नीतीश समझ गए BJP की मंशा, ‘हनुमान’ को मोहरा बनाकर JDU खत्म करने में लगे मोदी!
बिहार में मौजूदा समय में NDA की सरकार है... नीतीश कुमार बिहार के सीएम है... इस बीच सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार में एनडीए की सरकार है….. नीतीश कुमार वर्तमान में मुख्यमंत्री है….. लेकिन ये गठबंधन बिहार में आने वाले कुछ महीनों में होने वाले चुनाव में साथ मिलकर लड़ेगा….. या नहीं…. ये सवाल अब बहुत तेजी से उठने लगी है….. क्योंकि नीतीश कुमार अब बीजेपी की चाल को समझ गए हैं….. और इसी कारण से नीतीश हर दिन अपनी पार्टी के नेताओं के द्वारा मोदी सरकार से नई- नई मांग करवा रहे हैं….. वहीं बीजेपी नीतीश कुमार के खिलाफ रणनीति बना रही है…. और बीजेपी जीतनराम माझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा का सहारा ले रही है….. लेकिन खास बात यह है कि नीतीश और उनकी पार्टी अब बीजेपी पर दबाव बनाने में जुट गए हैं…… क्योंकि वो बीजेपी की रणनीति को भलीभांति समझ चुके हैं….. आपको बता दें कि नीतीश कुमार यह समझ चुके है कि बीजेपी इस चुनाव में राजनीति को जेडीयू का पूरी तरह से सफाया करने का प्लान बना चुकी है…..
बिहार की राजनीति हमेशा से ही कठिन और बढ़ने वाली रही है…… और 2025 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं….. यह चलन और भी तेज हो गई है….. बता दें कि एनडीए की सरकार वर्तमान में बिहार में सत्ता में है…… जिसमें जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं……. हालांकि, इस गठबंधन की एकता और भविष्य को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं…… विशेष रूप से नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू द्वारा भारतीय जनता पार्टी पर बढ़ते दबाव…… और बीजेपी की ओर से नीतीश के खिलाफ कथित रणनीति ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है……
आपको बता दें कि बिहार में एनडीए गठबंधन की नींव जेडीयू……. और बीजेपी की साझेदारी पर टिकी है…… जिसमें छोटे सहयोगी दल जैसे हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी भी शामिल हैं…… नीतीश कुमार, जो 2005 से कई बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं……. इस गठबंधन के प्रमुख चेहरा रहे हैं……. उनकी राजनीतिक यात्रा में कई बार गठबंधन बदलने के फैसले शामिल हैं……. जैसे कि 2013 में बीजेपी से नाता तोड़ना और 2015 में महागठबंधन के साथ जाना……. फिर 2017 में वापस एनडीए में लौटना…… 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश ने एक बार फिर महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापसी की……. जिसके बाद जेडीयू ने 12 लोकसभा सीटें जीतीं…… जो बीजेपी की 12 सीटों के बराबर थीं……
हालांकि इस बार गठबंधन की एकता पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं…… क्योंकि नीतीश कुमार को लगता है कि बीजेपी उनकी पार्टी को कमजोर करने….. और बिहार की राजनीति में जेडीयू का प्रभाव खत्म करने की रणनीति बना रही है…… दूसरी ओर, बीजेपी नीतीश की अनुभवी छवि और उनके अति पिछड़ा वर्ग….. और अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच समर्थन को देखते हुए उन्हें गठबंधन में बनाए रखना चाहती है……. लेकिन अपने दीर्घकालिक लक्ष्य…… बिहार में स्वतंत्र रूप से सत्ता हासिल करने…… को भी नहीं छोड़ रही है…..
बता दें कि नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति में ‘चाणक्य’ के रूप में जाना जाता है…… और वो बीजेपी की चाल को भांप चुके हैं…… उनकी हालिया गतिविधियां….. और बयान इस बात का संकेत देते हैं…… कि वे जेडीयू की स्थिति को मजबूत करने…… और बीजेपी को बैकफुट पर लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं…… आपको बता दें कि नीतीश और उनकी पार्टी ने हाल के महीनों में केंद्र सरकार से कई मांगें उठाई हैं…… जैसे बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा…… बाढ़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त फंड…… और विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता…… ये मांगें न केवल बिहार के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हैं…… बल्कि बीजेपी को यह संदेश देने के लिए भी हैं कि…… जेडीयू के बिना एनडीए की राह आसान नहीं होगी…..
