करेंसी बाजार में मचा हाहाकार, डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 90 के पार

मई के महीने में जब डॉलर के मुकाबले में रुपया 84 के लेवल से ऊपर उठते हुए 83 के लेवल पर आया था, तब सभी को लगा था कि देश की करेंसी एक बार फिर से 80 के लेवल पर आकर मजबूत होगी. लेकिन तब से अब तक 7 महीने का समय बीत चुका है. इस दौरान डॉलर के मुकाबले में रुपया करीब 8 फीसदी तक लुढ़क चुका है. बुधवार को डॉलर के मुकाबले में पहली बार 90 के लेवल को पार कर गया. जानकारों की मानें तो लोकल लेवल पर डॉलर की बढ़ती डिमांड और विदेशी निवेशकों की मुनाफावसूली के कारण रुपए में गिरावट देखने को मिली है.
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या रुपए में और गिरावट आएगी? जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले में और गिरावट देखने को मिल सकती है. जिसके 91 के लेवल के पार जाने के आसार हैं. वैसे फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती और आरबीआई एमपीसी के रुख को देखने के बाद रुपया अपनी चाल बदल सकता है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रुपया डॉलर के मुकाबले में किस लेवल पर कारोबार कर रहा है.
रुपया पहली बार 90 के पार
बुधवार को रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 90 के स्तर को पार कर गया और शुरुआती कारोबार में 6 पैसे गिरकर 90.02 पर आ गया. ऐसा बैंकों की ओर से हाई लेवल पर अमेरिकी डॉलर की खरीद जारी रखने और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी जारी रहने के कारण हुआ. हालांकि, फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स के अनुसार, कमजोर डॉलर इंडेक्स और ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी ने इस भारी गिरावट को कम किया.
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में, रुपया डॉलर के मुकाबले 89.96 पर खुला और 90.15 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक लुढ़क गया, लेकिन फिर कुछ सुधार के साथ 90.02 पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले बंद भाव से 6 पैसे कम था. मंगलवार को, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 43 पैसे गिरकर 89.96 के लाइफटाइम लोअर लेवल पर बंद हुआ, जिसका मुख्य कारण सट्टेबाजों द्वारा लगातार शॉर्ट-कवरिंग और अमेरिकी करेंसी के लिए आयातकों की निरंतर मांग थी.
क्यों आई रुपए में गिरावट
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी हेड और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इंपोर्टर्स की मदद करना चाहते हैं, जिससे रुपया कमजोर हो रहा है और पिछले कुछ दिनों में डॉलर की बोली अच्छी बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि नेशनलाइज बैंक कल यानी मंगलवार को लगातार डॉलर खरीद रहे थे… ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर बाज़ार बंद होने के बाद 90.0050 पर एक सौदा हुआ. भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में रुकावट और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारी निकासी के कारण डॉलर सूचकांक कमजोर होने के बावजूद रुपये में यह गिरावट आई है.
भंसाली ने कहा कि अगर आरबीआई का सपोर्ट 90 पर कम होता है, तो इस साइकिल में रुपया 91 के स्तर तक पहुंच सकता है. एमपीसी की बैठक बुधवार को शुरू हो रही है और ब्याज दर पर फैसला 5 दिसंबर को घोषित किया जाएगा. जबकि फेड अपनी पॉलिसी रेट का ऐलान 10 दिसंबर को करेगा. उन्होंने कहा कि आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती से रुपए में और बिकवाली हो सकती है.
डॉलर और कच्चे तेल और बाजार में गिरावट
इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.13 प्रतिशत की गिरावट के साथ 99.22 पर कारोबार कर रहा था.
वहीं दूसरी ओर इंटरनेशनल मार्केट में खाड़ी देशों के कच्चे तेल ब्रेंट क्रूड में भी गिरावट देखने को मिली है. आंकड़ों के अनुसार ब्रेंट क्रूड 0.03 फीसदी की गिरावट के साथ 62.43 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था.
घरेलू शेयर बाजार के मोर्चे पर, शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 165.35 अंक गिरकर 84,972.92 पर आ गया, जबकि निफ्टी 77.85 अंक गिरकर 25,954.35 पर आ गया.
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 3,642.30 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. वैसे दिसंबर के महीने में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से 4,335 करोड़ रुपए निकाल लिए हैं.
7 महीने में 8 फीसदी की गिरावट
वैसे रुपए की वैल्यू में डॉलर के मुकाबले में करीब 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. आंकड़ों को देखें तो रुपया 2 मई को 83.76 के लेवल पर साल के हाई पर था. जोकि 3 दिसंबर को 90.15 के लेवल के साथ लाइफ टाइम लोअर लेवल पर आ गया. इसका मतलब है कि रुपए में डॉलर के मुकाबले में 6.39 रुपए की गिरावट देखने को मिल चुकी है. इसका मतलब है कि डॉलर के मुकाबले में रुपया करीब 8 फीसदी तक धराशाई हो चुका है.

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