भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में लगाई ताकत, मंत्री भी उतरे इस बार मैदान में

लखनऊ। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर होने वाले चुनाव में राजनीतिक दल अपना जोर लगा रहे हैं। 75 जिलों में होने वाले इस जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए कलनामांकन होना है। ऐसे में बीजेपी की तैयारी इन चुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने की है। यही कारण है कि अब सरकार के मंत्री भी अपने-अपने क्षेत्रों में नामांकन के दौरान मौजूद रहेंगे। पार्टी प्रत्याशी का मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ पैरवी कर प्रत्याशी को जिताने की रणनीति भी तय करेंगे। प्रदेश के 75 जिलों में होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव खासकर सत्तारूढ़ भाजपा के लिए नाक का सवाल बन गया है, क्योंकि इस बार भाजपा ने जिस आक्रामक तरीके से पंचायत चुनाव लड़ा था, वह नतीजों से मेल नहीं खाता। बीजेपी से ज्यादा निर्दलीय जीते और बीजेपी तीसरे नंबर पर सपा के बाद आई है। ऐसे में जब तीन जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वोट डाले जाने हैं तो पार्टी 75 में से करीब 60 जिलों में अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की तैयारी कर रही है और इसके लिए भाजपा हर हथकंडा अपना रही है। कहीं पार्टी निर्दलीय को उम्मीदवारों बनाया है तो कहीं पार्टी ऐसे लोगों को उम्मीदवार बना रही है, जिन्हें कुछ समय पहले अनुशासनहीनता के कारण पार्टी से निकाल दिया गया था। अब कल जिलाध्यक्ष पद के लिए नामांकन होना है। यह नामांकन अपराह्न 3 बजे तक किया जाएगा, ऐसे में सरकार के मंत्री नामांकन के दौरान अपने-अपने क्षेत्रों में मौजूद रहेंगे और उम्मीदवारों का उत्साहवर्धन करेंगे। इसके साथ ही हम इस रणनीति पर पार्टी पदाधिकारियों से भी चर्चा करेंगे कि भाजपा प्रत्याशी को जिला पंचायत अध्यक्ष कैसे बनाया जाए। दरअसल, जब बीएल संतोष दो दिन लखनऊ में थे तब भी पंचायत चुनाव को लेकर चर्चा हुई और फिर मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में जिलाध्यक्ष बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। उसके बाद तय हुआ कि नामांकन के दौरान भी मंत्री वहीं मौजूद रहेंगे। दरअसल, जब पंचायत चुनाव हुए तो कोरोना की दूसरी लहर के चलते सरकार के मंत्री पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने नहीं आ सके। जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा और नतीजे उसके अनुकूल नहीं रहे. इससे सबक लेते हुए इस बार मंत्रियों को मैदान में उतारा गया है। नामांकन के दिन कल अधिकतर मंत्री उम्मीदवारों के नामांकन में शामिल होंगे। हालांकि कोविड के चलते सभी जगहों पर नामांकन जुलूस पर रोक है, लेकिन नामांकन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किया जाएगा। वहीं 27 जून को पूरे प्रदेश में तीसरी लहर को देखते हुए सरकार के सभी मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में बच्चों को दी जाने वाली दवा किट का वितरण भी करेंगे और उसके बाद मंत्रियों को भी प्रखंड स्तर का दौरा करना होगा। यानी 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले के बचे हुए 8 महीनों में आप देखेंगे कि सरकारी मंत्री लखनऊ में कम और आपके विधानसभा क्षेत्र में आपको ज्यादा मिलेंगे। इस बार बीजेपी ने भी उम्मीदवारों के नाम घोषित करने की रणनीति में बदलाव किया है। दरअसल, पहले 3050 जिला पंचायत वार्ड सदस्यों के नामों की घोषणा लखनऊ मुख्यालय से की गई थी लेकिन नतीजे पक्ष में नहीं आए. उसके बाद यह निर्णय लिया गया कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा जिला स्तर पर ही की जाएगी। इसके पीछे मंशा यह थी कि अगर किसी नाम से हंगामा होता है तो सीधे आलाकमान पर सवाल न उठाएं, बल्कि इतनी सावधानी बरतते हुए और कई स्तरों पर स्क्रीनिंग के बाद पार्टी को फिर से बैकफुट पर उन्नाव में आना पड़ा। एक तरफ बीजेपी की तैयारी ज्यादातर सीटें जीतने पर है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी इस चुनाव में जोरदार धमाका कर रही है हालांकि समाजवादी पार्टी लगातार इस चुनाव में सरकार पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है लेकिन बीजेपी समाजवादी पार्टी को 2015 की याद भी दिला रही है। अब 3 जुलाई का इंतजार है जब पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वोट डाले जाएंगे और उसी दिन नतीजे भी घोषित किए जाएंगे।

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