चुनाव की नहीं आहट लेकिन सीएम के चेहरे के लिए चलने लगी टकराहट
बैंगलोर। कर्नाटक में चाहे वह पक्ष हो या विपक्ष, दोनों तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए हंगामा चल रहा है। हालांकि राज्य में विधानसभा चुनाव 2 साल बाद होने हैं, लेकिन इस बात को लेकर बहस शुरू हो चुकी है कि बीजेपी और कांग्रेस में सीएम पद का चेहरा कौन होगा। हाल ही में भाजपा की कलह सतह पर आ गई और अब कांग्रेस के कुछ विधायकों ने सिद्धारमैया को पार्टी का सीएम कैंडिडेट बताकर समर्थन दिया है।कांग्रेस विधायकों की यह मांग ऐसे समय में आई है जब कर्नाटक इकाई के प्रमुख डीके शिवकुमार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे थे। शिवकुमार संगठनात्मक कार्य के आधार पर कर्नाटक से दिल्ली आए थे। राहुल से मुलाकात के बाद पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सूरजवाला ने बयान देने वाले विधायकों को संदेश भेजने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कर्नाटक में पार्टी के नेतृत्व के बारे में बयान जारी करने के आदी हो गए हैं । मैं उन्हें चेतावनी देता हूं कि वे ऐसी टिप्पणियों से परहेज करें । केंद्रीय नेतृत्व और विधायक इन मुद्दों पर सही समय पर फैसला लेंगे। उधर, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने सीएम पद के चेहरे को लेकर हुई बहस को शरारत करार देते हुए कहा कि अभी दो साल बाद चुनाव होने हैं, इसलिए इसकी कोई जरूरत नहीं है।
2023 के संभावित विधानसभा चुनाव में सिद्धारमैया को सीएम पद का चेहरा बनाना है इसकी मांग हरिताश्म, जमीर, अहमद खान और राघवेंद्र हिंटल के बाद अब काम्पली के विधायक जेएन गणेश और हाजीरिबोमनहल्ली के विधायक भीमा नायक ने भी यही मांग की है।गणेश ने कहा, जब लोग भाजपा सरकार से निराश हैं तो सिद्धारमैया की ओर देख रहे हैं। समाज के हर वर्ग को मुख्यमंत्री के रूप में उनके काम से समर्थन मिला। यदि उनके जैसा सज्जन मुख्यमंत्री बनते हैं तो फिर पूरे राज्य को लाभ होगा। नायक भी गणेश के स्वर से में बोल रहे हैं। सिद्धारमैया के पांच साल के शासन के दौरान हमने सिंचाई परियोजनाओं और विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं पर काफी पैसा खर्च किया । सिद्धारमैया के योगदान को लोग जानते हैं।
कुछ विधायकों की भावनाओं पर सिद्धारमैया ने कहा कि ये उनके निजी विचार हैं न कि पार्टी के विचार। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने कभी भी हिंटल को बयान देने के लिए नहीं कहा । सिद्धारमैया ने बेल्लारी में कहा, क्या मैंने कभी कहा था कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा या पार्टी ने ऐसा फैसला लिया है? नहीं। पार्टी में इस तरह की चर्चा नहीं हुई है। इसलिए ऐसे मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है और यह चर्चा का विषय नहीं है।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक पूर्व मंत्री ने इस मुद्दे पर कहा- सिद्धारमैया और शिवकुमार विधायकों के बीच लोकप्रिय हैं। दोनों इस बात के लिए जाने जाते हैं कि उन्हें वही मिलता है जो वे चाहते हैं । इसलिए टकराव जारी रहेगा, हालांकि सिद्धारमैया के समर्थक शायद सूरजवाला की चेतावनी के बाद बयान देना बंद कर देंगे।