सपा विधायक इंद्रजीत सरोज का विवादित बयान, मंदिर और तुलसीदास पर की टिप्पणी
समाजवादी पार्टी के वारिष्ठ नेता और विधायक इंद्रजीत सरोज एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए है.. हाल ही में दिए गए एक भाशण में उन्होंने मंदिरों की भूमिका,प्राचीन ग्रंथों में कथित जाति भेदभाव, और तुलसीदास पर तीखी टिपण्णी कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः समाजवादी पार्टी के वारिष्ठ नेता और विधायक इंद्रजीत सरोज एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए है.. हाल ही में दिए गए एक भाषण में उन्होंने मंदिरों की भूमिका,प्राचीन ग्रंथों में कथित जाति भेदभाव, और तुलसीदास पर तीखी टिपण्णी कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी हैं। इंद्रजीत सरोज ने मंदिरों की शक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐतिहासिक आक्रमणों के समय भेदभाव का बढावा दिया गया, और इसी संदर्भ में उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्राचीन ग्रंथों में जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दिया गया, और इसी संदर्भ में उन्होंने तुलसीदास के लेखन पर भी निशाना साधा।
सिर्फ इतना ही नहीं, सरोज ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर भी योगी सरकार पर हमला बोला और कहा कि राज्य में “अराजकता और जातीय पक्षपात” हावी है। इसके साथ ही उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती पर भी तीखी आलोचना करते हुए उनके राजनीतिक रुख को “संघर्षविहीन” बताया। सरोज की इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक और धार्मिक संगठनों में नाराजगी देखी जा रही है। भाजपा नेताओं ने उनके बयान को “हिंदू आस्था पर हमला” करार देते हुए माफी की मांग की है, वहीं कुछ दलित संगठनों ने सरोज का समर्थन करते हुए उनके विचारों को “ऐतिहासिक सच” बताया। फिलहाल समाजवादी पार्टी की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। सोशल मीडिया पर भी सरोज के बयान को लेकर तीखी बहस जारी है।
समाजवादी पार्टी के विधायक इंद्रजीत सरोज ने मंदिरों की भूमिका और प्राचीन ग्रंथों में कथित जाति भेदभाव पर विवादास्पद टिप्पणी कर विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने मंदिरों की शक्ति पर सवाल उठाते हुए आक्रमणकारियों के प्रति उनकी कमजोरी को रेखांकित किया. तुलसीदास पर भी उन्होंने निशाना साधा. सरोज ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और मायावती पर भी आलोचना की.
आंबेडकर जयंती पर समाजवादी पार्टी की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए सरोज ने मंदिरों की आध्यात्मिक शक्ति पर सवाल उठाया और आक्रमणकारियों के खिलाफ उनकी कथित कमजोर ताकत को इससे जोड़ा. उन्होंने कौशांबी में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर भारत के मंदिरों में शक्ति होती, तो मुहम्मद-बिन-कासिम नहीं आता, महमूद गजनवी नहीं आता, मुहम्मद गौरी आकर इस देश को नहीं लूटता. इसका मतलब है कि मंदिरों में कोई शक्ति नहीं थी.
तुलसीदास पर भी की टिप्पणी
इंद्रजीत सरोज ने तुलसीदास पर भी हमला किया और कहा कि तथाकथित ‘नकली हिंदुओं’ के खिलाफ इतना कुछ लिखा, लेकिन मुसलमानों के बारे में उन्होंने कुछ अच्छा या बुरा क्यों नहीं लिखा? उन्हें ऐसा करना चाहिए था. मुगल काल में उनमें हिम्मत नहीं थी।हमारे लिए उन्होंने बहुत सारी नकारात्मक बातें लिखीं और हम उन्हें पढ़ते रहते हैं.
सरोज ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी निशाना साधा और व्यापक अन्याय और अत्याचार का आरोप लगाया.
उन्होंने रामजीलाल सुमन के मामले और करछना में एक दलित व्यक्ति की हत्या सहित कई मुद्दों से निपटने की आलोचना की. सरोज ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में कोई कानून व्यवस्था नहीं है. हम बड़े पैमाने पर अन्याय और अत्याचार देख रहे हैं.’ सपा नेता ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर भी निशाना साधा और उन पर बीजेपी के साथ गठबंधन करने का आरोप लगाया. सरोज ने दावा किया, ‘मायावती ने बीजेपी के सामने सरेंडर कर दिया है. वह अब बीजेपी की सहयोगी मात्र रह गई हैं.’
कांग्रेस ने किया सपा नेता के बयान का बचाव
इंद्रजीत सरोज के बयान का कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने बचाव किया है. उन्होंने कहा, ‘यह भी सच है कि अगर भगवान को राजनीति में लाया जाएगा तो वह मंदिरों में भी नहीं रहेंगे. आजकल भगवान को राजनीति में लाया जा रहा है. भगवान का स्थान मंदिरों से ज्यादा दिलों में होना चाहिए. उन्हें लोगों की आस्था में होना चाहिए, अब इसके साथ भी खिलवाड़ हो रहा है, फिर मंदिरों में भगवान कैसे मिलेंगे.’ विजय वडेट्टीवार ने कहा, ‘मुझे समझ नहीं आता कि इंद्रजीत सरोज का क्या इरादा था. मैं भगवान की शक्तियों पर टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन उनका नाम लेकर भ्रष्ट राजनीति करना भगवान की शक्तियों को कमजोर करने और अपनी शक्तियों को बढ़ाने का प्रयास है, यही आजकल राजनीति में हो रहा है.