प्रियंका गांधी से मिले प्रशांत किशोर, बीजेपी की उल्टी गिनती शुरू!

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विपक्ष गठबंधन लगातार एक्टिव मोड में नजर आ रहा है। एक तरफ जहां सत्ताधारी गठबंधन NDA पर हमलावर है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में नई रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विपक्ष गठबंधन लगातार एक्टिव मोड में नजर आ रहा है। एक तरफ जहां सत्ताधारी गठबंधन NDA पर हमलावर है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में नई रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं।

इसी कड़ी में एक ऐसी खबर सामने आई है जिसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहली बार चुनाव लड़ने वाली जनसुराज पार्टी के नेता और चुनावी रणनीतिकार ने बीते दिनों भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव और केरल स्थित वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की है.

इस मुलाकात के बाद बिहार की राजधानी पटना से दिल्ली तक के सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. और यह दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2027 में यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के संदर्भ में यह बैठक हुई. हालांकि इस मुलाकात पर जनसुराज या कांग्रेस की ओर से अभी तक किसी ने कुछ भी अधिकृत प्रतिक्रिया या बयान जारी नहीं किया है.

यह बैठक ऐसे समय पर हुई है, जब एक ओर जन सुराज पार्टी को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस खुद अपने गिरते जनाधार और संगठनात्मक चुनौतियों से जूझ रही है। बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन प्रशांत किशोर के लिए बड़ा झटका साबित हुआ। पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही और उसके 238 उम्मीदवारों में से 236 की जमानत जब्त हो गई।

यह आंकड़ा सिर्फ हार नहीं, बल्कि एक नई पार्टी के सामने खड़ी गंभीर राजनीतिक चुनौती को भी दर्शाता है। दूसरी तरफ कांग्रेस का प्रदर्शन भी उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। पार्टी ने 61 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन महज छह सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। 2020 के चुनाव में कांग्रेस को 19 सीटें मिली थीं, ऐसे में यह गिरावट पार्टी के लिए आत्ममंथन का विषय बन गई है।

ऐसे में यह मुलाकात राजनीतिक समीकरणों के नए संकेत दे रही है। इस बैठक को खास इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि प्रशांत किशोर लंबे समय तक कांग्रेस के मुखर आलोचक रहे हैं। बिहार चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने न केवल कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठाए थे, बल्कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR और राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ अभियान को भी राज्य की जनता से जुड़ा मुद्दा मानने से इनकार किया था। इसके बावजूद अब प्रियंका गांधी से उनकी मुलाकात यह सवाल खड़ा कर रही है कि क्या सियासत में पुराने मतभेद पिघल रहे हैं और कोई नई रणनीति आकार ले रही है।

वहीं इसे लेकर सियासी पंडितों का यह कहना है कि ये मुलाकात महज शिष्टाचार नहीं बल्कि संभावनाओं की टोह लेने की कोशिश भी हो सकती है. कांग्रेस संगठन को नई ऊर्जा और रणनीतिक धार की तलाश है, जबकि किशोर को एक राष्ट्रीय मंच की जरूरत महसूस हो रही है. इसीलिए इस बैठक को कांग्रेस में उनके प्रवेश की दिशा में पहला संकेत माना जा रहा है, भले ही औपचारिक तौर पर इसकी पुष्टि न की गई हो. लेकिन इसे लेकर सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है।

प्रशांत किशोर और गांधी परिवार का रिश्ता नया नहीं है. 2021 में जेडीयू से निष्कासन के बाद किशोर ने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए गांधी भाई-बहनों से संपर्क किया था. इसके बाद 2022 में कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच औपचारिक बातचीत भी हुई. अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के 10, जनपथ स्थित आवास पर एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे. इस बैठक में प्रशांत किशोर ने पार्टी के पुनर्गठन और चुनावी रणनीति को लेकर विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया था. उस समय किशोर कांग्रेस में शामिल होने के लिए भी तैयार थे.

इसके बाद सोनिया गांधी ने पार्टी की चुनौतियों से निपटने के लिए एक ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024’ (EAG) का गठन किया और प्रशांत किशोर को इसमें शामिल होने का प्रस्ताव दिया. हालांकि, किशोर ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उनका कहना था कि उन्हें केवल एक समिति का हिस्सा नहीं, बल्कि पार्टी में व्यापक बदलाव के लिए स्वतंत्र भूमिका चाहिए.

इतना ही नहीं कांग्रेस ने तब एक आधिकारिक बयान में कहा था कि पार्टी ने प्रशांत किशोर को परिभाषित जिम्मेदारी के साथ EAG में शामिल होने का न्योता दिया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. इसके जवाब में प्रशांत किशोर ने भी तीखा बयान जारी करते हुए कहा था कि कांग्रेस को बाहरी सलाहकार से ज्यादा मजबूत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है, ताकि पार्टी के गहरे संरचनात्मक संकट से उबरा जा सके. वहीं अब, तीन साल बाद प्रियंका गांधी से हुई यह मुलाकात कई सवाल खड़े कर रही है.

क्या कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच फिर से संवाद की शुरुआत हो रही है? या यह केवल एक औपचारिक मुलाकात थी? बिहार चुनावों में करारी हार के बाद और लोकसभा चुनावों के राजनीतिक समीकरणों के बीच यह बैठक आने वाले दिनों में कांग्रेस और प्रशांत किशोर, दोनों की रणनीति को किस दिशा में ले जाएगी, इस पर सियासी नजरें टिकी हुई हैं.

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