वायु प्रदूषण पर किसानों को जिम्मेदार बताने वाले लोग माफी मांगे : राकेश टिकैत

सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका कि किसानों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं

नई दिल्ली। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-एसीआर के चारों बार्डर (सिंघु, शाहजहांपुर, टीकरी और गाजीपुर) पर जारी प्रदर्शन को आगामी 26 नवंबर को एक साल पूरा हो जाएगा। इस बीच दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुद्ïदा गरमाया हुआ है। दरअसल, दीवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। दिल्ली में वायु प्रदूषण में बढोतरी पराली का धुआं भी कुछ हद तक जिम्मेदार है। इसको लेकर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी गई है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली का योगदान मात्र 10 फीसदी है। इसको लेकर राजनीति जारी है। इसी क्रम में भारतीय किसान यूनियन के राष्टï्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि वायु प्रदूषण के लिए किसान या पराली जलने को जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के बयान का हवाला भी दिया है।

राकेश टिकैत ने ट्वीट किया कि पराली जलाने से अधिक वायु प्रदूषण का खलनायक ठहराने वाले किसानों से मांफी मांगे। सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका कि किसानों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं क्योंकि 10 फीसदी प्रदूषण ही पराली से होता है, वह भी डेढ़-दो माह के लिए। दरअसल, पिछले कई सालों से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली को माना जाता है। हालांकि ज्यादातर जानकारी दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण के लिए औद्योगिक और वाहनों के उत्सर्जन और आतिशबाजी के साथ-साथ किसानों द्वारा पराली जलाने को भी इसका प्रमुख कारण मानते हैं।

 

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