पराली को लेकर हरियाणा व पंजाब में उठा सियासी धुंआ
- कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना
- प्रदूषण नियंत्रण में सिर्फ पराली पर ध्यान देना गलत : दीपेंद्र
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हरियाणा। पंजाब में पराली को जलाने व उस पर कें द्र सरकार द्वारा जुर्माना लगाने को लेकर वार-पलटवार जारी हो गया है। कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों पर ध्यान देना जरूरी है, केवल पराली को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रदूषण की बात करें तो केवल पराली पर ध्यान केंद्रित करना गलत है। प्रदूषण में वाहनों, निर्माण कार्य, उद्योगों और अन्य स्रोतों का भी योगदान होता है। इन सभी पर समान रूप से ध्यान देने की जरूरत है।
सांसद हुड्डा ने यह भी आरोप लगाया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा पर्याप्त बजट नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से प्रदूषण नियंत्रण के लिए जो बजट आवंटित किया गया है, वह पर्याप्त नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए प्रतिबद्ध नहीं है। बढ़ते प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में जुर्माने की राशि को दोगुना किया गया है। बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से नए नियमों के अनुसार अब पराली जलाने पर किसानों को दो गुना जुर्माना अदा करना पड़ेगा। 2 से 5 एकड़ तक 10 हजार रुपये और 5 एकड़ से ज्यादा जमीन वाले किसान से 30 हजार रुपये जुर्माना वसूला जाएगा।
पराली जलाने का मुद्दा है गंभीर : दलजीत सिंह
पराली जलाने के मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि सिर्फ जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा, यह कोई समाधान नहीं है। मूल बात यह है कि किसान को पराली क्यों जलानी पड़ती है। चीमा ने कहा कि पॉल्यूशन एक सीरियस प्रॉब्लम है। जुर्माना बढ़ाने से बात नहीं बनेगी और न ही यह समस्या का हल है। किसानों को आर्थिक मदद और मशीनरी मिलनी चाहिए, ताकि वह उन्हें पराली न जलानी पड़ी। चीमा का मानना है कि अगर किसानों की फाइनेंशियल हेल्प जाए और उन्हें सभी तरह की मशीनरी उपलब्ध कराई जाए तो इस समस्या पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। वहीं, चीमा ने कहा कि कई योजनाएं कागजों में ही बनती है, लेकिन धरातल पर उन्हें लागू नहीं किया जाता।