एसटी हसन का बीजेपी पर तंज, नमाज के लिए नहीं मिलता ब्रेक, फिर योग पर क्यों?
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले एक बार फिर योग को लेकर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है... सपा के वरिष्ठ नेता डॉ. एसटी हसन ने...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 से पहले एक बार फिर उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है…….. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुरादाबाद से पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने योग दिवस के मौके पर…… सरकारी कर्मचारियों को दिए जा रहे विशेष ब्रेक पर सवाल उठाकर नया विवाद खड़ा कर दिया है……. उनका कहना है कि अगर सरकार योग के लिए विशेष ब्रेक दे सकती है…….. तो मुस्लिम कर्मचारियों को नमाज के लिए भी समय देना चाहिए…… वहीं यह बयान न केवल धार्मिक समानता और सरकारी नीतियों की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है…….. बल्कि केंद्र और उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला खड़ा करता है……
उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र के आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत सभी सरकारी कार्यालयों में रोजाना 5 से 10 मिनट के ‘वाई-ब्रेक योगा’ सत्र शुरू करने का फैसला किया है…… इस पहल का मकसद कर्मचारियों को तनाव से राहत देना…… और उनकी शारीरिक-मानसिक सेहत को बेहतर करना है……. लेकिन डॉ. हसन के बयान ने इस पहल को धार्मिक असंतुलन और भेदभाव के मुद्दे से जोड़ दिया है……
समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने मुरादाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान योग दिवस पर सरकारी कर्मचारियों को दिए जा रहे विशेष ब्रेक पर तीखा हमला बोला…… और उन्होंने कहा कि योगा डे पर ब्रेक देने की कोई आवश्यकता नहीं है……. कर्मचारी चाहें तो घर से योग करके कार्यालय आ सकते हैं…….. जब मुसलमानों को नमाज के लिए आधे घंटे का भी ब्रेक नहीं दिया जाता…… तो योग के लिए विशेष ब्रेक देना कहां तक उचित है…..
डॉ. हसन ने स्पष्ट किया कि उनका योग के खिलाफ कोई विरोध नहीं है….. और उन्होंने कहा कि हम योग के विरोध में नहीं हैं…… योग एक अच्छी चीज है…… जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है…… लेकिन सरकार को दोहरा रवैया नहीं अपनाना चाहिए…… अगर योग के लिए ब्रेक दिया जा सकता है……. तो नमाज के लिए भी ब्रेक देना चाहिए…… नीतियों में पारदर्शिता और समानता होनी चाहिए…..
आपको बता दें कि उनका यह बयान उस समय आया है……. जब उत्तर प्रदेश सरकार ने योग को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं…….. सरकार ने न केवल योग दिवस के लिए भव्य आयोजनों की योजना बनाई है……. बल्कि सरकारी कार्यालयों में रोजाना ‘वाई-ब्रेक योगा’ सत्र लागू करने का भी फैसला किया है……. डॉ. हसन का तर्क कि कार्य समय के दौरान ब्रेक की जरूरत नहीं है…… क्योंकि कर्मचारी सुबह योग कर सकते हैं……
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 को भव्य रूप से मनाने की तैयारी की है……. इसके तहत 15 से 21 जून तक विशेष योग सप्ताह मनाया जाएगा……. जिसमें 21 जून को राज्य के 4,075 स्थानों पर सामूहिक योगाभ्यास होगा…… इसके साथ ही सरकार ने सभी सरकारी कार्यालयों में रोजाना 5 से 10 मिनट के ‘वाई-ब्रेक योगा’ सत्र शुरू करने का ऐलान किया है…….. इस सत्र का उद्देश्य कर्मचारियों को कार्य के दौरान तनाव से राहत देना……. उनकी एकाग्रता बढ़ाना और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करना है……
‘वाई-ब्रेक योगा’ में हल्के योगाभ्यास शामिल होंगे…… जैसे गर्दन, पीठ और कमर की जकड़न दूर करने वाले आसन, माइंडफुलनेस तकनीकें…… और गहरी सांस लेने के व्यायाम…… सरकार का दावा है कि यह सत्र कर्मचारियों की कार्यक्षमता को बढ़ाएंगे……. और उन्हें तनावमुक्त रखेंगे…….. इसके लिए 5,000 प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों को तैयार किया गया है…….. जो गांव से लेकर शहर तक योग का प्रचार करेंगे….. साथ ही प्रदेश में 1,000 योग पार्क बनाने की योजना भी है……… ताकि लोग नियमित रूप से योग कर सकें……
सरकार ने इस अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल टूल्स जैसे ‘नमस्ते योग ऐप’, ‘वाई-ब्रेक ऐप’, योगा कैलेंडर…… और योग शब्दावली को बढ़ावा देने का फैसला किया है…… इसके लिए व्यापक प्रचार अभियान और एनजीओ के माध्यम से कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी…..
