UAE Food Bank बना गरीबों का सहारा, 2.5 करोड़ लोगों ने मुफ्त में खाया भरपेट खाना

संयुक्त अरब अमीरात का फूड बैंक एक बहुत बड़ी और नेक पहल है जो भूख से लड़ने का काम करता है। यह बैंक 2017 में शुरू हुआ था, और इसे शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ग्लोबल इनिशिएटिव्स के तहत लॉन्च किया गया था।

4पीएम न्यूज नेटवर्क:  संयुक्त अरब अमीरात का फूड बैंक एक बहुत बड़ी और नेक पहल है जो भूख से लड़ने का काम करता है। यह बैंक 2017 में शुरू हुआ था, और इसे शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ग्लोबल इनिशिएटिव्स के तहत लॉन्च किया गया था।

इसका मुख्य काम है कि होटल, रेस्तरां, सुपरमार्केट, फार्म और बड़े इवेंट्स से बचा हुआ खाना इकट्ठा करना, उसे सुरक्षित तरीके से पैक करना और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाना। इससे न सिर्फ भूखे लोगों को भरपेट खाना मिलता है, बल्कि खाने की बर्बादी भी कम होती है और पर्यावरण को भी फायदा होता है। यूएई फूड बैंक का सपना है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए, खासकर यूएई में, और यह दुनिया भर में भी मदद पहुंचाता है। यूएई में कई जगहों पर कम्युनिटी फ्रिज लगाए गए हैं जहां कोई भी बचा हुआ खाना डाल सकता है और जरूरतमंद ले सकता है। यह बैंक volunteers, पार्टनर्स और सरकार के साथ मिलकर काम करता है ताकि खाना बर्बाद न हो और सही जगह पहुंचे।

यूएई फूड बैंक की शुरुआत शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने की थी, जो दुबई के रूलर और यूएई के वाइस प्रेसिडेंट हैं। उनकी पत्नी शेखा हिंद बिंत मकतूम बिन जुमा अल मकतूम इस बैंक की चेयरपर्सन हैं। बैंक का मकसद है कि खाने की बर्बादी रोकें और जरूरतमंदों को खाना दें। यूएई में हर साल बहुत सारा खाना बर्बाद हो जाता है, लेकिन इस बैंक की वजह से लाखों टन खाना लैंडफिल में जाने से बच जाता है। इससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है और पेड़ बचते हैं। बैंक दुबई म्यूनिसिपैलिटी के साथ मिलकर काम करता है और खाने की सेफ्टी का पूरा ध्यान रखता है। शुरू से अब तक बैंक ने करोड़ों मील्स बांटे हैं और लाखों लोगों की जिंदगी बेहतर की है। यह न सिर्फ यूएई में बल्कि दुनिया के कई देशों में मदद पहुंचाता है, जैसे गाजा, लेबनान और अन्य जगहों पर इमरजेंसी रिलीफ।

जानकारी के लिए बता दें कि यूएई फूड बैंक के कई प्रोग्राम हैं जो अलग-अलग तरीके से मदद करते हैं। रमजान में तो यह बैंक और भी एक्टिव हो जाता है। हर साल रमजान में ‘यूनाइटेड इन गिविंग’ जैसी मुहिम चलती है जिसमें लाखों मील्स बांटे जाते हैं। मिसाल के तौर पर, 2025 के रमजान में करीब 80 लाख मील्स बांटे गए। इसमें वर्कर्स को इफ्तार मील्स दिए जाते हैं, फैमिलीज को फूड पैकेट्स और सरप्लस फूड को जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाता है। एक और प्रोग्राम है ‘ब्लेसिंग बास्केट्स’ जिसमें रोजाना हजारों मील्स डिस्ट्रीब्यूट होते हैं। ‘जाबील इफ्तार’ में हजारों मजदूरों को खाना मिलता है। बैंक होटलों से अनटच्ड सरप्लस फूड इकट्ठा करता है और उसे कम्युनिटी फ्रिज में रखता है। इससे मजदूर, गरीब परिवार और कोई भी भूखा व्यक्ति आसानी से खाना ले सकता है। बैंक अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाता है जिसमें लोगों को सिखाया जाता है कि खाना कैसे बचाएं और बर्बादी कैसे रोकें। स्कूलों, ऑफिसों और कम्युनिटी में ये प्रोग्राम होते हैं।

दोस्तों यूएई फूड बैंक का असर बहुत बड़ा है। 2024 में इसने दुनिया भर में 2.89 करोड़ लोगों तक मदद पहुंचाई। यानी 28.9 मिलियन बेनिफिशियरी। इसमें हजारों टन खाना लैंडफिल से बचाया गया, जैसे 5466 टन फूड जो बर्बाद होने से बचा। इससे पर्यावरण को बहुत फायदा हुआ। 2023 में 1.86 करोड़ लोगों को मदद मिली और 6000 टन फूड बचाया गया। शुरू से 2023 तक कुल 6.8 करोड़ मील्स बांटे गए। 2025 में भी बैंक ने 6000 टन से ज्यादा सरप्लस फूड बचाया जो 1.5 करोड़ मील्स के बराबर है। रमजान में अलग से लाखों मील्स बांटे जाते हैं। बैंक के volunteers की संख्या हजारों में है, जैसे 2024 में 5000 volunteers ने मदद की। डोनर्स भी बढ़ रहे हैं, 1214 फूड ऑर्गेनाइजेशंस ने डोनेट किया। बैंक ने गाजा और लेबनान जैसी जगहों पर भी फूड रिलीफ भेजा। यूएई में मजदूरों और गरीब परिवारों की जिंदगी आसान हुई है। कई लोग कहते हैं कि इस बैंक की वजह से उन्हें भरपेट खाना मिलता है और वे खुश हैं।

