स्पीकर चुनाव से पहले गृह विभाग लेने के लिए अड़ गए नीतीश, ऑपरेशन लोटस से भी बड़ा खेल, हड़कंप!

सम्राट चौधरी और बीजेपी चाहती है कि बिहार में केंद्र से लाकर कुछ काबिल आईएएस और खासकर आईपीएस अफसरों की तैनाती की जाए लेकिन जैसे ही ये खबर लीक हुई है,

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार में नीतीश कुमार ने सीएम बनते ही अपना पुराना खेल शुरु कर दिया है। उन्होंने स्पीकर पद के चुनाव से पहले अपने पुराना पद यानि कि गृह मंत्रालया को वापस करने की डिमांड रख दी है।

आपको बता दें कि बड़ी खबर निकल कर सामने आई है कि सम्राट चौधरी और बीजेपी चाहती है कि बिहार में केंद्र से लाकर कुछ काबिल आईएएस और खासकर आईपीएस अफसरों की तैनाती की जाए लेकिन जैसे ही ये खबर लीक हुई है, जदयू बीजेपी खेमे में न सिर्फ रार-तकरार का दौर बढ़ा है बल्कि कल ही नीतीश कुमार ने अचानक सचिवालय पहुंच कर अफसरों को टाइट किया है। और इस बीच नीतीश कुमार ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए अपने कोटे के छह मंत्रियों की नई लिस्ट के साथ मैन पॉवर बढ़ाने में जुट गए हैं।

बीजेपी और सम्राट चौधरी क्यांे अचानक बिहार में कुछ नए आईएएस और आईपीएस चाहते हैं। और क्यों फिर से गृह मंत्रालय को लेकर भयंकर रार मची हुई है। ये हम आपको आगे अपनी इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताएंग। साथ ही इस पर भी चर्चा करेंगे कि नए छह मंत्रियों के जरिए कैसे नीतीश कुमार मैन पावार बढ़ाने जा रहे हैं।

दोस्तों, बिहार में पीएम साहब और उनके चाणक्य जी ने जैसे तैसे कर नीतीश कुमार को सीएम का पद तो दे दिया था लेकिन सीएम की सबसे बड़ी ताकत गृह विभाग का पद अपने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को दिलाने में कामयाब रहे। इसको लेकर मंत्रियों के विभाग बंटवारे के दिन ही कई घंटे तक मंत्रियों की लिस्ट में पेंच भी फंसा रहा लेकिन बाद में नीतीश कुमार को राजी होना पड़ा क्योंकि इस बार तय हुआ था कि सरकार में सबकुछ बराबरी का होगा।

ऐसे में नीतीश कुमार के बराबरी पर सम्राट चौधरी को खड़ा कर दिया गया है लेकिन नीतीश ने पूरे मामले में एक बड़ा गेम किया कि लोक प्रशासन विभाग अपने पास रख लिया यानि कि वो जिसको चाहें उसी अधिकारी की नियुक्ति विभागों में होगी, और अब आपको बता दें कि यहीं पर पेंच फंस गया है क्योंकि गृह विभाग को सम्राट चौधरी अपनी पार्टी की नीतियों के अनुसार चलाना चाहते हैं। सम्राट ने इसकी शुरुआत भी की है। मफियाओं की लिस्ट तैयार कराना, सोशल मीडिया पर गाली गलौज को बंद कराना और बुलडोजर एक्शन के लिए विभाग को तैयार करना जैसे कई काम शुरु किए हैं लेकिन इन सबमें सबसे बड़ा पेंच यह है कि क्योकि बिहार में 20 साल से नीतीश कुमार सीएम है, इसलिए उपर से नीचे तक शायद ही कहीं पर कोई ऐसा अफसर मिले जिससे नीतीश के सीधे तार न हो और इस वजह से सम्राट चौधरी की अफसरों में अपनी लॉबी तैयार नहीं हो पा रही है।

