पीएम मोदी खुद बांटे, लेकिन विपक्षी नेताओं को डांटे

  • मोदी ने मिसेज बाइडन को तोहफे में दिया 20 हजार डालर का हीरा
  • यूक्रेनी राजदूत ब्रुनेई के सुल्तान, मिस्र, इजरायल दक्षिण कोरिया और यूक्रेनी राष्ट्रपति को पीएम मोदी ने महंगा तोहफा देने के मामले में पछाड़ा
  • अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी को दिये गये महंगे तोहफे पर पूरे विश्व में हो रही है पीएम की आलोचना

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सोचिय-समझिये और चिंतन कीजिए। भारत देश के किसी राज्य का मुख्यमंत्री यदि जनहित में योजना बना कर समाजिक उत्थान के लिए लोगों का भला करे तो यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृष्टि में रेवड़ी कल्चर है। लेकिन अमेरिकन राष्ट्रपति की पत्नी जिल बाइडेन को मिले तोहफों में बेश्कीमती और सबसे महंगा तोहफा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया साढ़े सात कैरेट का डायमंड निकले और उसकी कीमत 20 हजार डालर हो तो यह कल्चर है।
पीएम मोदी ने तोहफा देने के मामले में विश्व के सबसे रईस ब्रुनेई के सुल्तान को पछाड़ते हुए मिसेज बाइडन को 20 हजार डालर का डायमंड गिफ्ट कर दिया। इस गिफ्ट को लेकर पूरे विश्व में पीएम मोदी की आलोचना हो रही है और कहा जा रहा है कि जब विश्व के रईस देशों में शुमार ब्रुनेई के सुल्तान ने इतना महंगा गिफ्ट नहीं दिया तो फिर भारत को भी ऐसा नहीं करना चााहिए था। बहरहाल ऐसे समय में जब देश में आर्थिक संतुलन न हो और डालर के मुकाबले रूपया लगातार रसातल में पहुंच रहा हो तो महंगा तोहफा देकर स्वंय को विश्वगुरू की अनुभूति करना तुक था या बेतुका,यह देश की आम जनता को अपने हिसाब से अनुमान लगाना चाहिए। पर कुल मिलाकर अपनी कथनी व करनी में अंतर करने में कई बार भाजपा के नेता फंस चुके हैं। खासतौर से प्रधानमंत्री जिन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों से अपनी पार्टी के नेताओं से उपहार के रूप में विदेशी अतिथियों को किताब देने की बात कही, पर जब अपनी बारी आई तो वह ऐसा नहीं कर सके।

पीएम मोदी का इतना महंगा गिफ्ट देने पर उठ रहे सवाल

यह सवाल इस समय प्रासंगिक है कि क्या प्रधानमंत्री को इतना महंगा उपहार देना चाहिए था, जब देश की हालत ऐसी है कि जनता को बुनियादी सेवाएं भी पूरी नहीं मिल पा रही हैं। यदि सरकार का ध्यान विदेश नीति और कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत बनाने पर है, तो इसका एक दूसरा तरीका हो सकता था, जिससे देश के भीतर संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सके। इसके बजाय महंगे उपहारों की बजाय ऐसी नीतियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन में सुधार लाएं।

क्यों दिया महंगा गिफ्ट

कूटनीतिक रिश्तों में उपहार देने का एक सामान्य तरीका होता है, लेकिन इन उपहारों की प्रकृति और कीमत का चुनाव सावधानी से किया जाना चाहिए। विदेशों में अच्छे संबंध बनाने के लिए महंगे उपहार देने की बजाय, व्यापारिक संबंध, साझेदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे उपायों को बढ़ावा दिया जा सकता है। मौजूदा समय में सरकार को अपनी योजनाओं में गरीबों, किसानों, और बेरोजगारों के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए, ताकि उनके जीवन में सुधार हो सके। प्रधानमंत्री द्वारा महंगे गिफ्ट देने की बजाय अगर देश के भीतर शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं, तो यह भारत के नागरिकों के लिए अधिक फायदेमंद होगा। इस समय भारत को अपनी आंतरिक समस्याओं को प्राथमिकता देनी चाहिए, और विदेशी संबंधों में इस तरह के गिफ्ट से बचना चाहिए, जो देश की आर्थिक स्थिति और सामाजिक संकटों से मेल न खाती हो।

