सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस प्रशिक्षुओं को वजीफा न देने पर एनएमसी को लगाई को लगाई फटकार

नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ में सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस इंटर्नशिप कर रहे उम्मीदवारों को भत्ता न देने के चलते राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एमबीबीएस प्रशिक्षुओं के हित में एनएमसी को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग क्या कर रहा है? ये युवा डॉक्टर 16 से 20 घंटे काम कर रहे हैं, यह बंधुआ मजदूरी जैसा है।’’ आपको बता दें कि यह सुनवाई इस मामले में की गयी जिसमें कहा गया कि देश के 70 फीसदी मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस प्रशिक्षुओं को निर्धारित भत्ता नहीं दे रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की यह आलोचना देश के ऐसे 70 फीसदी संस्थानों की है जो अपना यहां इंटर्नशिप कर रहे उम्मीदवारों को तय वजीफा नहीं दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा एडमिशन के समय यह संस्थान सीट देने के लिए भारी भरकर डोनेशन तो लेते हैं लेकिन जब भत्ता देने की बात आती है तो यह पीछे रह जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह टिप्पणी तब की गयी है जब एक वकील ने यह आरोप दोहराया कि देश के 70 प्रतिशत मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस इंटर्न को अनिवार्य वजीफा का भुगतान नहीं कर रहे हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एमबीबीएस कर रहे उम्मीदवारों को अंतिम वर्ष में इंटर्नशिप करना अनिवार्य होता है। इस इंटर्नशिप के दौरान उम्मीदवारों के लिए निर्धारत वजीफा/ भत्ता दिया जाता है जो कि देश के 70 फीसदी संस्थान नहीं दे रहे हैं। इसी मामले में देश के सुप्रीम कोर्ट ने एनएमसी को फटकार लगाई है।

 

Related Articles

Back to top button