अगर शायद बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलीं होती और जदयू को कम तो शायद सम्राट के अफसरों में अपनी लॉबी तैयार हो जाती लेकिन एक बार फिर से नीतीश कुमार के सीएम बनने के बाद ये होता मुश्किल दिख रहा है। और आधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रॉसफसर वाला विभाग नीतीश के पास होने से अफसरों का झुकाव अभी भी नीतीश कुमार की ओर देखा जा रहा है । ऐसे में बीजेपी और सम्राट चौधरी का जो जलवा होम मिनिस्टिर बनने के बाद होना चाहिए था, फिलहाल वो नहीं है। हालांकि इसके लिए सम्राट चौधरी और बीजेपी नई जुगत में है और सम्राट चौधरी और बीजेपी चाहती है कि जो विभाग बीजेपी के पास हों, हर उस विभाग में उनके अपने अफसर हों, जो नीतीश कुमार के हिसाब से नहीं बल्कि बीजेपी के मंत्रियों के हिसाब से काम करें।

आपको बता दें कि दो दिन पहले जब अचानक सम्राट चौधरी चाणक्य जी यानि कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे थे तो चर्चा का सबसे अहम विषय यही था। सम्राट चौधरी ने शाह साहब से बिहार में कुछ काबिल आईएएस और आईपीएस अफसरों की डिमांड की है और कहा जा रहा है कि अमित शाह इस पर काम भी शुरु कर चुके हैं लेकिन जैसे ही ये खबर लीक हुई है नीतीश खेमे में हड़कंप मच गया है। क्योंकि अफसरों की डिमांड तो सीएम की ओर से होती रही है लेकिन नीतीश कुमार की डिमांड के बिना जो तैयारियों बिहार में कुछ आईएसएस और आईपीएस अफसरों को भेजने की सामने आई है, इसने एक बार फिर से एनडीए में भूचाल ला दिया है। क्योंकि नीतीश कुमार अपने पुराने पसंदीदा अफसरों को हटाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं, क्योंकि नीतीश खेमे के पुराने सीनियर अफसर मनीष वर्मा सारे बातों की निगरानी कर रहे हैं।

ऐसे में मामला न सिर्फ भयंकर उलझ गया है बल्कि नीतीश कुमार इस दावे पर फिर से वापस आते हुए दिख रहे हैं कि स्पीकर का पद ले लीजिए, गृह मंत्रालय वापस कीजिए। क्योंकि नीतीश कुमार का 20 साल की राजनीति में एक रोल रहा है , उन्होंने कभी किसी के प्रेशर में काम नहीं किया और अब शायद इस बात भी करने के मूड में नहीं दिख रहे है।

आपको बता दें कि बिहार में महिलाओं को 10-10 हजार के बाद रोजगार के लिए दो-दो लाख रुपए दिए जाने हैं, क्योंकि एक करोड़ 40 लाख महिलाओं को 10-10 हजार रुपए दिए गए हैं तो ऐसे में अब बड़े बजट की बिहार को जरुरत है। वैसे तो जो नियम सामने आ रहे हैं उसमें तय है कि सब महिलाओं को तो 2-2 लाख रुपए नहीं मिलेगा कुछ शर्ते हैं जो महिलाएं इन शर्तों को पूरा करेंगी, उनको ही पहुंच 2 लाख तक हो पाएगी। अगर मान लिया जाए कि नीतीश सरकार सिर्फ एक करोड़ 40 लाख में से सिर्फ 10 लाख महिलाओं को देती है तो भी 20 हजार करोड़ रुपए चाहिए होंगे।

अगर 50 लाख महिलाओं को देंगे तो एक लाख करोड़ रुपए चाहिए होंगे जबकि बिहार का बजट 3.16 लाख करोड़ है। ऐसे में यह आसान नहीं होगा। आपको बता दें कि पीएम साहब और उनके चाणक्य जी इसी योजना के जरिए कुछ काबिल आईएएस और आईपीएस की इंट्री कराना चाहते थे लेकिन अचानक नीतीश कुमार को इसकी भनक लग चुकी है और भनक लगते ही हड़कंप मचा गया है। नीतीश कुमार का कल यानि कि शुक्रवार को अचानक महिलाओं के 10-10 हजार बांटने से पहले सचिवालय पहुंचना इस बात की दलील है कि नीतीश कुमार अफसरों में अपनी पैठ बढ़ाना शुरु कर चुके हैं लेकिन इस सबके बीच एक बड़ी खबर ये चर्चा में आइ्र कि अभी तक जो स्पीकर को लेकर बीजेपी और जदयू में खींचतान चल रही थी

