सुप्रीम कोर्ट की इस राज्यपाल को फटकार, कहा- गवर्नर के पास नहीं है यह अधिकार..

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल को फटकार लगाई हैं...गवर्नर के पास वीटों का अधिकार नहीं हैं...जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया- कि गवर्नर को विधेयक पर अपनी सहमति या असहमति जताने का अधिकार है, लेकिन इसे रोकने का कोई अधिकार नहीं है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल को फटकार लगाई हैं…गवर्नर के पास वीटों का अधिकार नहीं हैं…जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया- कि गवर्नर को विधेयक पर अपनी सहमति या असहमति जताने का अधिकार है, लेकिन इसे रोकने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने तमिलनाडु राज्यपाल द्वारा एक विधेयक पर लंबे समय से असहमति जताए जाने को लेकर कड़ी टिप्पणियां की और इसे संविधान के खिलाफ बताया। इस फैसले ने राज्यपाल के शक्तियों की सीमा को लेकर जारी विवाद को और हवा दी है।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने अपने निर्णय में कहा- कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास कोई विवेकाधिकार नहीं है और उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता से ही काम करना होता है।सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के विवेकाधिकार के बिना कार्य करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, राज्यपाल द्वारा विधेयकों को लम्बे समय तक रोके रखने को संविधान के खिलाफ बताया।

‘राज्यपाल के पास वीटो का अधिकार नहीं’
सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा- कि राज्यपाल किसी विधेयक को रोक नहीं सकते और न ही किसी विधेयक पर वीटो या पॉकेट वीटो नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कि राज्यपाल या तो विधेयक को मंजूरी दे सकते हैं या फिर उस विधेयक को राष्ट्रपति के पास विचार करने के लिए भेज सकते हैं। पीठ ने कहा-कि राज्यपाल दूसरी बार राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजने की बात कहकर विधेयक को नहीं रोक सकते।

Related Articles

Back to top button