करीब आया चुनाव तो भाजपा को याद आए कार्यकर्ता

  • पिछली सरकारों में दर्ज मुकदमे होंगे वापस
  • संगठन व संघ की बैठक में भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी पर जताई गई थी चिंता
  • शीर्ष नेतृत्व की हिदायत के बाद प्रदेश भाजपा और सरकार ने शुरू की कवायद
  • विपक्ष बोला, सभी दलों के कार्यकर्ताओं पर लगे मुकदमे वापसकरे सरकार

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। विधान सभा चुनाव के करीब आते ही भाजपा अब अपने नाराज कार्यकर्ताओं को साधने में जुट गई है। सरकार ने ऐलान किया है कि वह पिछली सरकारों द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं पर लगाए गए मुकदमे वापस लेगी। माना जा रहा है कि यह फैसला शीर्ष नेतृत्व की सभी को साथ लेकर चलने की हिदायत के बाद लिया गया है। प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ता अफसरशाही और अपने नेताओं की उपेक्षा से बेहद नाराज चल रहे हैं और पार्टी नेतृत्व जानता है कि यदि कार्यकर्ता नाराज रहे तो चुनाव में उनको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं विपक्ष का कहना है कि विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं पर राजनीति विद्वेष के तहत दर्ज कराए गए मुकदमे भी भाजपा सरकार को वापस लेने चाहिए। अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले प्रदेश में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। संगठन और सरकार में मचे घमासान पर विराम लगने के बाद अब भाजपा सभी कील कांटों को दुरुस्त करने में जुट गई है। इसी कड़ी में अब वह अपने कार्यकर्ताओं को खुश करने की कोशिश कर रही है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी की खबरें दिल्ली दरबार तक पहुंची थीं। राष्टï्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह के सामने भी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की बात रखी गई थी। लिहाजा, शीर्ष नेतृत्व की हिदायत के बाद योगी सरकार पार्टी कार्यकर्ताओं पर पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा दर्ज मुकदमे वापस लेगी। इसके अलावा मंत्रियों को जिले में प्रवास कर कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित करने को भी कहा गया है। सपा और बसपा सरकार में आंदोलन और धरना प्रदर्शन के वक्त कार्यकर्ताओं पर दर्ज 5000 से अधिक मुकदमे वापस लिए जाएंगे। अगले महीने तक बाकी केस वापस लेने की कवायद शुरू होगी। बीएल संतोष के साथ बैठक में कई पार्टी के बड़े पदाधिकारियों ने ये मुद्दा उठाया था।

क्या कहते हैं कानून मंत्री

प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक का कहना है कि ये सतत प्रक्रिया है। ऐसे मुकदमे जो राजनीतिक द्वेष की वजह से या आंदोलन के चलते दर्ज किए गए थे उनका परीक्षण कर वापस ले रहे हैं और आगे भी ये प्रक्रिया जारी रहेगी। यूपी सरकार इसके पहले भी अपनी पार्टी के नेताओं, मंत्रियों और कार्यकर्ताओं के मुकदमे वापस लेने को लेकर न्याय विभाग से रिपोर्ट मांगी थी।

4पीएम की डिबेट में पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने भी उठाया था मुद्दा

4पीएम न्यूज नेटवर्क के यूट्यूब चैनल पर आयोजित डिबेट में पूर्व विधायक और भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल सिंह ने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सभी बड़े लोगों ने सरकार में आते ही अपने ऊपर लगे मुकदमों को हटवा लिया और हम जैसे कार्यकर्ताओं पर मुकदमे आज भी कायम हैं। कार्यकर्ता परेशान हैं, रोज पैरवी करनी पड़ती है क्योंकि सरकार तो नौकरशाह चला रहे हैं। पूर्व की सरकार में भी तकलीफ सहा है और अपनी भी सरकार में लाठी खा रहे हैं। उच्च पदों पर बैठे लोग खुश हैं लेकिन जमीनी कार्यकर्ता अपनी सरकार होने के बावजूद आज भी राजनैतिक मुकदमों के कारण कचहरी में अपनी चप्पलें घिस रहा है।

भाजपा सरकार विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं पर राजनैतिक मुकदमे दर्ज कर जेल भेज रही है। एक मुख्यमंत्री को पक्षपात पूर्ण राजनीति शोभा नहीं देती है। सरकार को चाहिए कि सभी दलों के ऊपर दर्ज मुकदमे वापस ले। तभी जीरो टॉलरेंस नीति सही होगी। यह सियासी फायदे के लिए किया जा रहा है।

डॉ. आशुतोष वर्मा, प्रवक्ता, सपा

जैसे-जैसे चुनाव आ रहा है, भाजपा घबरा रही है। साढ़े चार साल में राजनैतिक मुकदमे वापस नहीं लिए गए। अब कौन सा डर है कि मुकदमे वापस ले रही है। हर सरकार में राजनैतिक मुकदमे होते हैं। सरकार इन सभी मुकदमों को वापस लें। 

-द्विजेन्द्र त्रिपाठी, प्रवक्ता, कांग्रेस

सबसे ज्यादा राजनीतिक द्वेष भावना से ग्रसित होकर भाजपा सरकार ने विपक्षी दलों पर मुकदमे दर्ज किए हैं। आप सांसद पर 14 मुकदमे दर्ज किए। अगर भाजपा की नीयत साफ है तो सारे मुकदमे वापस लें। फिर दूसरी सरकारों की बात करें। ये सरकार चुनाव से पहले वे मुकदमे वापस ले रही है, जिससे इनको फायदा मिल सके।  

सभाजीत सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, आप

भाजपा को सरकार में रहते हुए साढ़े चार साल बीत गए पर किसी कार्यकर्ता की याद नहीं आई। अब चुनाव के समय वोट बटोरने के लिए कार्यकर्ता याद आ रहे हैं। भाजपा की नीति हमेशा से ही यूज एंड एब्यूज की रही है। जहां तक रही बात मुकदमों की तो भाजपा के ही नहीं बाकी सभी दलों के कार्यकर्ताओं पर दर्ज किये गए मुकदमे वापस होने चाहिए।

शिवकरण सिंह, राष्ट्रीय महासचिव, आरएलडी

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