चुनाव से पहले संगठन की कमजोर कड़िया बदलेगी भाजपा
- संगठन की मजबूती के लिए मंडल, बूथ और शक्ति केन्द्रों तक की आपरेशन की तैयारी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब तक लगातार चुनावों में मिल रही जीत के बावजूद भारतीय जनता पार्टी 2022 की चुनावी जंग से पहले अपने विजय-रथ को अच्छे से देख-टटोल लेना चाहती है। पार्टी ने तय किया है कि चुनाव से पहले कमजोर कड़ियों को बदल दिया जाएगा। राजनीतिक प्रस्ताव के लिए केन्द्र और प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं व टीकाकरण पर विशेष ध्यान जैसे सुझाव हैं तो संगठन की मजबूती के लिए मंडल, बूथ और शक्ति केन्द्रों तक की ऑपरेशन की तैयारी है। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक से पहले कल शाम पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें आगामी कार्यक्रम और अभियानों के साथ ही राजनीतिक प्रस्ताव के लिए सुझाव लिए गए। मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल और उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा थे। सूत्रों ने बताया कि सबसे अधिक जोर टीकाकरण को तेज करने पर ही रहा। भाजपा इसके लिए अभियान चला रही है, जिसे और बढ़ाया जाएगा। साथ ही सेवा ही संगठन अभियान के जरिए जनता तक केन्द्र और प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाना है। आगामी कार्यक्रमों में स्वास्थ्य स्वयंसेवकों के जरिए कोरोना संक्रमण से जनता के बचाव का अभियान प्रमुख रहेगा। साथ ही रणनीति में संगठन को और चुस्त-दुरुस्त करने की बात कही गई है। तय हुआ है कि सभी बूथ समितियों का सत्यापन 25 सितंबर तक किया जाना है। अपडेट सूची इसी अवधि में प्रदेश मुख्यालय को भेजनी होगी। मतदान स्थलों को भाजपा ने शक्ति केन्द्र के रूप में संगठन की निचली इकाई बनाया है।
जनसंख्या नियंत्रण कानून भी होगा मुद्ïदा
भाजपा मानती है कि पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में निर्दलीय विजेता सदस्य उसके साथ आए हैं। उन्हें पार्टी की रीति-नीति के साथ जोड़कर मिशन-2022 में लगाना है। सूत्रों ने बताया कि जल्द ही सभी नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुखों को लखनऊ बुलाकर सामूहिक सम्मान समारोह, जबकि क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधानों का सम्मान ब्लाक स्तर पर कराने का सुझाव आया है। पदाधिकारियों ने सुझाव दिया कि जनसंख्या नियंत्रण कानून सरकार का अच्छा कदम है। अभी जो मसौदा बनाया है, उस पर कानून बनाया जाना चाहिए। ऐसे में संकेत साफ हैं कि इसे जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा। इसे कार्यकर्ता चुनावी मुद्ïदे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।