अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट रही यूपी सरकार

  • सोशल मीडिया की हर एक पोस्ट व ट्वीट की 24 घंटे निगरानी कर रही सरकार
  • 4पीएम की परिचर्चा में सामने आया कि ठेंगे पर है संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क. लखनऊ। इस समय कहने को तो इमरजेंसी नहीं है लेकिन यूपी में हालात कुछ वैसे ही हैं। सरकार सोशल मीडिया की हर एक पोस्ट, हर एक ट्वीट पर निगरानी कर रही है। आपकी जिस भी बात पर सरकार को बुरा लगेगा, वह कुछ भी करके आपका दमन करने पर उतर आएगी। सरकार का काम चिड़ीमार बनना नहीं था लेकिन वह अब अपनी दमनकारी नीति के चलते प्रदेश को विकराल स्थिति की और धकेल रहा है। आपातकाल की तरह, सरकार ज्यादा से ज्यादा आलोचना करने वालों को दो-चार महीने के लिए जेल में डाल देगी लेकिन सरकार को यह नहीं पता, उन्हीं लोगों ने देश की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी सत्ता से हटा दिया था। ये बात निकलकर सामने आई पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह, पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी, वरिष्ठï पत्रकार शरत प्रधान व 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के साथ एक लंबी परिचर्चा में।

परिचर्चा में पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा सरकार पुलिस के बल पर मेरी छवि को धूमिल करना चाहती है। वह चाहती है कि मैं गलत कामों के खिलाफ आवाज न उठाऊं लेकिन वह खुद की कार्यशैली में सुधार नहीं लाना चाहती। पुलिस, प्रदेश के वांटेड अपराधियों को नहीं पकड़ेगी लेकिन मुझ जैसे व्यक्ति पर वह निगरानी कर रही है। सुबह करीब 11 बजे उन्नाव पुलिस मेरे घर पर आती है और कहती है आपसे अमुक केस के सम्बंध में बात करनी है। हालांकि मैंने उस केस पर कोर्ट से स्टे ले रखा है। इसी बीच लखनऊ पुलिस भी घर पर आ जाती है। साथ ही उन्होंने मेरा फोन अपने पास रख लिया और केस के बारे में पूछताछ करने लगे। लेकिन वे पूछताछ के दौरान इस तरह से व्यवहार कर रहे थे जैसे किसी अपराधी से बात कर रहे हों। साथ ही कहा है कि आपको 8 जून को केस के संबंध में उन्नाव आना पड़ेगा, लेकिन अजीब बात है कि जब पुलिस को बुलाना ही था तो वह घर पर क्या करने आए थे? सरकार की केवल एक ही मंशा थी कि कैसे भी करके मेरी छवि को मेरे मोहल्ले व आस-पास के लोगों के बीच धूमिल करना।

वरिष्ठï पत्रकार शरत प्रधान ने कहा इस सरकार में शर्म नाम की चीज नहीं रह गई है। साथ ही इस सरकार से लोकतांत्रिक मूल्यों की उम्मीद करना बेकार है। सरकार तानाशाही व्यवहार करने लगी है। सच में यह सरकार कायरों की है। बात अगर एसपी सिंह की है तो वह अपने समय के दमदार अफसर रहे हैं। हमेशा से ही इनका वर्किंग स्टाइल सबसे जुदा रहा है। एसपी सिंह पब्लिक के इतने चहेते अफसर थे कि जब एक नेता के कहने पर उनका नैनीताल से ट्रांसफर कर दिया गया तो पूरा नैनीताल सात दिनों के लिए बंद था, जिनमें सरकारी दफ्तरों का भी बंद शामिल थे। शायद ही इतिहास में ऐसा पहले कभी हुआ हो। योगी सरकार में हो रहे गलत कामों के खिलाफ जो भी आवाज उठाएगा उसे सरकार द्वारा प्रताड़ित किया ही जाएगा।

