नवंबर में जाएगी मोदी की कुर्सी, INDIA ने चला बड़ा दांव, बड़ा खेल!
नितिन गडकरी के दावे से मोदी की परेशानी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है... चुनावी राज्यों के विधानसभा चुनाव मोदी का भविष्य तय करेंगे... यह सच हैं कि इस साल के आखिर तक होने वाले चुनाव के परिणाम मोदी का तख्ता पलट कर देंगे... देखिए खास रिपोर्ट...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है… ये शेर मुनव्वर राणा का है… जो आज के सियासत का सटीक उदाहरण है… और भारतीय जनता पार्टी में जारी अंतर्कलह को बखूबी बयान कर रहा है… लगातार दो हजार चौदह से देश की सत्ता में बैठे मोदी की आंखों पर काली पट्टी बंध चुकी है… उनको देश की जनता का दुःख दर्द सुनाई और दिखाई नहीं दे रहा है… पिछले दस सालों से लगातार फूट डालो राज करो की नीति पर चलने वाले मोदी की लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिक्सत के बाद से परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है… पार्टी के नेता लगातार मोदी विरोधी बयानबाजी समय-समय पर करते रहते हैं… जिससे बीजेपी और मोदी की परेशानी बढ़ती ही जा रही है… वहीं अब इस तरह की अपने ही नेताओं की बयानवाजी को सुनकर मोदी को दुःख तो जरूर होता ही होगा… और वो खुद से सवाल तो करते ही होंगे की… आखिर मैने जनता के साथ फेरब क्यों किया… आपको बता दें कि मोदी हमेशा विपक्ष पर सवालिया निशान लगाते रहते हैं… लेकिन कभी भी अपने गिरेबान में झांककर नहीं देखा होगा… नहीं आज मोदी के सामने इतनी परेशानी नहीं होती… और जनता का उनको दो हजार चौदह और दो हजार चौबीस की तरह भरपूर समर्थन मिला होता… लेकिन मोदी ने तो सत्ता पाते ही अपना आपा खो दिया… और जनता को दरकिनार करने का काम किया… जनता ने मोदी को दो बार मौका दिया… लेकिन मोदी विचारधारा में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला… जिसको चलते दो हजार चौबीस ते चुनाव में बैसाखी के सहारे आ गए… इसी पर एक शेर याद आ गया सोंचा आपको भी सुनाते चले…
बैसाखी का सहारा लेकर जो आए हैं सत्ता में,
मंज़िल तो दूर.. अब मुश्किलें ही मुश्किलें है राहों में…
वहीं मोदी जैसे बैसाखी के सहारे आए… वैसे ही पार्टी के नेताओं ने एक बाद एक मोदी विरोधी बयान देना शुरू कर दिया… और अपनी दावेदारी पेश करने लगे… बता दें कि ऐसी बयानबाजियां ऐसे समय में हो रही है… जब आने वाले दिनों में दो राज्यों में चुनाव है… वहीं इस तरह की बयानबाजियों को सुनकर अंदाजा लगाया जा सकता है… कि दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव मोदी का भविष्य तय करेंगे.,.. यह सच हैं कि इस साल के आखिर तक होने वाले चुनाव के परिणाम मोदी का तख्ता पलट कर देंगे… और मोदी को इन चुनावी राज्यों के हार का बदला अपने पद को छोड़कर चुकाना पड़ेगा… ऐसा बीजेपी नेताओं के दावो से साफ पता चल रहा है… बीते कुछ दिनों में बीजेपी के बड़े नेताओं की ओर से ख़ुद के शीर्ष पद पर देखे जाने से जुड़े कई बयान दिए गए…. हरियाणा से सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह… और राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री बनने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की…. वहीं पिछले हफ़्ते केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया कि मुझसे किसी नेता ने कहा कि अगर आप प्रधानमंत्री बनते हैं…. तो हम लोग आपको समर्थन करेंगे….. कई बार विपक्षी नेता नितिन गडकरी को बीजेपी के एक ऐसे नेता के रूप में पेश करते रहे हैं…. जिनके पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से संबंध अच्छे नहीं हैं….
