जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा के मानसून सत्र में होगा पेश
दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश रहे जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने से संबंधित प्रस्ताव अब संसद के आगामी मानसूत्र सत्र में लोकसभा में पेश किया जाएगा।

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश रहे जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने से संबंधित प्रस्ताव अब संसद के आगामी मानसूत्र सत्र में लोकसभा में पेश किया जाएगा।
यह फैसला उस समय लिया गया जब जस्टिस वर्मा के आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने की खबर सामने आई। मामले की जांच फिलहाल जारी है। लोकसभा में इस तरह का प्रस्ताव लाने के लिए संविधान के अनुसार कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर अनिवार्य होते हैं। इस प्रक्रिया की शुरूआत सरकार ने कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और एनडीए के कई सांसद पहले के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।
सरकार की कोशिश है कि इस प्रस्ताव को सर्वदलीय समर्थन प्राप्त हो। इसके लिए अन्य राजनीतिक दलों से भी संपर्क साधा जा रहा है ताकि प्रस्ताव को व्यापक समर्थन मिल सके और इसे प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाया जा सके।इससे पहले विचार किया जा रहा था कि प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाए या राज्यसभा में। हालांकि, अब यह तय हो गया है कि प्रस्ताव लोकसभा में ही पेश किया जाएगा। इस घटनाक्रम को देश की न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
लोकसभा के मानसून सत्र में पेश होगा प्रस्ताव
सरकार इससे पहले विचार कर रही थी कि जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में लाया जाए या राज्यसभा में. हालांकि, अब सूत्रों के मुताबिक, सामने आया है कि प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाएगा. कानून के अनुसार, हटाने के प्रस्ताव को लोकसभा के 100 सांसदों का समर्थन प्राप्त होना जरूरी है. जबकि राज्यसभा के लिए यह संख्या 50 है.
जांच समिति ने सौंपी थी 64 पेज की रिपोर्ट
इससे पहले जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास से जले नोटों की कथित बरामदगी के बाद जांच की जा रही थी. इस मामले में जांच करने वाली समिति ने 19 जून को अपनी 64 पेजों वाली रिपोर्ट सौंपी थी. उन्होंने रिपोर्ट में कहा था कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के लोगों का उस स्टोर रूम पर गुप्त या सक्रिय कंट्रोल था, जहां से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस बरामदगी से जस्टिस वर्मा के कदाचार का पता चलता है. साथ ही कहा गया कि यह इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए.
इस मामले में जस्टिस वर्मा ने खुद को निर्दोष बताया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त की गई समिति ने उन्हें दोषी ठहराया है. इस बीच विवाद के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस वर्मा को ट्रांसफर किया गया है. जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया.