परिचर्चा में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने कहा मैंने हमेशा से ऐसे फैसले लिए, जो हर एक अधिकारी को लेने चाहिए। सपा सरकार में भी मुझे मंत्री आजम खान से पूछताछ करने के बदले तकलीफ उठानी पड़ी थी। लेकिन अगर हम लोकतांत्रिक मूल्यों की बात करें तो इस मामले में सपा सरकार बेहतर थी। वह आलोचकों को इस तरह से प्रताड़ित नहीं करती थी। व्यक्तिगत तौर पर मेरा यह मानना है कि जो भी इस तरह की कार्यशैली को अपनाता है, वह स्वयं ही खुद का अंत लिखता है। जब इंदिरा गांधी जैसी ताकतवर महिला सत्ता पर काबिज नहीं रह पाई तो यह सरकार भी भ्रम में न रहे। जनता सबका हिसाब करती है, प्रजा से बड़ा कोई होता नहीं है। सूर्यप्रताप सिंह जी कैटलिस्ट हैं और यह सरकार तानाशाह लेकिन अंत हमेशा तानाशाह का ही हुआ है न कि कैटलिस्ट का। जो भी लोग इस सरकार के गलत कामों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उनका दमन किया जा रहा है। यह तानाशाही अधिक दिनों तक नहीं चलने वाली है। लोगों को झूठ के खिलाफ हमेशा आवाज उठानी चाहिए।

यूपी में कायरों की सरकार : वैभव

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने कहा यह सरकार कायरों की सरकार है, जिसे यह नहीं पता है कि वोट देने वाली जनता के लिए कौन से काम करने है और अपने सूबे की जनता से किस तरह का संवाद करना है। हिन्दू-मुस्लिम करके सरकार में जाने के बाद इन्हें अभी भी यह लगता है कि हम ऐसे ही सरकार चलाएंगे। इस समय प्रदेश बेरोजगारी, बेकारी से जूझ रहा है। कोरोना काल ने लोगों को बेरोजगार कर दिया और जिस तरह के हालात लोगों ने अस्पतालों में देखे उससे जनता में आक्रोश है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति सरकार की किसी खबर को ट्वीट कर देता है तो उस पर एफआईआर और देशद्रोह का मुकदमा कर दिया जा है। इन लोगों को एक बार फिर से देशद्रोह की परिभाषा पढ़ लेनी चाहिए। मेरे मुताबिक युवाओं को रोजगार न देना और मेडिकल की सुविधा उपलब्ध न करा पाना यह देशद्रोह है। यह सब करने के अलावा सरकार झूठे आंकड़े प्रस्तुत कर रही है। कोरोना में हुए चुनावों के कारण करीब 1600 शिक्षकों की जान चली गई, उस पर सरकार केवल 3 लोगों की मौत दिखा रही है। सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि यहां अंग्रेजों के डंडे काम नहीं आए। इन काले अंग्रेजों की सरकार को जनता उखाड़ फेंकने पर आमादा है।

शराब माफिया पर नकेल के लिए यूपी पुलिस ने कसी कमर

  • अब संयुक्त टीम बनाकर होगी छापेमारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क. लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आए दिन सामने आ रही अवैध शराब से मृत्यु की घटनाओं पर डीजीपी मुख्यालय ने खासी नाराजगी जताई है। एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र भेजकर आईना दिखाया है। स्पष्ट कहा है कि पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से ऐसी घटनाएं हुई हैं, उससे साफ है कि जिलों में पुलिस द्वारा मिलावटी शराब की बिक्री को रोकने के लिए पूरे प्रयास और इंटेलीजेंस का उपयोग नहीं किया है। इसी वजह से ऐसी घटनाओं की कई जगह पुनरावृत्ति भी देखी गई है। एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने अपने पत्र में पुलिस कप्तानों से कहा है कि अवैध शराब के कारोबारियों और माफिया के खिलाफ अपने निर्देशन में कानूनी कार्रवाई कराएं। अवैध शराब के सेवन से होने वाली मौतों से कानून व्यवस्था बरकरार रखने में मुश्किल होती है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि इसकी रोकथाम के लिए प्रशासनिक मजिस्ट्रेट, आबकारी अधिकारी व सीओ की संयुक्त टीम बनाकर शराब के ठेकों की नियमित जांच की जाए। जिलों में हर महीने क्राइम मीटिंग में आबकारी अधिकारियों को भी बुलाया जाए। प्रशांत कुमार ने कहा है कि यदि अवैध शराब के धंधे में किसी पुलिसकर्मी और सरकारी कर्मचारी की संलिप्तता हो तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

