बेरोजगारी ‘गुजरात मॉडल’ के गुब्बारे की निकाल रही हवा, मोदी राज में नौकरी सिर्फ जुमला!     

बेरोजगारी 'गुजरात मॉडल' के गुब्बारे की निकाल रही हवा, मोदी राज में नौकरी सिर्फ जुमला!   

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात को भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्षों से ‘विकास का मॉडल’ बताकर देश के सामने पेश किया……. जिसकी आज एक कड़वी सच्चाई से सामना हो रहा है…… हाल ही में सामने आए आंकड़े इस तथाकथित ‘गुजरात मॉडल’ की पोल खोल रहे हैं…… राज्य में सरकारी नौकरी की महज 14,000 रिक्तियों के लिए 8 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं ने आवेदन किया है……. यह आंकड़ा न केवल गुजरात में बेरोजगारी की गंभीर स्थिति को दर्शाता है…… बल्कि बीजेपी की उन नीतियों पर भी सवाल उठाता है……. जिन्हें ‘रोजगार सृजन’ का आधार बताया जाता रहा है…… वहीं इस खबर ने विपक्ष को बीजेपी को घेरने का एक बड़ा मौका दिया है…… और यह सवाल उठ रहा है कि क्या ‘गुजरात मॉडल’ वास्तव में विकास का प्रतीक है….. या बेरोजगारी और युवाओं की निराशा का पर्याय बन चुका है……

गुजरात सरकार ने हाल ही में विभिन्न सरकारी विभागों में 14,000 पदों पर भर्ती की घोषणा की थी…….. इन पदों में पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य प्रशासनिक सेवाओं से संबंधित नौकरियां शामिल थीं……. लेकिन जब आवेदन प्रक्रिया शुरू हुई…… तो 8 लाख से अधिक युवाओं ने इन सीमित अवसरों के लिए आवेदन किया…….. यह स्थिति न केवल बेरोजगारी की भयावहता को दर्शाती है…….. बल्कि यह भी बताती है कि गुजरात का युवा वर्ग नौकरी के लिए कितना बेताब है……

आपको बता दें कि 2022 में गुजरात विधानसभा में सरकार ने स्वीकार किया था कि राज्य में 3.46 लाख शिक्षित……. और 17,816 अर्ध-शिक्षित युवा बेरोजगार हैं……. उस समय यह भी बताया गया था कि 2020 और 2021 में केवल 1,278 लोगों को सरकारी नौकरी दी गई…….. जबकि 4.53 लाख लोगों को निजी क्षेत्र में रोजगार मिला……. लेकिन निजी क्षेत्र की नौकरियों की गुणवत्ता…… और स्थायित्व पर सवाल उठते रहे हैं…… वहीं कई युवा कम वेतन, अनिश्चितता……. और खराब कार्यस्थितियों के कारण सरकारी नौकरी को प्राथमिकता देते हैं…….. ऐसे में 14,000 पदों के लिए 8 लाख आवेदन इस बात का सबूत हैं कि बेरोजगारी की समस्या और गहरी हो चुकी है……..

आपको बता दें कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी ने 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल को ‘विकास का मॉडल’ बताया…….. इस मॉडल में तेज आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे का विस्तार, उद्योगों को प्रोत्साहन…… और ई-गवर्नेंस जैसे दावे शामिल थे…….. 2014 के लोकसभा चुनावों में इस मॉडल को देशभर में प्रचारित किया गया…… और इसे भारत के लिए एक आदर्श के रूप में पेश किया गया…….. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह मॉडल केवल बड़े उद्योगपतियों और कॉरपोरेट्स के लिए लाभकारी रहा…….. जबकि आम युवाओं और मध्यम वर्ग को इसका कोई खास फायदा नहीं मिला…….

गुजरात में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए…….. जैसे टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना को पश्चिम बंगाल से साणंद लाना…….. लेकिन इन परियोजनाओं से कितने स्थायी रोजगार सृजित हुए……… यह एक बड़ा सवाल है…….. 2022 में कांग्रेस नेताओं हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने 4.5 से 5 लाख सरकारी नौकरियों के रिक्त पदों को भरने में विफलता दिखाई है……. इसके अलावा भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और अनियमितताओं के मामले भी सामने आए……… जिससे युवाओं का भरोसा और टूटा……..

वहीं इस खबर ने विपक्ष को बीजेपी पर हमला बोलने का एक बड़ा मौका दिया है……. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी…… और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को उठाकर गुजरात मॉडल की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं……. कांग्रेस ने इसे ‘बेरोजगारी मॉडल’ करार देते हुए कहा कि बीजेपी ने युवाओं के साथ धोखा किया है…….. पार्टी ने X पर पोस्ट किया, “ये है गुजरात मॉडल……. बेरोजगार युवा नौकरी मांग रहे थे……. बीजेपी की सरकार ने पुलिस लगवाकर उन्हें पिटवाया…….