यूएई फूड बैंक पर्यावरण के लिए भी बहुत अच्छा काम करता है। खाना बर्बाद होने से मीथेन गैस निकलती है जो ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ाती है। बैंक सरप्लस फूड को बचाकर कार्बन एमिशन कम करता है। मिसाल के तौर पर, एक रमजान में 917 टन फूड बचाने से 23 लाख किलो कार्बन डाइऑक्साइड कम हुआ, जो 97 हजार पेड़ बचाने के बराबर है। बैंक ‘नेमा’ इनिशिएटिव के साथ मिलकर फूड वेस्ट कम करता है। होटलों में ट्रेनिंग दी जाती है कि खाना कैसे कम बर्बाद करें। कम्युनिटी फ्रिज से भी वेस्ट कम होता है। यूएई का लक्ष्य है 2027 तक फूड वेस्ट 30% कम करना, और फूड बैंक इसमें बड़ा रोल प्ले करता है। फूड स्क्रैप्स को कंपोस्ट बनाकर फार्मर्स को दिया जाता है। इससे सस्टेनेबल एग्रीकल्चर को बढ़ावा मिलता है। बैंक की वजह से यूएई दुनिया में फूड सिक्योरिटी और सस्टेनेबिलिटी में लीडर बन रहा है।

यूएई फूड बैंक में कोई भी हिस्सा ले सकता है। अगर आपके पास सरप्लस फूड है तो डोनेट कर सकते हैं। volunteers बनकर पैकिंग, डिस्ट्रीब्यूशन में मदद कर सकते हैं। कंपनियां पार्टनर बन सकती हैं। बैंक की वेबसाइट पर जाकर डोनेशन कर सकते हैं या फूड डोनेट कर सकते हैं। अवेयरनेस प्रोग्राम में शामिल होकर दूसरों को सिखा सकते हैं। यूएई में हर कोई इस नेक काम का हिस्सा बन सकता है। बैंक का कहना है कि गिविंग की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। शेख मोहम्मद की विजन है कि यूएई गिविंग का ग्लोबल हब बने। फूड बैंक इसी विजन को पूरा करता है।

आपने जो कहा कि यूएई फूड बैंक की वजह से अरब में कोई भूखा नहीं सोता और 2.5 करोड़ लोगों ने मुफ्त में भरपेट खाना खाया, यह काफी हद तक सही है। यूएई में कई कैंपेन जैसे ‘10 मिलियन मील्स’ में कहा गया कि कोई भूखा न सोए। 2024 में 2.89 करोड़ बेनिफिशियरी हुए जो 2.5 करोड़ के करीब है। कुल मिलाकर बैंक ने करोड़ों लोगों को मदद दी है। यह दावा थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया लगता है, लेकिन बैंक का असर बहुत बड़ा है। यूएई गरीबी कम है, लेकिन मजदूर और जरूरतमंद बहुत हैं, और बैंक उनकी मदद करता है। दुनिया भर में भी मदद पहुंचाता है।

यूएई फूड बैंक एक मिसाल है कि कैसे एक देश भूख और बर्बादी दोनों से लड़ सकता है। यह सिर्फ खाना बांटने का बैंक नहीं, बल्कि उम्मीद और करुणा का प्रतीक है। हजारों volunteers, पार्टनर्स और लीडर्स की मेहनत से यह चलता है। हर साल इसके आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। रमजान हो या नॉर्मल दिन, बैंक हमेशा एक्टिव रहता है। कम्युनिटी फ्रिज से लेकर इंटरनेशनल रिलीफ तक, हर जगह इसका असर दिखता है। यूएई के लोग गर्व करते हैं इस पर क्योंकि यह उनके गिविंग के कल्चर को दिखाता है। दुनिया के दूसरे देश भी इससे सीख सकते हैं। भूख एक बड़ी समस्या है, लेकिन ऐसे इनिशिएटिव से इसे कम किया जा सकता है। यूएई फूड बैंक दिखाता है कि अमीर देश भी सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी निभा सकते हैं।

ऐसे में आखिरी में कहूं तो यूएई फूड बैंक ने लाखों जिंदगियों को छुआ है। मजदूर जो दिन भर मेहनत करते हैं, उन्हें इफ्तार मिलता है। गरीब परिवारों को फूड पैकेट्स मिलते हैं। पर्यावरण साफ रहता है। volunteers को अच्छा लगता है कि वे मदद कर रहे हैं। यह बैंक साबित करता है कि छोटी-छोटी कोशिशें मिलकर बड़ा बदलाव ला सकती हैं। अगर हर जगह ऐसे फूड बैंक हों तो दुनिया से भूख खत्म हो सकती है। यूएई ने यह शुरू करके अच्छी मिसाल कायम की है। आप भी अगर यूएई में हैं तो इसमें हिस्सा लें और दूसरों को बताएं। यह नेक काम है जो सबको जोड़ता है।

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