ़ दल को
दरअसल, सरकार और विपक्ष में कोई भी रहा हो, विपक्षी दलों के मतभेदों का फ़ायदा हमेशा सत्तारूढ़ दल उठाता रहा है। कांग्रेस को छोड़ दिया जाए तो जो छोटे विपक्षी दल हैं, उनका राज्यों में अलग-अलग हित होता है। वे पहले अपना राज्य देखते हैं, राष्ट्रीय राजनीति उसके बाद देखी जाती है। हो सकता है कांग्रेस के कुछ मामलों में पहले आप पार्टी साथ नहीं आई होगी, इसलिए सिसोदिया मामले में कांग्रेस ने चिट्ठी का समर्थन नहीं किया। सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ विपक्ष के 9 नेताओं ने प्रधानमंत्री को खत लिखा था। सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ विपक्ष के 9 नेताओं ने प्रधानमंत्री को खत लिखा था। छोटे दलों की लड़ाई राष्ट्रीय पार्टियों की तरह किसी एक दल से नहीं होती। वे कहीं भाजपा के खिलाफ लड़ रहे होते हैं तो कहीं कांग्रेस के खिलाफ। कहीं-कहीं तो इन छोटे-छोटे दलों को एक-दूसरे के खिलाफ ही लडऩा पड़ता है। ऐसे में विपक्षी एकता बिखर जाती है। यही वजह है कि विपक्ष पूरी तरह एक नहीं हो पाता। जहां तक जद यू का सवाल है, वह केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की विपक्ष की बात से तो पूरी तरह सहमत है और केंद्र की भाजपा सरकार को कोसता भी है, लेकिन सिसोदिया मामले में वह विपक्ष की चिट्ठी से सहमत नहीं है। निश्चित ही आप पार्टी और नीतीश कुमार का कोई आपसी मतभेद आड़ा आया होगा।
मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर भी होगा असर
ज़ोर-आज़माइश जारी है और विपक्षी एकता की क़वायद भी। मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों के चुनाव सामने हैं। इनमें विपक्ष कितना एक हो पाएगा और इन चुनावों के बाद 2024 में होने वाले आम चुनावों में विपक्ष का क्या हाल होगा, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन इनकी जितनी और जो कुछ भी एकता है, उसे बिखेरने के पूरे प्रयास भाजपा करती रहेगी।
कांग्रेस का साथ जरूरी है: पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाते हुए कुछ विपक्षी दलों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र पर कांग्रेस और वाम दलों ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। साथ ही, पवार ने कहा कि उन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर के लिए इन राजनीतिक दलों के साथ बातचीत नहीं की थी।
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और आठ अन्य दलों की ओर से लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में महाराष्ट्र में विपक्षी खेमे से पवार और शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे शामिल हैं। पवार ने कहा कि सबसे पहले उन्होंने ही पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री इसका संज्ञान लेंगे। कांग्रेस और वाम दलों द्वारा पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करने और यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने दोनों दलों से बातचीत की थी, पवार ने कहा, कोई बातचीत नहीं हुई थी। उन्होंने कहा, जिन 5-10 लोगों से मैंने उनके हस्ताक्षर के लिए कहा, उनके हस्ताक्षर पत्र पर हैं। जिनसे मैंने हस्ताक्षर करने का अनुरोध नहीं किया, उनके हस्ताक्षर पत्र पर नहीं हैं। विपक्षी दलों के बीच एकता की जरूरत और कांग्रेस की भूमिका के बारे में उनके विचार पूछे जाने पर पवार ने कहा कि विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस का होना जरूरी है। उन्होंने कहा, कांग्रेस देश में एक महत्वपूर्ण पार्टी है। इसकी सफलताओं और असफलताओं को किनारे रख दीजिए, आज पार्टी के कार्यकर्ता हर गांव और प्रत्येक राज्य में है। जिस तरह कांग्रेस महत्वपूर्ण है, उसी तरह (तृणमूल कांग्रेस की) ममता बनर्जी भी अन्य नेताओं के साथ-साथ महत्वपूर्ण हैं। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया व्याख्यान के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि यदि राहुल ने वहां तथ्य रखे थे तो परेशान होने की क्या बात है।