बीट स्तर के कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो

एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा है कि थाने के बीट स्तर के कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो, ताकि वह ऐसी गतिविधियों के बारे में थाना प्रभारी को सूचित करे और पर्याप्त पुलिस बल के साथ छापेमारी की जा सके। जरूरत पड़ने पर पूरे सर्किल के पुलिस बल का इस्तेमाल किया जाए और उसकी रिपोर्ट पुलिस कप्तान को दी जाए। ऐसे अपराध में लिप्त लोगों के खिलाफ मुकदमों की विवेचना जल्द पूरी कर चार्जशीट दाखिल कराएं और प्रभावी पैरवी कर सजा दिलाएं। आरोपितों की गिरफ्तारी हो, उन पर ईनाम घोषित किया जाए।

बलरामपुर : स्कूल में करंट लगने से दो मासूमों की मौत

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क. लखनऊ। बलरामपुर के गौरा चौराहा थाना क्षेत्र के ग्राम जमुवरिया में स्कूल के शौचालय की छत पर खेलते समय दो किशोर ऊपर से निकली हाईटेंशन तार की चपेट में आ गए। करंट से झुलस कर दोनों किशोर की मौत हो गई। स्वजनों का रो-रो कर हाल बेहाल है। अब्दुल मजीद का 13 वर्षीय बेटा इदुजमा व सनाउल्ला का 12 वर्षीय बेटा फिरोज की करंट की चपेट में आने से मौत हो गई। बताते हैं कि दोनों किशोर गांव में ही स्थित प्राइमरी स्कूल परिसर में खेल रहे थे। खेलते -खेलते दोनों शौचालय की छत पर चढ़ गए। वहीं खेलने लगे। छत के ऊपर से निकले तार की चपेट में आ गए जिससे दोनों की मौत हो गई। अचानक हुई इस घटना से गांव में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों व स्वजनों ने दोनों का शव छत से नीचे उतारा। ग्राम प्रधान उबैदुर रहमान ने बताया कि बिजली के तार स्कूल परिसर के ऊपर से निकला है जो काफी नीचा है। इससे दोनों किशोर करंट की चपेट में आ गए। स्वजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया था। गौरा चौराहा थाना की पुलिस को सूचना देकर पंचनामा कराकर शव परिवारजनों को दे दिया गया। दोनों का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है। ग्रामीणों ने स्कूल परिसर के ऊपर से निकले बिजली तार को हटवाने की मांग की है।

अब उत्तर प्रदेश के तीन शहरों में ही कोरोना कर्फ्यू

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क. लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर पर नियंत्रण लगता दिख रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ जबसे खुद ग्राउंड जीरो पर उतारकर कोरोना मैनेजमेंट की निगरानी कर रहे हैं, उसके बाद से लगातार संक्रमण की दर में गिरवाट देखने को मिल रही है। सीएम योगी के ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट फार्मूले का ही असर है कि अब प्रदेश में संक्रमण दर शून्य के आसपास पहुंच चुकी है। बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के सिर्फ 727 नए मामले प्रदेश भर में मिले। कोरोना संक्रमण की वजह से लगे आंशिक कोरोना कर्फ्यू से अब लगभग पूरा प्रदेश राहत पा चुका है। 600 से कम सक्रिय मामले होते ही सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा करते हुए सहारनपुर को भी छूट देने का निर्देश दिया। अब सिर्फ लखनऊ, गोरखपुर और मेरठ में ही 600 से अधिक सक्रिय केस होने की वजह से वहां प्रतिबंध लागू है।  

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