राहुल गांधी की धुरंधरगिरी! बर्लिन में बयान, देश में राजनीतिक बवाल
विदेश में सवाल, देश में हंगामा

नेता प्रतिपक्ष ने फिर सत्ता की नस पर रख दिया हाथ
बोले- केशव प्रसाद राहुल अब अलगाववादी नेता
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बयान बर्लिन में दिया है लेकिन बवाल देश की राजनीति में शुरू हो गया है। सरकार बौखला गयी है और बीजेपी नेताओं के राहुल गांधी के बयान को काटने के लिए बयान आना शुरू हो गये हैं। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने उन्हें अलगाववादी नेता की श्रेणी में ला खड़ा किया है जबकि सम्पर्ण बीजेपी उन्हें विदेश की धरती पर देश का अपमान करने वाले नेता के रूप में परिभाषित कर रहे हैं। जबकि राहुल गांधी का बर्लिन बयान भारत के खिलाफ़ नहीं है वह भारत के पक्ष में है। सत्ता इसे बदनामी कहे या देशद्रोह इतिहास तय करेगा कि लोकतंत्र के इस दौर में सवाल पूछने वाला बड़ा था या सवाल से भागने वाला।
बर्लिन की ज़मीन पर दिया गया राहुल गांधी का बयान कोई साधारण राजनीतिक भाषण नहीं था। यह एक ऐसा बयान था जिसमें शब्द कम और संकेत ज़्यादा थे इस बयान में आरोप नहीं बल्कि सवाल थे? और जिसमें भारत की लोकतांत्रिक आत्मा को लेकर एक बेचैन चिंता थी।
राहुल गांधी ने जर्मनी की राजधानी में खड़े होकर जब कहा कि भारत में संस्थाओं पर कब्ज़ा हो रहा है तो असल में उन्होंने किसी सरकार का नहीं बल्कि एक प्रवृत्ति का नाम लिया। यही वह बिंदु है जहां सत्ता तिलमिला जाती है। क्योंकि सत्ता सवालों से नहीं सवाल पूछने वालों से डरती है। राहुल गांधी का बर्लिन बयान उसी डर की जड़ में उंगली डालता है। यह बयान बताता है कि भारत में लोकतंत्र सिर्फ़ चुनाव जीतने का नाम नहीं है बल्कि संस्थाओं की स्वतंत्रता, संवाद की संस्कृति और असहमति के सम्मान का नाम है।

विदेश जाकर देश को बदनाम करते हैं राहुल गांधी
राहुल के बयान के बाद बीजेपी का पुराना और आज़माया हुआ आरोप एक बार फिर राहुल की तरफ फेंका गया है। बिहार सरकार में मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा है राहुल गांधी विदेशी मंचों पर भारत की छवि खराब कर रहे हैं और विपक्ष के नेता की बजाय भारत विरोधी नेता की तरह व्यवहार कर रहे हैं। बीजेपी का तर्क सीधा है देश के अंदर बोलिए बाहर नहीं। लेकिन यही पार्टी तब चुप रहती है जब प्रधानमंत्री विदेशों में भारत की आंतरिक राजनीति का श्रेय खुद लेते हैं या चुनावी भाषणों को वैश्विक मंचों पर पेश करते हैं। सवाल यह नहीं है कि राहुल गांधी कहां बोल रहे हैं सवाल यह है कि वे क्या बोल रहे हैं। अगर कोई नेता यह कहता है कि संस्थाएं कमज़ोर हो रही हैं एजेंसियां निष्पक्ष नहीं रहीं और लोकतंत्र दबाव में है तो इसका जवाब तथ्य से दिया जाना चाहिए आरोपों से नहीं। बीजेपी का यह आरोप दरअसल एक रक्षा कवच है जिससे असल बहस से बचा जा सके।
क्या लोकतंत्र की चिंता करना उसे बदनाम करने जैसा है?