आपको बता दें कि चौदह सितंबर दो हजार चौबीस को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत की….. इस कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता…. लेकिन एक बार किसी ने कहा था कि अगर आप प्रधानमंत्री बनने जा रहे हो तो हम आपका समर्थन करेंगे…. गडकरी ने कहा कि मैंने पूछा कि आप मेरा समर्थन क्यों करेंगे और मैं आपका समर्थन क्यों लूं….. प्रधानमंत्री बनना मेरी ज़िंदगी का लक्ष्य नहीं है….. मैं अपने संगठन और प्रतिबद्धता के प्रति ईमानदार हूं…. मैं किसी पद के लिए इससे समझौता नहीं करूंगा…. मेरे लिए मजबूती सर्वोपरि है…. वहीं गडकरी कहते हैं कि कभी न कभी मुझे लगता है कि ये दृढ़ता ही भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताक़त है…. और गडकरी के बारे में कहा जाता है कि वह विपक्षी पार्टियों में भी अच्छी पैठ रखते हैं…. गडकरी अपने संबोधन में करते हैं कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं….. प्रधानमंत्री कहते हैं कि हम मदर ऑफ डेमोक्रेसी हैं…. लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्षी दल होते हैं…. ये कार या ट्रेन के पहियों की तरह अहम होते हैं… और संतुलन ज़रूरी होता है…. हम सौभाग्यशाली हैं कि हम विपक्ष में थे… और अब सरकार में भी हैं….. सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास…. हमारी भावना यही होनी चाहिए….
वहीं नितिन गडकरी के इस बयान पर विपक्षी दलों के नेता अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं…. शिव सेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि नितिन गडकरी जी शीर्ष की कुर्सी के लिए अपनी दिली ख़्वाहिश व्यक्त कर रहे हैं….. वो इसके लिए विपक्षी दलों के बहाने मोदी जी को संदेश भेज रहे हैं…. इंडिया गठबंधन में कई क़ाबिल नेता हैं… जो देश का नेतृत्व कर सकते हैं…. हमें बीजेपी से नेता उधार लेने की ज़रूरत नहीं है…. बढ़िया खेले… नितिन जी….. जानकारी के मुताबिक़, आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने कहा कि बीजेपी में प्रधानमंत्री पद के लिए लड़ाई शुरू हो गई है…. आने वाले महीनों में आपको इसके नतीजे देखने को मिल सकते हैं…. क्या इस बार बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री चुना था… टाइमलाइन चेक कीजिए… एनडीए ने चुना था…. दरअसल दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनावी नतीजे आने के बाद बीजेपी संसदीय दल की बैठक नहीं हुई थी… बल्कि एनडीए की बैठक हुई थी….. बीजेपी की वेबसाइट पर भी दो हजार चौबीस के चुनावी नतीजे आने के बाद बीजेपी संसदीय दल नहीं, एनडीए की बैठक से जुड़ी प्रेस रिलीज़ जारी की गई…. वहीं, दो हजार उन्नीस में तीन सौ तीन सीटें जीतने के बाद चुनावी नतीजों के अगले दिन चौबीस मई को बीजेपी संसदीय दल की बैठक हुई थी न कि एनडीए की बैठक…. संसद के सेंट्रल हॉल में सात जून को नीतीश कुमार ने मोदी को संसदीय दल का नेता बताया था….
बीजेपी के लोकसभा में दो सौ चालीस सांसद हैं…. जेडीयू और टीडीपी के सहारे नरेंद्र मोदी सरकार बनाने और प्रधानमंत्री बनने में सफल रहे…. वहीं अगर मोदी विश्वास प्रस्ताव हारते हैं… तो दूसरे उम्मीदवार की मांग होगी….. ऐसे में नितिन गडकरी उभर सकते हैं…. बता दें कि गडकरी को आगे करने को लेकर बीजेपी… और संघ दोनों में माहौल तैयार होने लगा था…. क्या मोदी की जगह कोई और ले सकता है…. इस सवाल के जवाब में ज़रूरी ये है कि संकट की कोई स्थिति पैदा हो और मोदी विश्वासमत खो दें…. बता दें कि आम बजट में इस बार आंध्र प्रदेश और बिहार को लेकर अलग से एलान किए गए थे…. जानकारों का मानना था कि ये बजट सरकार के सहयोगी दलों को संतुष्ट करने… और सरकार बचाए रखने वाला वाला बजट था…. आपको बता दें कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू नरेंद्र मोदी पर ज़्यादा निर्भर हैं न कि मोदी उन पर…. दोनों नेताओं में से कोई एक चला जाए, तब भी मोदी पीएम बने रहेंगे…. मोदी ये जानते हैं कि नीतीश, चंद्रबाबू को इंडिया गठबंधन में जाकर कुछ नहीं मिलेगा….. ऐसे में मोदी सरकार बची रहेगी…. वहीं किसी सियासी संकट आने पर पीएम मोदी के विकल्प की स्थिति में गडकरी बीजेपी में भी पसंद किए जाते हैं और संघ में भी….
