वन मंत्री को क्यों पसंद आ रहा यह भ्रष्ट पर्यावरण अधिकारी

  • अजय शर्मा पर आपराधिक वाद में भी एफआईआर
  • अधिकारी को प्राप्त है राजनीतिक संरक्षण, तथ्यों को छुपाया गया

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। भ्रष्टाचार  में लिप्त अधिकारी को ही विभाग का महत्वपूर्ण काम सौंपने की शिकायत उच्च अधिकारियों से की गई। सबसे गंभीर बात इसमें ये है इन तथ्यों को जानकारी वरिष्ठ  अधिकारियों व विभाग के मंत्री को भी मालूम थी। हरित प्रदेश पर्यावरण रक्षक समिति के अध्यक्ष सूरज सिंह ने इस मामले की जांच अपर मुख्य सचिव वन व पर्यावरण, जलवायु से करावने की मांग की है।
मामले के अनुसार उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ में सदस्य सचिव के पद का अतिरिक्त कार्यभार जुलाई 2021 में अजय शर्मा, मुख्य पर्यावरण अधिकारी को शासन द्वारा सौंपा गया था। उक्त अतिरिक्त कार्यभार वन एवं जलवायु परिर्वतन विभाग दारा सिंह चौहान द्वारा तथ्यों को छुपाते हुए सौंपा गया था। जबकि तत्समय अजय शर्मा के विरूध जनपद सीतापुर में अपराधिक वाद में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज थी। सदस्य सचिव के पद पर कार्यभार ग्रहण की तिथी से श्री शर्मा मुख्य प्रर्यावरण अधिकारी वृत बरेली के पद का कार्यभार देखते हुए भ्रष्टाचार में आकंठ लिप्त है। और इनके विरूध लोकआयुक्त के समक्ष भी शिकायतें हुई है। जिनके संबंध में लोकआयुक्त द्वारा दिनांक 31/01/2002 के पूर्व शासन से जांच रिपोर्ट उप्लब्ध कराने की अपेक्षा की गई है।

लोकआयुक्त की जांच चल रही

लोकआयुक्त द्वारा संघर्षित प्रकरण की जांच गौरव वर्मा विशेष सचिव प्रर्यावरण वन एवं जल वायु परिवर्तन विभाग द्वारा की जा रही है। इस तथ्य की पुष्टि हेतु गौरव वर्मा द्वारा सदस्य सचिव से मार्गी गई सूचनाओं से सबंधित निर्गत पत्र दिनांक 13/01/2023 की छायाप्रति संग्लन है। यह भी उल्लेखनिय है कि शर्मा द्वारा अनेकों प्रकरणों में अपने स्तर से ही बिना सक्षम स्तर के संज्ञान में लाए एनओसी जारी कर दी जा रही है। और कई प्रकरणों में ईकार्यों से प्रावणीयें क्षतिपूति/अर्थदण की वसूली हेतु शासन व बोर्ड स्तर से पारित आदेशों से अनुपालन नही किया जा रहा है। अजय शर्मा के सदस्य सचिव के पद पर कार्यरत रहते हुए उनके विरूध जांच के निष्पक्ष होने की संभावना नहीं है और पद पर रहते हुए उनके द्वारा जाचं को प्रभावित करने और अभिलेखों / साक्ष्य को नष्ट करने की अत्तयधिक संभावना है।

कोर्ट में आरोप हुए साबित

सदस्य/सचिव अजय शर्मा ने अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण किया था। कार्यभार ग्रहण करने में जय शर्मा ने यह तथ्य शासन से छुपाया था कि जिला सीतापुर में इनके उपर एक अपराधिक एफआईआर दर्ज है। जिला सीतापुर में इनके उपर एक अपराधिक एक एफइआर दर्ज ठा 01/03/2023 को शासन को अवगत करा दिया गया है। उसके बाद भी उपरोक्त भ्रष्टाचारी को हटाया नही गया है, माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ खण्डपीठ के द्वारा 23/08/2023 को न्यायालय न्याय मूर्ती अताउर रहमान मसूदी एवं न्याय मुर्ती ओम प्रकाश शुक्ला खण्डपीठ लखनऊ द्वारा एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सदस्य/सचिव अजय शर्मा को अननियंत्रित भ्रष्टाचारी बताकर अपर मुख्य सचिव को कार्यावाही का निर्देश दिया है, तथा दिनांक 11/09/2023 को याचिका को पुन: सुनवाई हेतु सूचीबध किया था।

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