बीजेपी इसे विदेश में जाकर भारत को बदनाम करना कहती है लेकिन असल सवाल यह है कि क्या लोकतंत्र की चिंता करना बदनामी है? क्या संस्थाओं के दुरुपयोग पर सवाल उठाना देशद्रोह है? और क्या भारत की छवि इतनी कमज़ोर है कि एक नेता के शब्दों से टूट जाएगी?अराहुल गांधी का यह बयान उस भारत की बात करता है जहां चुनाव तो होते हैं लेकिन बराबरी का मैदान नहीं बचा। जहां विपक्ष मौजूद है लेकिन उसकी आवाज़ को एजेंसियों के छापों के शोर में दबाया जा रहा है। सरकार को बर्लिन का बयान इसलिए चुभता है क्योंकि वह शीशा दिखाता है।
ईडी-सीबीआई का इस्तेमाल सियासी तस्वीर
किसी एक विपक्षी पार्टी नहीं बल्कि सम्पूर्ण विपक्ष का आरोप है कि 2014 के बाद से भारत में ईडी और सीबीआई का ग्राफ़ राजनीति से जुड़ गया है। विपक्षी नेताओं पर छापे, पूछताछ, गिरफ़्तारी यह सब संयोग नहीं दिन प्रतिदिन एक पैटर्न बनता जा रहा है। कांग्रेस, तृणमूल, आप, समाजवादी पार्टी, राजद शायद ही कोई विपक्षी दल बचा हो जिसके नेता पर ईडी या सीबीआई की कार्रवाई न हुई हो। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन, तेजस्वी यादव जैसे नेताओं पर इन एजेंसियों की कार्रवाई जारी है। नेताओं की सूची काफी लंबी है। दिलचस्प यह है कि इन मामलों में सज़ा का प्रतिशत बेहद कम है लेकिन प्रक्रिया ही सज़ा बन चुकी है। सालों तक जांचें, तारीख़ें, मीडिया ट्रायल चालू हैं। राहुल गांधी इसी संस्थागत डर की बात करते हैं। सवाल यह नहीं कि जांच होनी चाहिए या नहीं सवाल यह है कि क्या जांच सिर्फ़ विपक्ष के लिए है?
राजनीति में पैसों का असमान युद्ध
राहुल गांधी ने जिस आर्थिक असमानता की बात की है वह सिर्फ़ जनता और अमीरों के बीच नहीं बल्कि दलों के बीच भी है। इलेक्टोरल बॉन्ड ने राजनीति को कॉरपोरेट फंडिंग का खेल बना दिया। बीजेपी को मिलने वाला चंदा विपक्ष की कुल राशि से कई गुना ज़्यादा है। जब पैसा असमान होता है तो चुनाव बराबरी का नहीं रहता। पोस्टर, प्रचार, मीडिया, डिजिटल हर मोर्चे पर विपक्ष पिछड़ जाता है। राहुल गांधी इसी असंतुलन को लोकतंत्र के लिए ख़तरा मानते हैं। राहुल गांधी कहते हैं कि हमें जीत का भरोसा है लेकिन सिस्टम पर सवाल भी ज़रूरी है। ईवीएम पर बहस इसी भरोसे और फिक्र के बीच की रेखा है। सवाल उठाना हार की स्वीकारोक्ति नहीं लोकतंत्र की सेहत की जांच है।
विचलित अवस्था में पंहुचे राहुल
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने विदेशी धरती पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा भारत की चुनावी व्यवस्था पर सवाल उठाए जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी की बुद्धि अब देशविरोधी और अलगाववादी नेताओं जैसी हो गई है। केशव प्रसाद मौर्य ने लखनऊ में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं को विदेशी भूमि से निशाना बनाना सत्ता से दूर होने की विचलित अवस्था का परिणाम है। इस जन्म में प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं मिलने की हताशा और निराशा में दिया गया राहुल गांधी का यह बयान निंदनीय है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और उनसे तत्काल माफी मांगने की मांग करते हैं।
बीएलओ की मौत व एसआईआर पर सदन में तीखी तकरार
कांग्रेस व सपा ने सरकार पर किया प्रहार
शीतकालीन सत्र केदूसरे हफ्ते भी हंगामा
विपक्ष को संसदीय कार्यमंत्री ने दिया जवाब
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ । विधान सभा सत्र के दूसरे हफ्ते के दूसरे दिन भी खूब हंगामा हुआ। कांग्रेस व सपा ने बीएलओ क ी मौत के मामले में राज्यसरकार से जवाब मांगा। वहीं विधायक संग्राम सिंह यादव ने प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षण देने को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यूपी के चयन आयोग ने चुपके से माइग्रेशन की व्यवस्था समाप्त कर दी गई। छात्रों ने विरोध जताया तो उनके साथ पुलिस ने अभद्रता की।
विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि ज्यादातर बातें चुनाव आयोग के अंतर्गत आती हैं। उन्होंने आर्टिकल 13 का जिक्र करते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों ने अपने लोगों को खोया, उनके साथ हमारी संवेदना है। लेकिन, मौत कैसे हुई ये जांच का विषय है। मानवीय आधार पर हमारी संवेदना उनके परिवारों के साथ हैं। हम उनको बाकी सभी सरकारी कर्मचारियों के बराबर ही ट्रीट करेंगे।
एसआईआर की जल्दबाजी क्यों : आराधना मिश्रा
विधायक आराधना मिश्रा मोना ने यूपी में 10 बीएलओ की हुई मौतों पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि एसआईआर की जल्दबाजी क्यों थी? बिना किसी ट्रेनिंग के शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई। इससे अफसरों का उन पर अतिरिक्त दबाव था। इससे उनकी मौत हुई। उन्होंने मुरादाबाद के शिक्षक सर्वेश के सुसाइड की मौत का जिक्र किया। फतेहपुर में 27 वर्षीय लेखपाल ने शादी के एक दिन पहले सुसाइड कर लिया। एक महिला शिक्षक की काम के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई। ये तो महज वो घटनाएं थी जो सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आ गईं। बाकी न जाने कितनी घटनाएं हुई होंगी। इसके बाद भी सरकार ने इसकी जवाबदेही नहीं ली। प्रशासनिक लापरवाही के कारण शिक्षकों की जान गई। इस जल्दबाजी में सबसे ज्यादा गरीब, दलितों के नाम कटे। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार उनके परिजनों को नौकरी देगी?
वोट काटने का दबाव बनाते हैं बीएलओ : पारस
सपा विधायक पारस ने कहा कि यदि कोई बाहर रहता है तो बीएलओ उसका वोट काटने का दबाव बनाते हैं। कोई बाहर काम कर रहा है तो उसके घरवाले उसका फार्म भर सकते हैं लेकिन बीएलओ उसका भी नाम काटने का दबाव बना रहे हैं। यही नहीं पहले वोटर बनने पर कोई भी व्यक्ति आसानी से फार्म 6 भर सकता था। लेकिन, अब एफिडेविट मांगा जाता है। इसे बनवाने में करीब 600 रुपये खर्च होते हैं।
कार्ति चिदंबरम के खिलाफ कोर्ट ने तय किए आरोप
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। चीनी वीजा स्कैम मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप तय किए हैं। कोर्ट ने इस मामले में भास्कर रमन को भी आरोपी बनाया है। मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।
आरोप तय किए जाने पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया मुझे कई रास्ते देती है और मैं उन सभी रास्तों का इस्तेमाल करूंगा। कार्ति चिदंबरम और सात अन्य के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज (सीबीआई) दिग विनय सिंह ने सात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया और इस मामले में चेतन श्रीवास्तव नाम के एक व्यक्ति को बरी कर दिया। इससे पहले अक्टूबर 2024 में सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम और अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। ईडी ने वर्ष 2011 में 263 चीनी नागरिकों को वीजा जारी करने से संबंधित कथित घोटाले में आरोपियों के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया।
कथित घोटाले के समय कार्ति के पिता पी. चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।
अखलाक मॉब लिंचिंग: आरोपियों के खिलाफ चलेगा मुकदमा
यूपी सरकार को कोर्ट का करारा झटका
हत्यारोपियों के खिलाफ मामला वापस लेने की राज्य सरकार की याचिका को किया खारिज
अब केस पहुंचा इलाहबाद हाईकोर्ट
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नोएडा। उत्तर प्रदेश स्थित नोएडा के दादरी के बिसाहड़ा गांव में 2015 में हुए अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने कहा है कि हत्यारोपियों के खिलाफ मामला चलता रहेगा।