उस पर नीतीश कैंप गृहमंत्रालय देने और स्पीकर का पद लेने की शर्त रख चुका है लेकिन आगे गेम किस करवट बैठता है, ये एक दो दिन में फाइनल होगा। लेकिन इस बीच नीतीश कुमार अपने छह खाली मत्री पद को लेकर अपनी मैन पावर बढ़ाने की जी तोड़ कोशिश शुरु कर चुके हैं , क्योंकि जिस हिसाब से सिर्फ आठ दिन की सरकार में इतने झमेले खड़े हो गए हैं तो ऐसे में कब क्या हो जाए कुछ कह पाना मुश्किल है।

आपको बता दें कि आमतौर पर चुनाव से पहले और बाद में राजनीतिक दलों में भगदड़ मचती है। चुनाव से पहले टिकट कटने के भय से लोग पाला बदलते हैं तो चुनाव बीतने के बाद विजेता पार्टियों के साथ कम संख्या में निर्वाचित विधायकों चले जाते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही यह आशंका बनी हुई है। चूंकि ऐसी बातें गोपनीय होती हैं, इसलिए पाला बदलने की प्रक्रिया पूरी होने से पहले इनके बारे में किसी को कुछ पता नहीं चलता। अनुमान और कयास के आधार पर ऐसी जानकारियां बाहर आती हैं।

बिहार में तीन ऐसी पार्टियां हैं, जिनके विधायकों पर सत्ताधारी खेमे की नजर है। इंडियन इनक्लूसिव पार्टी से एकमात्र उम्मीदवार आईपी गुप्ता ने चुनाव लड़ा और जीत गए। बहुजन समाज पार्टी से भी एक ही कैंडिडेट जीता है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच विधायक जीते हैं। इनमें वीआईपी के आईपी गुप्ता को विरोधी खेमे के साथ रह कर कुछ हासिल होने वाला नहीं है। वे पहले भी कहते रहे हैं कि जो भी पान समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा जो देगा, उसका समर्थन करने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इधर चर्चा भी है कि उनकी गोपनीय मुलाकातें एनडीए नेताओं से होती रही है। चूंकि विपक्षी महागठबंधन को इस बार कुल 35 सीटें ही आई हैं, इसलिए उसके साथ आईपी गुप्ता का बने रहना उनके मकसद को पूरा करने में सक्षम नहीं है।

संख्या बल का इतना अंतर है कि दूर-दूर तक महागठबंधन के सत्ता में आने की संभावना नजर नहीं आती। एआईएमआईएम और बीएसपी का तो टूटने-बिखरने का इतिहास ही रहा है। वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम पांच सीटों पर जीती थी। उसे सभी सीटें सीमांचल में मिली थीं। तब महागठबंधन के विधायकों की संख्या 110 थी। ओवैसी के विधायकों को आरजेडी ने यह भरोसा दिलााया कि वे साथ आ जाएं तो सरकार बनाने के लिए 122 की संख्या हासिल करने में आसानी होगी। विधायकों को भी लगा कि आरजेडी के साथ जाने पर उन्हें सत्ता सुख मिलने की संभावना दिखती है। एआईएमआईएम के पांच में चार विधायकों ने पाला बदल लिया। वे आरजेडी में शामिल हो गए।

चूंकि आरजेडी से मुसलमानों का वैचारिक मेलजोल दूसरे दलों के मुकाबले अधिक रहा है, इसलिए भी पाला बदलने के लिए विधायकों ने नीतीश कुमार के बजाय तेजस्वी को ही तरजीह दी। पर, तेजस्वी खेला होने की बात करते रह गए, सत्ता में आने का उन्हें अपने बूते मौका नहीं मिला। आखिरकार महागठबंधन नीतीश कुमार के हवाले हो गया। तब जाकर 17 महीने उन्हें डेप्युटी सीएम के रूप में सत्ता सुख मिल पाया। इसके साथ ही बीएसपी के बारे में जो कल हुआ पहले विधायको की तोड़ का दावा फिर बाद में अचानक उसी नेता का पार्टी से इस्तीफा आना कहीं न कही ये बात साफ है कि नीतीश कुमार अपने खाली छह मत्रियों के पद को लेकर कोटा बढ़ाना चाहते हैं और वो सीधी टक्कर देने बीजेपी को देना चाहते है।

लेकिन जिस तरह से अचानक नए आईपीएस और आईपीएस अफसरों की तैनाती को लेकर हड़कंप मचा है, उससे कहीं न कहीं नीतीश खेमा अपने गृह विभाग को पाने के लिए आतुर हो उठा है, यहां तक कि वो स्पीकर जैसे पद पर भी शायद समझौता करने को तैयार है।

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