आखिर क्यों धीरे-धीरे कम हो रहे हैं दो हजार के नोट, जानें क्या है वजह

नई दिल्ली। नवंबर 2016 में, मोदी सरकार ने अचानक 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला किया। उस वक्त कहा जा रहा था कि यह फैसला काले धन पर लगाम लगाने के लिए लिया गया है. नोटबंदी के ठीक चार दिन बाद रिजर्व बैंक ने 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए। केंद्रीय बैंक के इस फैसले पर सवाल खड़े हुए थे। आरबीआई फिर से सिस्टम से 2000 के नोट को धीरे-धीरे कम करने में लगा हुआ है।
हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई चालू वित्त वर्ष में 2000 रुपये का एक भी नोट नहीं छापेगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में कागजी करेंसी की संख्या 223301 लाख पीस थी। पिछले वित्तीय वर्ष (2019-20) में यह संख्या 223875 लाख पीस थी। मुद्रा प्रचलन में 500 और 2000 के नोटों का मूल्य कुल मूल्य का 85.70 प्रतिशत है। 500 के नोटों की संख्या 31.10 प्रतिशत है। मार्च 2021 में लोकसभा को एक और जानकारी दी गई, जिसमें कहा गया कि पिछले दो साल से 2000 रुपये का नया नोट नहीं छापा गया है।
तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा था कि 30 मार्च, 2018 तक कुल मुद्रा प्रचलन में 2000 के 3362 मिलियन नोट थे। वॉल्यूम के लिहाज से यह 3.27 फीसदी था। व्यापार की दृष्टि से यह मूल्य 37.26 प्रतिशत था। 26 फरवरी 2021 को 2000 के नोटों की संख्या घटकर 2499 मिलियन हो गई, जो कुल नोटों का 2.01 प्रतिशत और मूल्य में 17.78 प्रतिशत है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2019 में एक बयान जारी किया था, जिसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 (अप्रैल 2016 से मार्च 2017) में 2000 के 3,542.991 मिलियन नोट छापे गए थे। अगले वित्त वर्ष यानी 2017-18 में सिर्फ 111.507 दो हजार के नोट छापे गए। अगले वित्त वर्ष 2018-19 में सिर्फ 46.690 करोड़ 2000 के नोट छापे गए। अप्रैल 2019 से अब तक 2000 का एक भी नोट नहीं छापा गया है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि मार्च 2022 तक एक भी नोट नहीं छापा जाएगा।
जाहिर है कि जब आरबीआई 2000 के नोट नहीं छाप रहा है तो उसकी जगह कोई और नोट ज्यादा छापा जाएगा। मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक 2000 के नोटों को 200 और 500 के नोटों से बदला जा रहा है। मार्च 2017 में 500 के नोटों की संख्या का हिस्सा कुल नोटों की संख्या में 5.9 प्रतिशत था, जो मार्च 2019 में बढक़र 19.80 प्रतिशत हो गया। मूल्य की दृष्टि से सभी 500 नोटों का मूल्य मुद्रा का 51 प्रतिशत था। मार्च 2019 में परिसंचरण, जो मार्च 2017 में केवल 22.5 प्रतिशत हुआ करता था।

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