जो दिखा, वो बिक गया? NDTV की छांव में पहुंचे यूट्यूबर शुभांकर मिश्रा

पत्रकारिता से यूट्यूब की दुनिया में धमाल मचाने वाले शुभांकर मिश्रा अब अडानी की NDTV की झोली में...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत की पत्रकारिता का नजारा पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बदला है…… एक समय था जब पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता था……. जो जनता की आवाज को बुलंद करता था और सत्ता को सच का आईना दिखाता था……. लेकिन आज कई लोग इसे “गोदी मीडिया” कहकर तंज कसते हैं…….. जिसका अर्थ है कि कुछ मीडिया हाउस सत्ताधारी दल…… और कॉरपोरेट हितों के सामने नतमस्तक हो चुके हैं……. इस बदलते नजरिए में एक नया नाम चर्चा में है…… शुभांकर मिश्रा….. जो कभी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते थे…… और यूट्यूब की दुनिया में छाए हुए थे…… लेकिन हाल ही में उनकी NDTV में एंट्री ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं……. क्या यह एक स्वतंत्र पत्रकार का कॉरपोरेट मीडिया का हिस्सा बनना है…….. या फिर यह सत्ताधारी बीजेपी और अडानी समूह के प्रभाव में एक और कदम है…….

शुभांकर मिश्रा ने पत्रकारिता की शुरुआत एक स्वतंत्र और बेबाक आवाज के रूप में की थी……. उनकी खबरें और विश्लेषण सामाजिक मुद्दों, राजनीति…… और जनहित के विषयों पर केंद्रित रहते थे……. लेकिन जैसे-जैसे पारंपरिक मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे…….. शुभांकर ने यूट्यूब का रास्ता चुना……. यूट्यूब पर उनके वीडियो ने लाखों दर्शकों का ध्यान खींचा…….. वह अपनी साधारण भाषा और जमीनी मुद्दों को उठाने के लिए जाने गए……. उनके यूट्यूब चैनल पर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाया……. लेकिन अब…… शुभांकर मिश्रा ने NDTV के साथ हाथ मिला लिया है…….

बता दें कि NDTV जो कभी अपनी निष्पक्ष और साहसी पत्रकारिता के लिए जाना जाता था…….. 2022 में अडानी समूह के अधिग्रहण के बाद से विवादों में रहा है…….. कई लोग इसे अब “गोदी मीडिया” का हिस्सा मानते हैं…….. जो सत्ताधारी बीजेपी और कॉरपोरेट हितों की तरफदारी करता है……. शुभांकर मिश्रा की NDTV में एंट्री को कुछ लोग पत्रकारिता के पतन का एक और उदाहरण मान रहे हैं……. सोशल मीडिया पर लोग तंज कस रहे हैं कि अब शुभांकर भी अडानी की कैमरा ब्रिगेड का हिस्सा बन गए हैं….. और सरकार की गुलामी में शामिल हो जाएंगे…….

NDTV का इतिहास भारत में पत्रकारिता का एक सुनहरा अध्याय रहा है…… प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने इस चैनल को एक ऐसी आवाज बनाया था……. जो सरकार की नीतियों पर सवाल उठाती थी……. और जनता के मुद्दों को सामने लाती थी…… लेकिन 2022 में जब अडानी समूह ने NDTV का अधिग्रहण किया……. तब से इस चैनल की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे……. गौतम अडानी भारत के सबसे बड़े कॉरपोरेट दिग्गजों में से एक हैं……… और जिनका बीजेपी सरकार के साथ नजदीकी रिश्ता माना जाता है…… उन्होनें NDTV के मालिकाना हक को अपने कब्जे में ले लिया…… इसके बाद कई वरिष्ठ पत्रकारों ने NDTV छोड़ दिया……. जिनमें रवीश कुमार का नाम सबसे प्रमुख है……. रवीश ने इसे पत्रकारिता के सिद्धांतों से समझौता करार दिया था…..

अडानी समूह का NDTV पर कब्जा कई मायनों में पत्रकारिता के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ……. सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे नरेंद्र दमोदरदास टीवी कहकर तंज कसा…… और यह दावा करते हुए कि अब यह चैनल बीजेपी की विचारधारा को बढ़ावा देगा……. और सरकार के खिलाफ कोई सवाल नहीं उठाएगा…… वहीं एक अकेला चैनल सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहा था…….अब वह भी चुप हो जाएगा…… शुभांकर मिश्रा की NDTV में एंट्री को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है……

गोदी मीडिया शब्द भारत में पिछले कुछ वर्षों में बेहद लोकप्रिय हुआ है…….. यह उन मीडिया हाउसों के लिए इस्तेमाल होता है……. जो कथित तौर पर सत्ताधारी दल के प्रचार का हिस्सा बन गए हैं……. रवीश कुमार जैसे पत्रकारों ने बार-बार गोदी मीडिया पर निशाना साधा है….. और उन्होंने 2020 में किसान आंदोलन के संदर्भ में कहा था कि गोदी मीडिया ने किसानों को पंजाब का किसान कहकर खालिस्तानी करार देने की कोशिश की…….. ताकि आंदोलन को बदनाम किया जा सके…….. इसी तरह, कई अन्य मौकों पर गोदी मीडिया पर सांप्रदायिकता फैलाने और सरकार के खिलाफ सवाल उठाने से बचने के आरोप लगे हैं…….

