बाबा के खिलाफ एक और मामला दर्ज

पटना। योग गुरु स्वामी रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मंगलवार को उसके खिलाफ पटना में एसीपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. बताया जा रहा है कि पटना के पत्रकार नगर थाने में उनके खिलाफ 317, 186, 188, 420 समेत आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पटना पुलिस इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दर्ज मामले की जांच में जुट गई है। दर्ज की गई प्राथमिकी बाबा रामदेव के एक कथित वीडियो का है जिसमें वह कह रहे हैं कि कोविड का टीका बेकार है।
बाबा रामदेव पर भारतीय दंड संहिता की धारा 186 आईपीसी के तहत लोक सेवक के सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालने, धारा 188 के तहत किसी भी लोक सेवक द्वारा जारी आदेश का पालन नहीं करने के तहत मामला दर्ज किया गया है। धारा 420 के तहत लोगों के खिलाफ सजा का प्रावधान और धोखाधड़ी और बेईमानी जैसी चीजों का उल्लेख किया गया है। आईएमए बिहार शाखा के मानद राज्य सचिव डॉ सुनील कुमार के बयान पर दर्ज प्राथमिकी में डॉक्टर का आरोप है कि कोरोना की लहर के दौरान बाबा रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और पद्धति के प्रति आम लोगों के मन में भ्रम पैदा किया। उनके प्रति अविश्वास बढ़ा, जिससे डॉक्टरों की भावनाओं को ठेस पहुंची। आरोप यह भी है कि बाबा रामदेव के बयान की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत कोरोना से हुई। इसके साथ ही इसका असर कोविड टीकाकरण अभियान पर भी पड़ा। प्राथमिकी में आरोप है कि आयुष मंत्रालय ने बाबा रामदेव से कोरोनिल दवा का विज्ञापन बंद करने को कहा था। इसके बावजूद बाबा रामदेव ने कोरोनिल का प्रचार किया। अब भी वे इसे बेच रहे हैं। यह भी आरोप लगाया गया है कि जब पूरा बिहार और देश कोविड की लहर से जूझ रहा था, तब बाबा रामदेव ने जानबूझकर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान, ऑक्सीजन थेरेपी, सरकार द्वारा स्वीकृत दवाओं के बारे में गलत बातें कही। उन्होंने कोविड मरीज को इन सभी तरीकों से इलाज न कराने की सलाह दी। एफआईआर में जिस वीडियो का जिक्र किया गया है उसमें बाबा रामदेव पर कोविड वैक्सीन बेकार होने का आरोप है। आरोप यह भी है कि बाबा के बयानों की वजह से मरीज देर से अस्पताल पहुंचे और उनकी मौत हो गई। आईएमए का आरोप है कि बाबा का एक और वीडियो सामने आया जिसमें वह डॉक्टर बने और फिर रामदेव की तरह बन गए।

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