ऑक्सीजन की कमी और अस्पताल की लापरवाही के कारण मर गया भाजपा विधायक का बेटा
- दर-दर की ठोकर खा रहे विधायक, नहीं दर्ज हो रही एफआईआर
- बेटे की मौत से टूटे संडीला के भाजपा विधायक राजकुमार अग्रवाल
- सीएम से स्वास्थ्य मंत्री तक लगा चुके हैं गुहार
- लखनऊ के अथर्व अस्पताल में हुई थी बेटे की मौत
- काकोरी थाने में दी थी तहरीर पर आज तक नहीं दर्ज हुआ मुकदमा
- विपक्ष ने कहा, नौकरशाही चला रही सरकार, विधायक-मंत्री कर दिए गए दरकिनार
संजय शर्मा
लखनऊ। प्रदेश में रामराज्य लाने का दावा करने वाली योगी सरकार एक बार फिर कठघरे में हैं। बेटे की मौत से टूट चुके भाजपा विधायक राजकुमार अग्रवाल की गुहार सरकार को सुनाई नहीं पड़ रही है। उन्होंने बेटे की मौत के लिए लखनऊ के अथर्व अस्पताल के प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए काकोरी थाने में तहरीर दी थी। साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मंत्री को बकायदा पत्र लिखकर मामले की रिपोर्ट दर्ज करवा कर सख्त कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी लेकिन आज तक अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। साफ है जब सत्ता पक्ष के विधायक को ही न्याय नहीं मिल पा रहा है तो प्रदेश के आम नागरिकों को कैसे मिलेगा। वहीं विपक्ष ने इस मामले में प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है। भाजपा विधायक राजकुमार अग्रवाल के बेटे आशीष अग्रवाल की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी। 22 अप्रैल को उन्हें आईआईएम रोड बसंत कुंज स्थित अथर्व हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां 26 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। विधायक ने बेटे की मौत पर अस्पताल प्रशासन पर इलाज में घोर लापरवाही बरतने और षड़यंत्र का आरोप लगाते हुए कर्मचारियों और प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की थी। विधायक राजकुमार अग्रवाल ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और जिलाधिकारी को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि मैंने अपने पुत्र आशीष को अथर्व हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। अस्पताल प्रबंधन ने किसी षड्यंत्र के तहत 26 अप्रैल को हॉस्पिटल की ऑक्सीजन समाप्त हो गई और गेट पर ताला लगा दिया गया। वहां मौजूद सभी लोगों को बाहर निकाल दिया गया। हमारा बड़ा पुत्र संजय वहीं मौजूद था। अस्पताल के डॉक्टर नदीम नकवी सुबह आठ बजे मिले लेकिन उन्होंने हमारे पास मौैजूद ऑक्सीजन सिलेंडर को लेने से इंकार कर दिया। ऑक्सीजन न मिलने के कारण मेरे पुत्र आशीष ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। डॉक्टर की लापरवाही के कारण कई अन्य लोगों की भी मौतें वहां हो गई हंै। लिहाजा हॉस्पिटल की सीसीटीवी फुटेज व हार्डडिस्क कैमरे को कस्टडी में लिया जाए और रिपोर्ट लिखवाकर अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए लेकिन आज तक अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं विपक्ष का कहना है कि सरकार ने अपने विधायक और मंत्रियों को दरकिनार कर दिया है। अब तो केवल नौकरशाही सरकार को चला रही है।
तीस अप्रैल को लिखा था पत्र
हैरानी की बात यह है कि विधायक ने यह पत्र तीस अप्रैल को लिखा था लेकिन आज तक उनकी ही सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस मामले में आज तक कोई रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई है। अब सोशल मीडिया पर उनका पत्र वायरल होने के बाद सरकार में हड़कंप मचा हुआ है।
उत्तर प्रदेश में सरकार सिर्फ नौकरशाही चला रही है। विधायकों और मंत्रियों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ये घटना इसका एक और उदाहरण है। जब सत्ता पक्ष के लोगों की बात नहीं सुनी जा रही है तो आम आदमी की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है।
जीशान हैदर, प्रवक्ता, कांग्रेस
सरकार अपने ही विधायकों की बात नहीं सुन रही है। कई बार विधायक व मंत्रियों का असंतोष सामने आ चुका है। प्रदेश सरकार पूरी तरह असफल है। जब सरकार अपने विधायकों को ही न्याय नहीं दिला पा रही है तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा।
जूही सिंह, प्रवक्ता, सपा
बहुत ही गंभीर मामला है। पुलिस, अफसर और घूसखोरों का नेटवर्क इस सरकार में इतना हावी है कि एक भाजपा विधायक के बेटे की मौत के बाद आरोपी के खिलाफ थाने में एफआईआर तक नहीं लिखी जा रही है। जनता अब ये सोचे कि वो ऐसी अहंकारी पार्टी को वोट दे ही क्यों, जिसका विधायक ही एक दरोगा के आगे इतना बेबस बना दिया गया हो। बदलाव एकमात्र रास्ता बचा है।
वैभव माहेश्वरी, प्रवक्ता, आप
यह पूरी तरह साफ हो चुका है कि योगी सरकार किसी भी प्रकार से न्यायिक व पुलिस प्रक्रिया पर विश्वास नहीं करती। केवल दिखावे की राजनीति करती है। भाजपा विधायक के मामले में एफआईआर दर्ज न होना दुखद है जबकि सरकार को चाहिए कि पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जांच हो और अगर दोषी है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।
अमिताभ ठाकुर, पूर्व आईपीएस