सुप्रीम कोर्ट का दखल से इंकार

नई दिल्ली। बंद किए गए नोटों को स्वीकार करने के अलग-अलग मामलों पर विचार करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को याचिकाकर्ताओं को केंद्र सरकार से संपर्क करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के कारण कठिनाइयों का सामना करने का दावा करने वाले लोगों के व्यक्तिगत आवेदनों में निर्देश जारी करने से इनकार किया और कहा कि भारत संघ 12 सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार आपको किए गए अभ्यावेदन का निपटान करें।
केंद्र सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को सभी 500 और 1,000 के नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की। अदालत में नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली अलग-अलग कुल 58 याचिकाएं दाखिल की गई। सभी याचिकाओं की सुनवाई इसी साल 12 अक्टूबर को शुरू हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ जिसमें जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर, एएस बोपन्ना, जस्टिस बीवी नागरत्ना, बीआर गवई, वी रामासुब्रमण्यम की संवैधानिक बेंच ने 7 दिसंबर 2022 को ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा है कि नोटबंदी की प्रक्रिया गलत नहीं थी और कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही करार दिया था।

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