वहीं बिहार चुनाव को देखते हुए नीतीश ने 2024 के अंत में ‘प्रगति यात्रा’ शुरू की……. जिसका उद्देश्य बिहार में विकास कार्यों की समीक्षा करना….. और मतदाताओं के बीच अपनी छवि को मजबूत करना है…… इस यात्रा के दौरान, जेडीयू ने नारे जैसे “जब बात बिहार की हो…… नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो” को प्रचारित किया……. जिससे यह स्पष्ट हो गया कि नीतीश खुद को एनडीए का अकेला चेहरा मानते हैं……. बता दें कि नीतीश अपने बेटे निशांत कुमार को राजनीति में लाने की तैयारी कर रहे हैं…….. निशांत हाल ही में जेडीयू के कार्यक्रमों…… और पोस्टरों में दिखाई दिए हैं…… जो यह संकेत देता है कि नीतीश अपनी पार्टी के भविष्य को सुरक्षित करने की योजना बना रहे हैं……. यह कदम बीजेपी को यह संदेश देता है कि जेडीयू लंबे समय तक बिहार की राजनीति में सक्रिय रहेगी……
हालांकि नीतीश ने बार-बार कहा है कि वे अब एनडीए के साथ ही रहेंगे……. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वे राष्ट्रीय जनता दल…… और कांग्रेस के साथ बैकचैनल बातचीत को खुला रख सकते हैं……. आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव ने हाल ही में कहा था कि “हमारे दरवाजे नीतीश के लिए खुले हैं…… जिसे नीतीश ने स्पष्ट जवाब देकर खारिज नहीं किया…… बीजेपी बिहार में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है……. नीतीश कुमार की निर्भरता को कम करने….. और जेडीयू को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है……
बीजेपी ने जीतन राम मांझी, चिराग पासवान, और उपेंद्र कुशवाहा जैसे छोटे सहयोगी दलों को मजबूत करने की कोशिश शुरू की है…… ये नेता अपने-अपने समुदायों दलित, पासवान…… और कुशवाहा में प्रभाव रखते हैं…… और बीजेपी इनके जरिए नीतीश के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है…… बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं, जैसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह…… और बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने नीतीश को 2025 के लिए एनडीए का चेहरा घोषित करने में देरी कर रही है…… और शाह ने कहा था कि यह फैसला एनडीए की संसदीय बोर्ड बैठक में होगा……. जिससे जेडीयू में असंतोष पैदा हुआ……
बता दें कि बीजेपी को लगता है कि नीतीश का स्वास्थ्य….. और उम्र अब उनके नेतृत्व को प्रभावित कर सकते हैं……. इसके अलावा, वक्फ बिल जैसे मुद्दों पर जेडीयू का मुस्लिम वोट बैंक पहले ही कमजोर हो चुका है……. 2015 में जेडीयू ने 80% मुस्लिम वोट हासिल किए थे……. लेकिन 2020 में यह समर्थन लगभग खत्म हो गया……. बीजेपी इस स्थिति का फायदा उठाकर अपने हिंदुत्ववादी एजेंडे को मजबूत करना चाहती है……. और बीजेपी 2025 के चुनाव में 243 विधानसभा सीटों में से करीब 100 सीटों पर लड़ने की योजना बना रही है……. जबकि जेडीयू को 90-95 सीटें दी जा सकती हैं……. यह बंटवारा बीजेपी की बढ़ती ताकत को दर्शाता है……. क्योंकि 2020 में बीजेपी ने 74 सीटें जीती थीं……. जबकि जेडीयू केवल 43 सीटों पर सिमट गई थी…..
एनडीए के छोटे सहयोगी दल हम, एलजेपी-आरवी, और आरएलएसपी 2025 के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं…… बता दें कि जीतन राम मांझी का दलित समुदाय में प्रभाव है……. और बीजेपी उन्हें नीतीश के ईबीसी-ओबीसी गठजोड़ के खिलाफ एक वैकल्पिक चेहरा के रूप में देख रही है…….. हालांकि, मांझी की सीमित सीटों की वजह से उनकी भूमिका सहायक ही रहेगी….. वहीं चिराग ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई है……. पासवान समुदाय में उनकी पकड़ बीजेपी के लिए फायदेमंद है…… लेकिन चिराग नीतीश के प्रति असहज रहे हैं…… जो बीजेपी को जेडीयू के खिलाफ इस्तेमाल करने का मौका देता है……
वहीं कुशवाहा समुदाय में प्रभाव रखने वाले उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी नीतीश के कुर्मी वोट बैंक को कमजोर करने के लिए इस्तेमाल कर सकती है…… हालांकि उनकी पार्टी का सीमित आधार बीजेपी की
रणनीति को पूरी तरह प्रभावी नहीं बना सकता है…… वहीं बीजेपी के लिए नीतीश अभी भी अपरिहार्य हैं…… क्योंकि जेडीयू के बिना एनडीए का वोट आधार विशेष रूप से ईबीसी और ओबीसी कमजोर हो सकता है…… 2024 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू की 12 सीटों ने एनडीए को बहुमत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी…… बता दें कि बीजेपी बिहार में स्वतंत्र रूप से सत्ता हासिल करना चाहती है……. लेकिन उसे पता है कि नीतीश को पूरी तरह किनारे करना जोखिमभरा हो सकता है……. अगर बीजेपी नीतीश को बहुत ज्यादा दबाव देती है……. तो वे महागठबंधन के साथ जा सकते हैं….. जैसा कि उन्होंने पहले किया है…..
वहीं आरजेडी-कांग्रेस का महागठबंधन और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी 2025 के चुनाव में चुनौती पेश कर रही हैं……. एक सर्वे में प्रशांत किशोर को 15 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री के रूप में पसंद किया……. जो नीतीश की लोकप्रियता के लिए खतरा है….. वहीं नीतीश के स्वास्थ्य और उम्र को लेकर सवाल उठ रहे हैं…… प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि नीतीश का नेतृत्व और स्वास्थ्य चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा……. अगर नीतीश सक्रिय प्रचार नहीं कर पाए…… तो जेडीयू का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है…..
बिहार में 2025 का विधानसभा चुनाव एनडीए गठबंधन के लिए एक कठिन परीक्षा होने जा रहा है……. नीतीश कुमार और जेडीयू बीजेपी पर दबाव बनाकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं……. जबकि बीजेपी नीतीश की निर्भरता कम करने…… और अपने छोटे सहयोगियों को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है……. हालांकि दोनों पक्ष जानते हैं कि एकजुट रहना ही उनकी जीत की कुंजी है…… क्योंकि विपक्ष का महागठबंधन और उभरती ताकतें जैसे जन सुराज उनकी राह में रोड़ा बन सकते हैं……