वहीं विपक्ष का कहना है कि बीजेपी की नीतियां केवल बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई हैं…….. गुजरात में वाइब्रेंट गुजरात समिट जैसे आयोजनों को भले ही निवेश आकर्षित करने का माध्यम बताया जाता हो…….. लेकिन इनसे सृजित होने वाले रोजगार अक्सर अस्थायी और कम वेतन वाले होते हैं……. इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सरकारी निवेश की कमी ने भी युवाओं के लिए अवसरों को सीमित किया है…….

बेरोजगारी की यह स्थिति केवल आर्थिक समस्या नहीं……. बल्कि सामाजिक असंतोष का कारण भी बन रही है……. गुजरात के युवा कभी बीजेपी के समर्थन का बड़ा आधार थे……. वहीं अब अपनी निराशा और गुस्से को खुलकर व्यक्त कर रहे हैं…… 2015 में पाटीदार आंदोलन और 2016 में दलित आंदोलन ने दिखाया कि राज्य में सामाजिक…… और आर्थिक असमानता कितनी गहरी है……. इन आंदोलनों में बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसे मुद्दे प्रमुख थे……

हाल ही में एक निजी होटल में 10 रिक्तियों के लिए हजारों युवाओं की भीड़ उमड़ने की घटना ने भी सुर्खियां बटोरीं…….. इस घटना ने न केवल बेरोजगारी की गंभीरता को उजागर किया…….. बल्कि यह भी दिखाया कि गुजरात मॉडल के दावे हकीकत से कितने दूर हैं……. युवाओं की यह बेताबी और निराशा अब बीजेपी के लिए एक राजनीतिक चुनौती बन रही है……

केंद्र सरकार ने बेरोजगारी से निपटने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं……..जैसे आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना, पीएम इंटर्नशिप योजना और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना…….. सरकार का दावा है कि इन योजनाओं से लाखों युवाओं को रोजगार मिला है……. उदाहरण के लिए, 2024 में रोजगार मेले के तहत 1 लाख से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए…….. लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये योजनाएं ज्यादातर अस्थायी रोजगार या इंटर्नशिप प्रदान करती हैं……. जो युवाओं की दीर्घकालिक जरूरतों को पूरा नहीं करतीं……

राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑफिस के अनुसार…….. 2024 की जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की बेरोजगारी दर 6.7% थी।……. हालांकि, 2022-23 में बेरोजगारी दर 3.3% (पुरुषों के लिए) और 2.9% (महिलाओं के लिए) तक कम होने का दावा किया गया……. लेकिन ये आंकड़े ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हैं…… गुजरात जैसे औद्योगिक राज्य में बेरोजगारी की स्थिति केंद्र सरकार के दावों को कमजोर करती है…….

बता दें कि बीजेपी के लिए यह स्थिति एक बड़ी चुनौती है…….. खासकर तब जब 2027 में गुजरात विधानसभा चुनाव होने वाले हैं……. पार्टी ने पिछले तीन दशकों से गुजरात में अपनी सत्ता बरकरार रखी है…….. लेकिन बेरोजगारी और सामाजिक असंतोष जैसे मुद्दे उसकी राह में रोड़ा बन सकते हैं……. नरेंद्र मोदी गुजरात के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे……… अब केंद्र में तीसरी बार प्रधानमंत्री हैं……. लेकिन उनके गुजरात मॉडल की आलोचना अब राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है…….

पार्टी ने बेरोजगारी के मुद्दे को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं…… जैसे कौशल विकास मंत्रालय का गठन….. और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन……. लेकिन इन प्रयासों का असर अभी तक ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में नहीं दिखा…… इसके अलावा सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया की धीमी गति….. और अनियमितताओं ने युवाओं का भरोसा तोड़ा है……

गुजरात में 14,000 सरकारी नौकरियों के लिए 8 लाख आवेदनों की खबर ने ‘गुजरात मॉडल’ की सच्चाई को उजागर कर दिया है……. यह मॉडल जिसे बीजेपी ने विकास और समृद्धि का प्रतीक बताया…….. वहीं अब बेरोजगारी और युवाओं की निराशा के लिए चर्चा में है……. विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा…….. और बीजेपी के लिए यह एक गंभीर राजनीतिक और सामाजिक चुनौती बन चुका है……

 

 

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