डॉ. एसटी हसन का बयान योग दिवस के इर्द-गिर्द चल रही बहस को नई दिशा देता है…… समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक असंतुलन और भेदभाव का मुद्दा बनाकर बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश की है……. हसन का तर्क है कि अगर सरकार योग के लिए विशेष ब्रेक दे सकती है……. तो नमाज के लिए भी समान अवसर देना चाहिए…..
वहीं विपक्ष का यह भी आरोप है कि बीजेपी सरकार योग को बढ़ावा देकर एक खास धार्मिक और सांस्कृतिक एजेंडा थोपने की कोशिश कर रही है……… समाजवादी पार्टी के नेताओं का कहना है कि योग को स्वास्थ्य और कल्याण से जोड़कर देखा जाना चाहिए…….. न कि इसे किसी धार्मिक प्रतीक के रूप में पेश किया जाना चाहिए…… डॉ. हसन ने कहा कि योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है……. लेकिन इसे धार्मिक रंग देना और इसे अनिवार्य करने की कोशिश गलत है……
केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 को ‘योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ थीम के साथ मनाने का फैसला किया है…….. इस साल का आयोजन विशाखापत्तनम में होगा….. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ढाई लाख लोगों के साथ योग करेंगे……. केंद्रीय आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने बताया कि इस आयोजन में 40 देशों के लोग भी शामिल होंगे……. और करीब 5 लाख लोग एक साथ योग करेंगे…..
उत्तर प्रदेश में भी योग दिवस को भव्य रूप से मनाने की तैयारियां हैं……. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योग को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने पर जोर दिया है……. राज्य सरकार ने 1,000 योग पार्क बनाने और 4,075 स्थानों पर सामूहिक योगाभ्यास आयोजित करने की योजना बनाई है……. इसके अलावा सरकार ने नोडल मंत्रियों और विधायकों की सूची जारी की है……. जो योग दिवस के आयोजनों की निगरानी करेंगे……
डॉ. हसन के बयान ने न केवल योग दिवस के आयोजन पर सवाल उठाए हैं……. बल्कि सरकारी नीतियों में बदलाव की मांग को भी हवा दी है…… विपक्ष का कहना है कि अगर सरकार कर्मचारियों के स्वास्थ्य….. और कल्याण के लिए कदम उठा रही है…… तो उसे सभी धर्मों और समुदायों के लिए समान अवसर प्रदान करने चाहिए……
समाजवादी पार्टी के नेताओं ने सुझाव दिया है कि अगर ‘वाई-ब्रेक योगा’ सत्र अनिवार्य किए जा रहे हैं……… तो कर्मचारियों को नमाज, प्रार्थना या अन्य धार्मिक गतिविधियों के लिए भी वैकल्पिक समय दिया जाना चाहिए……. इससे न केवल धार्मिक समानता सुनिश्चित होगी….. बल्कि सरकार की नीतियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता भी बढ़ेगी…….
आपको बता दें कि डॉ. हसन का बयान उत्तर प्रदेश में पहले से ही संवेदनशील धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल को और गरमाने वाला साबित हो सकता है……. योग को लेकर पहले भी कई बार विवाद हो चुके हैं…….. खासकर तब जब कुछ संगठनों और नेताओं ने इसे हिंदू धर्म से जोड़ने की कोशिश की…….. विपक्ष का तर्क है कि सरकार की नीतियां सभी समुदायों के लिए समान होनी चाहिए……. ताकि किसी भी समूह में असंतोष न पैदा हो…..
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 से पहले उठा यह विवाद बीजेपी सरकार के लिए एक नई चुनौती पेश करता है……. जहां एक ओर सरकार योग को वैश्विक मंच पर भारत की पहचान के रूप में पेश कर रही है……. वहीं विपक्ष इसे धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है…..
डॉ. एसटी हसन का बयान और विपक्ष की मांगें सरकार को नीतिगत बदलाव पर विचार करने के लिए मजबूर कर सकती हैं…… क्या सरकार नमाज या अन्य धार्मिक गतिविधियों के लिए भी ब्रेक की व्यवस्था करेगी…….. या फिर योग को पूरी तरह से स्वास्थ्य और कल्याण से जोड़कर इस विवाद को शांत करने की कोशिश करेगी…..



