घूस देते- देते कंपनी कंगाल, भारत में कारोबार बंद, निर्मला सीतारमण पर उठे गंभीर सवाल
घूसकांड में घिरी एक विदेशी कंपनी ने भारत में अपना कारोबार पूरी तरह बंद कर दिया है.. आरोपों की आंच अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक पहुंच गई है..

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत की आर्थिक विकास की कहानी में एक काला अध्याय जुड़ गया है.. चेन्नई की एक छोटी लॉजिस्टिक्स कंपनी, विनट्रैक इंक ने रिश्वतखोरी और लगातार उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए भारत में अपना आयात-निर्यात कारोबार पूरी तरह बंद कर दिया है.. कंपनी का दावा है कि चेन्नई कस्टम विभाग के अधिकारियों ने उन्हें घूस देने के लिए मजबूर किया.. जिससे वे कंगाल हो गए.. इस मामले ने न सिर्फ व्यापारिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है.. बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी आग लगा दी है.. विपक्ष ने केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है.. और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर सीधे सवाल उठाए जा रहे हैं.. क्या यह एक छोटी कंपनी की कहानी है.. या भारत के व्यापारिक माहौल की कड़वी सच्चाई.. इस मामले पर विस्तार से चर्चा करेंगे…
विनट्रैक इंक की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं लगती.. यह कंपनी 2018 में चेन्नई में स्थापित हुई थी.. संस्थापक और सीईओ प्रॉविन गणेशन एक युवा उद्यमी हैं.. जिन्होंने अमेरिका से प्रेरणा लेकर भारत में लॉजिस्टिक्स का कारोबार शुरू किया.. कंपनी मुख्य रूप से आयात-निर्यात पर फोकस करती थी.. हेल्थ प्रोडक्ट्स और छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स सामान शामिल थे.. और उनका टारगेट था छोटे व्यापारियों को सस्ते दामों पर सामान उपलब्ध कराना..
शुरुआती सालों में सब कुछ ठीक चला.. 2020 में कोविड महामारी के दौरान.. जब हेल्थ प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ी.. विनट्रैक ने अच्छा प्रदर्शन किया.. कंपनी ने चेन्नई पोर्ट को अपना मुख्य हब बनाया.. क्योंकि तमिलनाडु भारत का एक बड़ा एक्सपोर्ट हब है.. 2023 तक उनके पास 20 से ज्यादा कर्मचारी थे.. और सालाना टर्नओवर करीब 5 करोड़ रुपये का अनुमान था.. लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब कस्टम क्लियरेंस के दौरान रुकावटें आने लगीं..
प्रॉविन गणेशन ने कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा है कि वे हमेशा नियमों का पालन करते थे.. हर शिपमेंट के लिए सही डॉक्यूमेंट्स, जीएसटी रिटर्न और कस्टम ड्यूटी का समय पर भुगतान करते थे.. लेकिन 2025 की शुरुआत से ही चेन्नई कस्टम हाउस के अधिकारी उनके सामान को बिना वजह रोकने लगे.. एक साधारण $7,000 (करीब 5.8 लाख रुपये) की शिपमेंट को क्लियर करने के लिए उन्हें 45 दिनों तक इंतजार करना पड़ा.. और अंत में क्लियरेंस के बदले 2.1 लाख रुपये की ‘अनौपचारिक फीस’ मांग ली गई.. यह रकम शिपमेंट वैल्यू का 36% से ज्यादा थी..
कंपनी के एक्स अकाउंट पर 1 अक्टूबर 2025 को पोस्ट किया गया कि भारत में अब कारोबार करना आसान नहीं, बल्कि जोखिम भरा है.. उनके बायो में अब लिखा है कि एक्सपोज्ड ब्राइबरी @चेन्नई कस्टम्स, फेस्ड रिवेंज.. लॉस्ट बिजनेस.. करप्शन वन दिस राउंड.. वहीं यह पोस्ट वायरल हो गई..
आपको बता दें कि सब कुछ 2025 के जून महीने से शुरू होता है.. विनट्रैक को अमेरिका से एक कंसाइनमेंट आया.. 500 यूनिट पर्सनल मसाजर्स, जिनकी कीमत कुल $7,000 थी.. सामान चेन्नई पोर्ट पर पहुंचा.. लेकिन कस्टम क्लियरेंस में देरी होने लगी.. सामान्यत ऐसा सामान 2-3 दिनों में क्लियर हो जाता है.. लेकिन यहां 10 दिन बीत गए..
प्रॉविन गणेशन ने बताया कि एक कस्टम अधिकारी ने फोन किया और कहा कि डॉक्यूमेंट्स में छोटी-मोटी दिक्कत है.. 50,000 रुपये दो, तो जल्दी हो जाएगा.. कंपनी ने इनकार कर दिया.. इसके बाद, शिपमेंट को ‘संवेदनशील’ कैटेगरी में डाल दिया गया.. अगले हफ्ते, एक और कॉल अब 1 लाख रुपये लगेंगे.. फिर से मना किया..