वहीं ये पहला मौक़ा नहीं है…. जब नितिन गडकरी ने ऐसा कोई बयान दिया हो…. जिससे बीजेपी के अंदर और बाहर चर्चा छिड़ गई हो…. जनवरी दो हजार उन्नीस में मुंबई में गडकरी ने कहा था कि सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं…. पर दिखाए हुए सपने अगर पूरे नहीं किए तो जनता उनकी पिटाई भी करती है…. इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें…. मैं सपने दिखाने वालों में से नहीं हूं…. मैं जो बोलता हूँ, वो सौ फ़ीसदी डंके की चोट पर पूरा होता है….. इंदिरा गांधी की बीजेपी अक्सर आलोचना करती रही है…. वहीं दो हजार उन्नीस में गडकरी ने इंदिरा गांधी की तारीफ़ की थी…. मई दो हजार उन्नीस में गडकरी ने कहा था कि बीजेपी एक वैचारिक पार्टी है…. बीजेपी न कभी सिर्फ़ अटल-आडवाणी की पार्टी थी… और न अब मोदी-शाह की…. वहीं साल दो हजार उन्नीस में लोकसभा की कार्यवाही के दौरान नितिन गडकरी ने कहा था कि ये मेरा सौभाग्य है कि सभी पार्टी के सांसद मानते हैं कि मैंने अच्छा काम किया हैं…. गडकरी के इस बयान पर सोनिया गांधी ने भी अपनी टेबल थपथपाई थी…. और सहमति जताई थी….
आपको बता दें कि साल दो हजार अट्ठारह में सोनिया गांधी ने गडकरी को ख़त लिखा था…. और इस ख़त में रायबरेली में उनके मंत्रालय के काम की तारीफ़ की थी…. मार्च दो हजार बाईस में गडकरी ने कहा था कि एक लोकतंत्र में विपक्षी पार्टी की भूमिका काफ़ी अहम है…. मैं दिल से कामना करता हूं कि कांग्रेस मज़बूत बनी रहे….. आज जो कांग्रेस में हैं, उन्हें पार्टी के लिए प्रतिबद्धता दिखाते हुए पार्टी में बने रहना चाहिए…. उन्हें हार से निराश न होते हुए काम करना जारी रखना चाहिए….. जुलाई दो हजार बाइस में नितिन गडकरी ने कहा था कि अक्सर राजनीति को अलविदा कह देने का मन करता है… क्योंकि लगता है कि राजनीति के अलावा भी जीवन में करने के लिए बहुत कुछ है…. राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने वाले सोचते हैं कि वो जो भी मांग रखें….. उन्हें मान लिया जाए…. ऐसे ही कुछ बयानों के तीन हफ़्ते बाद गडकरी को बीजेपी संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया था…. गडकरी को बीजेपी ने केंद्रीय चुनाव समिति से भी हटा दिया था… जबकि देवेंद्र फडणवीस को शामिल कर लिया गया था…. वहीं दो हजार चौबीस के चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे ने कहा था कि अगर नितिन गडकरी को लगता है कि बीजेपी में उनकी ‘बेइज्ज़ती’ हो रही है…. तो उन्हें हमारे पास आना चाहिए…. हम सुनिश्चित करेंगे कि वो दो हजार चौबीस का चुनाव जीतें….
आपको बता दें कि नितिन गडकरी को आरएसएस के पसंदीदा नेताओं में से एक माना जाता है…. लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह से गडकरी के संबंधों को लेकर कई बातें कही जाती हैं….. बता दें कि जब नितिन गडकरी बीजेपी के अध्यक्ष हुआ करते थे…. तब अमित शाह को अदालत के आदेश के चलते गुजरात राज्य छोड़ना पड़ा…. और गडकरी से मुलाक़ात करने के लिए उन्हें घंटों इंतज़ार करना पड़ता था…. ऐसे में जब पार्टी पर मोदी और शाह का प्रभुत्व बढ़ा तो धीरे-धीरे गडकरी के पर कटने शुरू हो गए….. नितिन गडकरी को दो हजार तेरह के बाद भी बीजेपी का अध्यक्ष बनाए रखने की बात कही गई थी…. इसके लिए पार्टी के संविधान में संशोधन तक किया गया था…. लेकिन उसी दौरान नितिन गडकरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे… और उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था…. इस्तीफ़े के बाद गडकरी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की चर्चा एकदम से बंद हो गई थी…. वहीं गडकरी के इस्तीफ़े के बाद राजनाथ सिंह को पार्टी कमान मिली थी…. और राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में ही नरेंद्र मोदी को दो हजार चौदह के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाया गया था…. जिसको लेकर कहा जाता है कि अगर पार्टी की कमान नितिन गडकरी के पास होती तो नरेंद्र मोदी शायद ही बीजेपी की ओर से पीएम चेहरा बन पाते….