सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने जज मुरलीधरन के तबादले की सिफारिश दोहराई, मणिपुर हिंसा का कारण बना था उनका आदेश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने जस्टिस एमवी मुरलीधरन का तबादला मणिपुर हाई कोर्ट से कलकत्ता हाई कोर्ट करने की नौ अक्टूबर की अपनी पिछली सिफारिश दोहराई है। जस्टिस मुरलीधरन की पीठ ने 27 मार्च को मणिपुर सरकार को आदेश दिया था कि वह मैतेयी संगठन के उस प्रतिवेदन पर विचार करे, जिसमें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग की गई है।
इस आदेश बारे में कहा जा रहा है कि यह राज्य में जातीय संघर्ष का तात्कालिक कारण था। घाटी में एक तरफ मैतेयी रहते हैं और दूसरी तरफ पहाडिय़ों में कुकी और अन्य आदिवासी रहते हैं। सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कलेजियम ने कहा कि उसने जस्टिस मुरलीधरन के अनुरोध पर विचार किया लेकिन उसे इसमें कोई दम नजर नहीं आया। कलेजियम ने जस्टिस मुरलीधरन के इस अनुरोध को खारिज कर दिया कि उन्हें कलकत्ता स्थानांतरित करने के बजाय मद्रास हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए या मणिपुर हाई कोर्ट में रहने दिया जाए।
हाई कोर्टों में जज के लिए 13 नामों की सिफारिश प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने विभिन्न हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए 13 न्यायिक अधिकारियों के नामों की सिफारिश की है। इसने दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए न्यायिक अधिकारियों शालिंदर कौर और रविंदर डुडेजा के नाम की सिफारिश की।
वहीं, एक अन्य फैसले में कलेजियम ने केरल हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए पांच न्यायिक अधिकारियों के नामों की सिफारिश की। इनमें एमबी स्नेहलता, जानसन जान, जी. गिरीश, सी प्रतीपकुमार और पी कृष्णा कुमार शामिल हैं। इसने बांबे हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए तीन न्यायिक अधिकारियों अभय जयनारायणजी मंत्री, श्याम छगनलाल चांडक और नीरज प्रदीप धोटे के नाम की भी सिफारिश की।
इनके अलावा न्यायिक अधिकारी विमल कन्हैयालाल व्यास को गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की और न्यायिक अधिकारियों बिस्वजीत पालित तथा सब्यसाची दत्ता पुरकायस्थ को त्रिपुरा हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की।

 

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