जुलाई में कंपनी ने पहली बार सार्वजनिक शिकायत की.. एक्स पर एक थ्रेड पोस्ट किया कि चेन्नई कस्टम्स में रिश्वतखोरी का नंगा नाच.. हमारी शिपमेंट रोकी गई.. सिर्फ इसलिए कि हम घूस नहीं दे रहे.. लेकिन इसके बाद बदला शुरू हो गया.. अगली शिपमेंट को 30 दिनों तक रोका गया.. अधिकारियों ने आरोप लगाया कि सामान ‘हेल्थ सेफ्टी स्टैंडर्ड्स’ पूरा नहीं करता.. कंपनी ने प्रमाण-पत्र दिखाए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई..
अगस्त-सितंबर में हालात बिगड़ गए.. कुल 5 शिपमेंट्स रोकी गईं.. जिनकी वैल्यू $50,000 से ज्यादा थी.. हर बार ब्राइब डिमांड बढ़ती गई.. आखिर में 2.1 लाख रुपये तक पहुंच गई.. प्रॉविन ने कहा कि हमने मजबूरी में एक बार 50,000 रुपये दिए.. लेकिन फिर भी सामान डैमेज हो गया.. स्टोरेज चार्जेस ने हमें कंगाल कर दिया.. कुल नुकसान 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का था.. जिसमें स्टॉक खराब होना, कर्मचारियों की सैलरी और कानूनी फीस शामिल है..
1 अक्टूबर 2025 को कंपनी ने आधिकारिक घोषणा की.. हम भारत में आयात-निर्यात बंद कर रहे हैं.. यह फैसला मजबूरी में लिया गया है.. उनके वेयरहाउस अब खाली पड़े हैं.. और 15 कर्मचारी बेरोजगार हो गए.. यह सिर्फ एक कंपनी की कहानी नहीं.. बल्कि सैकड़ों छोटे व्यापारियों की पीड़ा का प्रतीक है..
वहीं विनट्रैक ने कई प्रमाण दिए हैं.. सबसे पहले, उनके पास वॉट्सऐप चैट्स और कॉल रिकॉर्डिंग्स हैं.. जहां अधिकारी ब्राइब मांगते दिख रहे हैं.. एक रिकॉर्डिंग में अधिकारी कहते हैं: “सर, यह रूटीन है.. सब यही करते हैं.. कंपनी ने ये ऑडियो क्लिप्स एक्स पर शेयर कीं.. जो अब डिलीट हो चुकी हैं.. लेकिन स्क्रीनशॉट्स वायरल हैं..
सामान्य शिपमेंट 48 घंटों में क्लियर होती है.. लेकिन विनट्रैक की हर शिपमेंट पर 20-45 दिनों का समय लगा.. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और कस्टम बोर्ड के डेटा से पता चलता है कि चेन्नई पोर्ट पर औसत क्लियरेंस टाइम 3 दिन है.. लेकिन छोटी कंपनियों के लिए यह दोगुना हो जाता है..
कंपनी ने अपना बैलेंस शीट शेयर किया.. जिसमें दिखाया कि 2024 में प्रॉफिट 20% था, लेकिन 2025 में लॉस 40% हो गया.. स्टोरेज चार्जेस अकेले 30 लाख रुपये.. प्रॉविन ने कहा कि हमारे पास कोई ब्लैक मनी नहीं थी.. सब व्हाइट मनी से चला.. लेकिन घूस ने हमें दिवालिया बना दिया..
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2024 रिपोर्ट में भारत का करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 93वां स्थान है.. रिपोर्ट कहती है कि कस्टम्स और पोर्ट्स में 30% से ज्यादा मामलों में अनौपचारिक पेमेंट्स होते हैं.. विनट्रैक का केस इसी का उदाहरण है..
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं.. चेन्नई कस्टम हाउस ने विनट्रैक के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया.. उनके आधिकारिक एक्स हैंडल से 2 अक्टूबर को बयान जारी कर कहा कि कंपनी नियम तोड़ रही है.. उनके सामान में हेल्थ सर्टिफिकेशन की कमी थी.. हमने स्टैंडर्ड प्रोसीजर फॉलो किया.. ब्राइबरी का कोई सबूत नहीं..
कस्टम्स के मुताबिक, विनट्रैक ने गलत HS कोड (हार्मोनाइज्ड सिस्टम कोड) यूज किया.. जिससे शिपमेंट ‘प्रतिबंधित’ कैटेगरी में आ गई.. एक अधिकारी ने कहा कि छोटी कंपनियां अक्सर डॉक्यूमेंट्स में गलतियां करती हैं.. हम सख्ती बरतते हैं ताकि स्मगलिंग न हो..