कई लोगों के उपहार से कीमती रहा हीरा

जिल बाइडेन को मिले अन्य महंगे गिफ्ट्स में अमेरिका में यूक्रेनी राजदूत से 14,063 डॉलर मूल्य का एक ब्रोच, मिस्र के राष्ट्रपति और प्रथम महिला की तरफ से 4,510 डॉलर मूल्य का एक ब्रेसलेट, ब्रोच और फोटो एलबम शामिल है। अमेरिकी राष्ट्रपति को भी कई बहुमूल्य उपहार प्राप्त हुए, इनमें दक्षिण कोरिया के महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक योल से मिला 7,100 डॉलर मूल्य का एक स्मारक फोटो एल्बम, मंगोलियाई प्रधानमंत्री से 3,495 डॉलर मूल्य की मंगोल योद्धाओं की मूर्ति, ब्रुनेई के सुल्तान से 3,300 डॉलर का चांदी का कटोरा, इजरायल के राष्ट्रपति से 3,160 डॉलर की स्टर्लिंग चांदी की ट्रे और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से 2,400 डॉलर मूल्य का एक कोलाज शामिल है।

2023 में पीएम ने साढ़े सात कैरेट का हीरा दिया था

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वर्ष 2023 में अमेरिका के राष्ट्रपति को साढ़े सात कैरेट का हीरा गिफ्ट किया था जिसकी कीमत 20 हजार डालर थी। यहां तक सब ठीक था। विवाद की शुरूआत अमेरिकन विदेश विभाग द्वारा राष्ट्रपति जो बाइडेन को मिले उपहारों की आडिट रिपोर्ट को पब्लिश करने के बाद हुई हैं। जो रिपोर्ट प्रकाशित की गयी है उसमें पीएम मोदी से महंगा गिफ्ट विश्व के किसी भी नेता द्वारा अमेरिकन राष्ट्रपति को नहीं दिया गया है। चाहे वह दक्षिण कोरिया के महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक योल या फिर ब्रुनेई के सुल्तान हो। राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके परिवार को 2023 में विदेशी नेताओं से हजारों डॉलर के उपहार मिले। इनमें सबसे महंगा गिफ्ट प्रथम महिला जिल बाइडेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। अमेरिकी विदेश विभाग ने सभी उपहारों का वार्षिक लेखा-जोखा प्रकाशित किया जिसमें यह जानकारी सामने आई। पीएम मोदी का 7.5 कैरेट का हीरा, 2023 में प्रथम परिवार के किसी भी सदस्य को मिला सबसे महंगा उपहार था।

कई बार मोदी रेवड़ी कल्चर पर दे चुके हैं भाषण

मोदी सरकार द्वारा जनहित में जारी सरकारी योजनाओं की रेवड़ी कल्चर कह कर न सिर्फ आलोचना की जाती है बल्कि मामला कोर्ट कचहरी तक खींचा जाता है। बीजेपी की नजर में दिल्ली के सीएम केजरीवाल जनता के पैसे से चुनावी लाभ उठाने की कोशिश करतें हैं ।ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा विदेशी नेताओं को महंगे उपहार देने से यह विचार बल पकड़ता है कि सरकार की नीति में एक तरह का विरोधाभास है। अगर भारत में इस समय सरकारी योजनाओं और उपहारों को लेकर इतनी कड़ी आलोचनाएं हो रही हैं, तो महंगे उपहार का यह कृत्य इसे और बढ़ा सकता है।

लगातार बढ़ रहा है कर्ज का बोझ

भारत पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। 2023-24 के बजट के अनुसार भारत सरकार का कुल कर्ज करीब 156 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है। विश्व बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से लिया गया कर्ज भारत के सार्वजनिक वित्त का एक बड़ा हिस्सा बन गया है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2023 में करीब 25 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया था। यह कर्ज विकास कार्यों के लिए तो लिया जाता है, लेकिन इसके साथ ही देश को इसके ब्याज का भुगतान करना भी पड़ता है जो देश की वित्तीय स्थिति पर दबाव डालता है।

प्रति व्यक्ति पर कर्ज का हिस्सा

भारत में प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ भी लगातार बढ़ रहा है। 2023 में भारत केप्रति व्यक्ति पर कर्ज करीब 1,12,000 रूपयों तक पहुंच चुका था। यह कर्ज आने वाले वर्षों में हम सब के लिए वित्तीय दबाव का कारण बन सकता है। इस कर्ज के लिए सरकार को ब्याज का भुगतान करना होता है। जिससे संसाधनों का बड़ा हिस्सा कर्ज की अदायगी में चला जाता है। इस कर्ज के बोझ का सीधा असर सरकार की विकास योजनाओं और सामाजिक कार्यक्रमों पर पड़ता है।

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