आपको बता दें कि शुभांकर मिश्रा की यूट्यूब पर लोकप्रियता का एक बड़ा कारण उनकी स्वतंत्र छवि थी……. वह जमीनी मुद्दों को उठाते थे…… और सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते थे…….. लेकिन NDTV में शामिल होने के बाद क्या वह वही स्वतंत्रता बरकरार रख पाएंगे……. अडानी के स्वामित्व वाले NDTV में काम करने का मतलब है कि उनकी आवाज अब सरकार और कॉरपोरेट हितों के अनुरूप होगी……. आपको बता दें कि कुछ ही पत्रकार बचे थे जो सरकार के खिलाफ बोल लेते थे……. लगता है अब एक और बिक गया……

गोदी मीडिया पर सबसे बड़ा आरोप यह है कि यह जनता की आवाज को दबाता है……. और सरकार की नीतियों को बिना सवाल किए बढ़ावा देता है……. रवीश कुमार ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि गोदी मीडिया हर बात में जनता को ही दोषी ठहराता है…… और सरकार से सवाल नहीं करता…… 2020 के किसान आंदोलन के दौरान गोदी मीडिया ने आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की और इसे “खालिस्तानी” करार दिया…… इसी तरह, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी गोदी मीडिया ने चुप्पी साधने का आरोप झेला है…….

शुभांकर मिश्रा के NDTV में शामिल होने से यह सवाल और गहरा गया है कि क्या वह भी अब इस दमन का हिस्सा बन जाएंगे……. NDTV जो कभी सरकार के खिलाफ सवाल उठाने के लिए जाना जाता था……. अब अडानी के प्रभाव में है…… कई लोग मानते हैं कि यह चैनल अब सरकार की नीतियों का प्रचार करता है……. और जनता के असली मुद्दों को नजरअंदाज करता है…….. शुभांकर मिश्रा की नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या वह भी अब सरकार की तरफदारी करेंगे….. और जनता की आवाज को दबाने में शामिल होंगे……

भारत में पत्रकारिता पर कॉरपोरेट और सत्ताधारी दल का प्रभाव कोई नई बात नहीं है……. बीजेपी सरकार पर कई बार यह आरोप लग चुका है कि……. वह मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश करती है……. गोदी मीडिया के जरिए सांप्रदायिकता और नफरत फैलाने के आरोप भी लगे हैं……. उदाहतबलीगी जमात के मामले में कुछ चैनलों ने इसे “कोरोना बम” और “जिहाद” से जोड़ा……. जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ा……

अडानी समूह का NDTV पर कब्जा इस सांठगांठ का एक और उदाहरण है…… कि गौतम अडानी को बीजेपी का करीबी माना जाता है…….. और उनके द्वारा NDTV का अधिग्रहण कई लोगों को पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला लगा……. रवीश कुमार ने कहा था कि गोदी मीडिया के कारण आप अपने गांव में भी सिर उठाकर नहीं चल सकते……. शुभांकर मिश्रा की नियुक्ति को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है…….. क्या यह बीजेपी और अडानी की सांठगांठ का एक और कदम है……. जिसका मकसद स्वतंत्र पत्रकारों को अपने कब्जे में लेना है……

शुभांकर मिश्रा के सामने अब एक बड़ा सवाल है कि क्या वह NDTV में अपनी स्वतंत्र छवि को बरकरार रख पाएंगे……. या फिर वह भी गोदी मीडिया का हिस्सा बन जाएंगे……. उनकी यूट्यूब पर लोकप्रियता का आधार उनकी निष्पक्षता…… और जमीनी मुद्दों को उठाने की क्षमता थी……. लेकिन NDTV में शामिल होने के बाद…… क्या वह सरकार की नीतियों पर सवाल उठा पाएंगे……. क्या वह जनता के मुद्दों को उसी तरह बुलंद कर पाएंगे…… जैसे वह अपने यूट्यूब चैनल पर करते थे……

शुभांकर मिश्रा का NDTV में शामिल होना केवल एक व्यक्ति का करियर निर्णय नहीं है…….. बल्कि यह भारत में पत्रकारिता के बदलते चेहरे का प्रतीक है……. जब बड़े कॉरपोरेट घराने और सत्ताधारी दल मीडिया पर नियंत्रण बढ़ा रहे हैं…….. तो स्वतंत्र पत्रकारिता का भविष्य खतरे में है……. गोदी मीडिया पर जनता की आवाज को दबाने और सरकार की तरफदारी करने के आरोप लग रहे हैं…….. शुभांकर मिश्रा जैसे पत्रकार…… जो कभी स्वतंत्रता की मिसाल थे……. अब इस सिस्टम का हिस्सा बन रहे हैं……

 

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