CBIC के डेटा से पता चलता है कि 2025 में चेन्नई पोर्ट पर 500 से ज्यादा केसेज में क्लियरेंस डिले हुए.. लेकिन ज्यादातर वजह डॉक्यूमेंटरी इश्यूज थीं.. कस्टम्स ने विनट्रैक पर काउंटर-कंप्लेंट भी दर्ज की.. आरोप है कि कंपनी ने फर्जी इनवॉयसेस यूज की.. लेकिन अभी तक कोई चार्जशीट नहीं दाखिल हुई..
यह विवाद दोनों पक्षों को कमजोर कर रहा है.. विनट्रैक कहती है, “सबूत हैं, लेकिन डर से शेयर नहीं कर पा रहे.. कस्टम्स कहता है कि ट्रांसपेरेंसी है, लेकिन कंपनी प्रोपगैंडा कर रही है.. वहीं इस मामले ने वित्त मंत्रालय को हरकत में ला दिया.. 3 अक्टूबर को फाइनेंस मिनिस्ट्री ने आधिकारिक बयान जारी किया कि हमने चेन्नई कस्टम्स में भ्रष्टाचार के आरोपों की स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं.. डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस टीम भेजी जा रही है.. यह कदम स्वागतयोग्य है.. लेकिन देरी पर सवाल उठ रहे हैं..
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अभी तक व्यक्तिगत बयान नहीं दिया.. लेकिन बजट 2025 में उन्होंने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर जोर दिया था.. कहा था कि कस्टम क्लियरेंस टाइम 24 घंटे तक कम होगा.. विपक्ष पूछ रहा है कि फिर यह क्या हो रहा है.. मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि जांच पूरी होने पर एक्शन होगा.. हम जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर हैं..
पिछले साल CBIC ने 200 से ज्यादा कस्टम अधिकारियों पर कार्रवाई की थी.. जिनमें 50 को सस्पेंड किया गया.. लेकिन छोटे केसेज में देरी आम है.. विशेषज्ञ कहते हैं कि जांच 3-6 महीने लेगी.. तब तक कंपनी का नुकसान हो चुका.. यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है.. सबसे तेज रिएक्शन मोहंदास पाई का आया.. पूर्व इंफोसिस CFO ने एक्स पर लिखा कि मैडम सीतारमण, यह स्वीकार्य नहीं.. आप टैक्स टेररिज्म रोकने में फेल हो गईं.. सिस्टमिक करप्शन पोर्ट्स में फैला है.. मोदी जी, एक्शन लीजिए.. पाई ने कहा कि भारत को ग्लोबल हब बनाना है, लेकिन ऐसे हालात में विदेशी निवेशक भागेंगे…
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि ट्रूली डिस्मेयिंग.. चेन्नई कस्टम्स में करप्शन रैंपेंट है.. सरकार को जवाब देना चाहिए.. थरूर ने मिनिस्ट्री से RTI दाखिल करने की बात कही.. विपक्षी दलों ने संसद में हंगामा किया.. DMK नेता ने तमिलनाडु विधानसभा में मुद्दा उठाया.. केंद्र की नीतियां व्यापारियों को मार रही हैं.. CPI(M) ने कहा कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली सरकार गिरनी चाहिए.. BJP ने जवाब दिया कि यह लोकल इश्यू है.. हम जांच करवा रहे..
विनट्रैक का बंद होना सिर्फ एक कंपनी की हार नहीं.. तमिलनाडु में 50,000 से ज्यादा छोटे इंपोर्टर्स प्रभावित हो सकते हैं.. चेन्नई पोर्ट भारत का दूसरा सबसे बड़ा पोर्ट है.. जहां सालाना 1 करोड़ कंटेनर हैंडल होते हैं.. लेकिन छोटे व्यापारियों के लिए यह ‘रिश्वत का बाजार’ बन गया है.. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे केसेज निवेशकों का भरोसा तोड़ते हैं.. FDI 2025 में 10% गिर सकता है.. एक सर्वे में 60% छोटे बिजनेस ने कहा कि कस्टम्स में ब्राइब देना ‘नॉर्मल’ है..
विनट्रैक के कर्मचारियों की कहानी दिल दहला देती है.. एक पूर्व कर्मचारी ने कहा कि हमने 2 साल मेहनत की.. लेकिन एक रात में सब खत्म.. अब नौकरी ढूंढ रहे.. कंपनी के पार्टनर्स, जैसे लोकल रिटेलर्स.. अब वैकल्पिक सप्लायर्स ढूंढ रहे है…
भारत की ‘मेक इन इंडिया’ कैंपेन पर सवाल उठ रहे हैं.. सरकार का दावा है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग 63वीं है… लेकिन ग्राउंड रियलिटी अलग.. वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट कहती है, कस्टम्स प्रोसीजर्स में सुधार जरूरी है.. भारत में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं.. 2024 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने कहा, सालाना 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.. कस्टम्स में यह सबसे ज्यादा रहा.. क्योंकि यहां कैश फ्लो हाई है.. एक स्टडी में पाया गया कि पोर्ट्स पर 20-30% ट्रांजेक्शंस में अनौपचारिक पेमेंट्स ली जाती है..



