सच दिखाने की आदत बनी आफत

  • केंद्र सरकार के निशाने पर एक बार फिर आया 4क्करू यूट्यूब चैनल
  • राष्ट्र विरोधी बताकर लगाया गया था बैन
  • लोकसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंप चैनल पर कार्रवाई की मांग की

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सत्ता की गलत करतूत के सबूत दिखा दो तो जनता केजो अग्रदूत बने होते हैं उनके लिए सत्ताधीश बिना देर किए यमदूत बन जाते हैं। हमेशा निरंकुश सत्ताधारियों केमनमानी को उजागर करने में आगे रहने वाले जन-जन की आवाज यूट्यूब चैनल 4पीएम को एकबार फिर उन्हीं लोगों का शिकार होना पड़ा है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के ताजा बयान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सत्ता के गलियारों में सबसे बड़ा डर अब विपक्षी दलों या बड़े नेताओं से नहीं बल्कि सच बोलने वाले मीडिया प्लेटफॉम्र्स से है। सांसद निशिकांत दुबे जो राहुल गांधी, सोनिया गांधी, लालू यादव और अखिलेश यादव जैसे नेताओं पर विवादस्पद और अपमानजनक बयान देने के लिए कुख्यात हैं अब 4पीएम जैसे यूट्यूब चैनल पर बरस रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर 4पीएम का एक थंबनेल शेयर करते हुए कहा है कि ऐसे प्लेटफॉर्म भारत को बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका या थाईलैंड बना देंगे।

भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने 4PM के थंबनेल को किया टैग

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 4पीएम के एक थंबनेल को टैग करते हुए लिखा है कि इस तरह के यूट्यूब और फेसबुक चैनलों के खिलाफ संसदीय समिति ने लोकसभा अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने यहां तक कहा कि हम भारत को बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका या थाईलैंड नहीं बनने देंगे।

पहले भी हो चुका है संपादक संजय शर्मा पर सरकारी हमला

यह कोई पहला मौका नहीं है जब सरकार ने 4पीएम या इसके संपादक संजय शर्मा को निशाना बनाया हो। कभी उनके खिलाफ आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) की टीमें गठित की गईं, कभी उनके दफ्तर पर हमला हुआ। सरकार ने उनकी पत्रकार मान्यता रद्द कर दी, अखबार को मिलने वाले विज्ञापन रोक दिए, इनकम टैक्स और ईडी की जांचें पीछे लगा दी गईं।

इस सवाल का तो जवाब देना ही होगा सांसद जी

सवाल यह है कि क्या सच बोलना अब इतना खतरनाक हो गया है कि उसे पड़ोसी मुल्कों की दुहाई देकर दबाया जाए? दरअसल सत्ता का असली संकट यही है। 4पीएम महज एक चैनल नहीं बल्कि जनता की आवाज है। एक ऐसा मंच जो उन मुद्दों को उठाता है जिन्हें बड़े-बड़े कॉरपोरेट घरानों से पोषित टीवी चैनल छूने से भी डरते हैं। यही वजह है कि इस सरकार ने पहले बिना किसी नोटिस, बिना किसी सूचना, 4पीएम को बंद कर दिया था। और फिर जब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया तो वही सरकार जिसने इसे रोका था चैनल को चलाने पर मजबूर हो गई।

‘सुप्रीम’ चौखट तक पहुंचा था चैनल के बैन का मामला

हाल ही में पहलगाम हमले के बाद चैनल को यह कहकर बंद कर दिया गया कि वह राष्ट्र विरोधी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की दलीलों के बाद संजय शर्मा को जीत मिली और चैनल दोबारा चालू हो गया। इस कार्रवाई की आलोचना सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के बड़े मीडिया संस्थानों ने की। और जब सरकार ने चैनल पर ताले लगाने की कोशिश की, तो संजय शर्मा ने 24 घंटे के भीतर ही दुबई पहुंचकर 4PM Middle East लॉन्च कर यह साबित कर दिया कि वह डरने वालों में से नहीं हैं।

डेढ़ साल से यूट्यूब न्यूज चैनलों में लगातार नंबर वन पर काबिज

दरअसल, सरकार की यह बौखलाहट 4पीएम की ताकत का सबसे बड़ा सबूत है। पिछले डेढ़ साल से यह चैनल देश के सभी यूट्यूब न्यूज चैनलों में लगातार नंबर वन पर है। हर दिन करीब सवा करोड़ व्यूज जुटाकर इसने मीडिया जगत में तहलका मचा दिया है। सरकार से सीधे सवाल पूछने की हिम्मत कर संजय शर्मा ने जो साहस दिखाया है, वही आज सरकार की बेचैनी का कारण है। निशिकांत दुबे का ट्वीट इस बेचैनी की ताजा मिसाल है।

नया नहीं है संघर्ष

यह सिलसिला नया नहीं है। जब भी सत्ता को लगे कि उसके खिलाफ सच जनता तक पहुंच रहा है, वह पूरी ताकत से उसे कुचलने में लग जाती है। कभी आईटी सेल की ट्रोल आर्मी उतारी जाती है कभी संसदीय समितियों की आड़ ली जाती है। कभी कानून-व्यवस्था का डर दिखाया जाता है। लेकिन हकीकत यह है कि सच की आवाज न कभी दबाई जा सकी है और न कभी दबाई जा सकेगी।

4क्करू बना गले की हड्डी

निशिकांत दुबे का बयान इस बात का खुला इशारा है कि 4पीएम जैसे चैनल अब भाजपा के लिए गले की हड्डी बन चुके हैं। क्योंकि ये चैनल स्क्रिप्टेड न्यूज नहीं पढ़ते बल्कि जनता के सवाल पूछते हैं। और आज के भारत में यही सबसे बड़ा अपराध माना जाने लगा है। सवाल तो यह भी है कि अगर सबकुछ संविधान के हिसाब से हो रहा है, अगर सरकार जनता के लिए काम कर रही है, तो फिर इस तरह के चैनल से डर किस बात का? वास्तविकता यह है कि यह डर बेनकाब करता है सत्ता की बेचैनी को। निशिकांत दुबे का बयान महज एक सांसद का व्यक्तिगत गुस्सा नहीं, बल्कि पूरे सत्ता तंत्र की घबराहट का आईना है।

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