आरबीआई ने बैंकों को नोटबंदी के वक्त सीसीटीवी फुटेज रखने का दिया निर्देश

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश के सभी बैंकों को वर्ष 2016 में नोटबंदी की अवधि की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। आरबीआई ने कहा कि देश की जांच एजेंसियां नोटबंदी के समय के कई मामलों की जांच कर रही हैं। देश की कई अदालतों में मामले चल रहे हैं। इसलिए बैंक अब सीसीटीवी वीडियो फुटेज अपने पास रखें, ताकि वे जांच में सहयोग कर सकें। आरबीआई ने अपने आदेश में कहा कि सभी बैंक 8 नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016 तक के वीडियो फुटेज को सुरक्षित रखें क्योंकि जांच एजेंसियां अवैध रूप से नए नोटों के संग्रह की जांच कर रही हैं।
आरबीआई ने अगले आदेश तक सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखने को कहा है। आरबीआई के इस आदेश का मतलब है कि नोटबंदी के 4-5 साल से अधिक समय के बाद भी हमारे पास अवैध रूप से नए नोट जमा करने की जांच जारी है। नोटबंदी में अवैध रूप से नए नोटों की आवाजाही के मामले में जांच एजेंसियां अभी तक जांच पूरी नहीं कर पाई हैं। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों में से 99 फीसदी से अधिक बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए थे।
8 नवंबर 2016 को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में हजार और पांच सौ रुपये के पुराने नोटों के प्रचलन को रोकने की घोषणा की थी, जिसके बाद लोगों ने बैंकों में लंबी कतारों में खड़े होकर इन नोटों को वापस जमा कर दिया। नोटबंदी की इस घोषणा के 21 महीने बाद जब आरबीआई ने इससे जुड़े आंकड़े जारी किए हैं तो बताया गया है कि 99.3 फीसदी पुराने नोट बैंकों को वापस कर दिए गए। आरबीआई ने आंकड़े जारी करते हुए कहा कि नोटबंदी के दौरान 15 लाख 41 हजार करोड़ रुपये चलन में थे। इनमें से अब तक 15 लाख 31 हजार करोड़ रुपये वापस कर दिए गए हैं। इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों को लौटा दिए गए। आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के वक्त 15.41 लाख करोड़ रुपये के 500 और 1,000 रुपये के नोट चलन में थे। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों को लौटा दिए गए हैं। वार्षिक आंकड़ों में बताया गया है कि मार्च 2018 तक बैंकनोटों के प्रचलन में 37.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह, बैंक नोटों की मात्रा में 2.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह, मार्च 2017 तक, 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोटों का प्रचलन हिस्सा 72.7 प्रतिशत दर्ज किया गया था, जो मार्च 2018 तक बढक़र 80.2 प्रतिशत हो गया।

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