अदालत के इस फैसले के बाद बिसाहाड़ा अखलाक हत्याकांड में आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी। नोएडा स्थित सूरजपुर की अदालत ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने को लेकर शासन की ओर से दाखिल याचिका को सूरजपुर कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस मामले में आज अदालत में सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने अभियोजन पक्ष द्वारा केस वापस लेने के लिए लगाई गई अर्जी को महत्वहीन और आधारहीन मानते हुए निरस्त कर दिया। दूसरी ओर यूपी सरकार के केस वापस लेने के फैसले के खिलाफ मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। मृतक मोहम्मद अखलाक की पत्नी इकरामन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सरकार द्वारा ट्रायल कोर्ट में केस वापसी के आवेदन को चुनौती दी गई थी। इकरामन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इकरामन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका अधिवक्ता उमर जामिन के माध्यम से दाखिल की गई।याचिका में सरकार के कई प्रशासनिक और न्यायिक आदेशों को रद्द करने की मांग की गई है। 26 अगस्त 2025 के सरकारी आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है। डीएम, संयुक्त निदेशक अभियोजन और डीजीसी के आदेशों को भी चुनौती दी गई है। याचिका में केस वापसी की सिफारिश को गैरकानूनी बताया गया था. याचिका में 21 लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है। इसमें राज्य सरकार से लेकर आरोपी तक शामिल हैं।
प्रियंका गांधी में पीएम बनने वाले गुण: इमरान मसूद
बोलें कांग्रेस सांसद- उनको पीएम बनाओ और देखो वो इंदिरा गांधी की तरह कैसे पलटवार करेंगी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने मंगलवार को कहा कि अगर प्रियंका गांधी वाड्रा प्रधानमंत्री बन गईं, तो वह अपनी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह ही कड़ा जवाब देंगी। वह बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर प्रियंका गांधी की टिप्पणी का बचाव कर रहे थे।
इमरान मसूद ने कहा, क्या प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री हैं? उन्हें प्रधानमंत्री बनाइए और देखिए कि वह इंदिरा गांधी की तरह कैसे पलटवार करेंगी। वह प्रियंका गांधी हैं। उनके नाम के आगे गांधी लगा है। वह इंदिरा गांधी की पोती हैं, जिन्होंने पाकिस्तान को इतना नुकसान पहुंचाया कि वे घाव अभी तक भरे नहीं हैं। उन्हें प्रधानमंत्री बनाइए और देखिए कि वह कैसे पलटवार करेंगी। आप ऐसा करने की हिम्मत नहीं करेंगे। हाल ही में, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद हिंदू, ईसाई और बौद्ध अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा का संज्ञान लेने का केंद्र सरकार से आग्रह किया। वाड्रा ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की क्रूर हत्याओं की ओर इशारा किया। एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की क्रूर हत्या की खबर बेहद चिंताजनक है।
किसी भी सभ्य समाज में धर्म, जाति, पहचान आदि के आधार पर भेदभाव, हिंसा और हत्या मानवता के खिलाफ अपराध हैं। भारत सरकार को पड़ोसी देश में हिंदू, ईसाई और बौद्ध अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा का संज्ञान लेना चाहिए और बांग्लादेश सरकार के साथ उनकी सुरक्षा का मुद्दा मजबूती से उठाना चाहिए।
राहुल व प्रियंका को अलग-अलग न देखें
यह पूछे जाने पर कि अगर प्रियंका गांधी पीएम बनेंगी तो राहुल गांधी क्या करेंगे, सांसद ने कहा कि इनको अलग-अलग मत देखो। इमरान मसूद ने कहा कि ये दोनों इंदिरा गांधी (भूतपूर्व प्रधानमंत्री) के पोता पोती हैं। राहुल-प्रियंका कोई अलग-अलग थोड़े ही हैं। ये चेहरे पर दो आंख हैं। इनको अलग-अलग न देखें।



