क्या भूपेश बघेल ने अपने पिता को जेल भेजकर साधा रहे हैं राजनीतिक निशाना

नई दिल्ली। क्या छत्तीसगढ़ के सीएम ने अपने पिता को जेल भेजकर अपना राजनीतिक संकट कम किया है? क्या यह सिर्फ एक पारिवारिक मामला था या इसके व्यापक राजनीतिक निहितार्थ हैं? ये सारे सवाल तब उठे जब भूपेश बघेल ने खुद पहल करते हुए अपने ही 86 वर्षीय पिता नंद कुमार बघेल को जेल भेज दिया। हालांकि जेल जाने के दो दिन बाद ही उन्हें जमानत मिल गई और वह बाहर आ गए लेकिन राजनीति रुकने का नाम नहीं ले रही है।
दरअसल, नंद कुमार बघेल ने लखनऊ में ब्राह्मणों को लेकर विवादास्पद टिप्पणी कर उन्हें विदेशी कहा था। इसके बाद जब शिकायतें आईं तो सीएम बघेल ने खुद अपने पिता के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा। माना जा रहा है कि भूपेश बघेल ने अपने पिता पर कार्रवाई करते हुए एक तीर से कई निशाने साधे। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब छत्तीसगढ़ में बघेल की कुर्सी खतरे में होने की बात कही जा ही है।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के गुट ने दावा किया था कि 2018 में राहुल गांधी ने उनके और बघेल के बीच पांच साल के कार्यकाल को आधे में बांटने का फॉर्मूला तैयार किया था, जिसके आधार पर अब उन्हें बागडोर मिलनी चाहिए। राहुल गांधी के साथ दो दौर की मैराथन वार्ता की। दावा किया गया कि बघेल को बदलने का विकल्प भी खुला है। यहां से बघेल ने एक के बाद एक कई कदम उठाकर अपने पक्ष में माहौल बनाया।
पहले वह ओबीसी नेता के रूप में स्थापित हुए, जिन्हें हटाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं था। इसके साथ ही उन्होंने सत्ता विरोधी लहर के आरोप के खिलाफ अपने पिता पर कानूनी कार्रवाई करके यह राजनीतिक संदेश भेजा कि वह कानून का पालन करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक बघेले का यह दांव डैमेज कंट्रोल के लिए चला गया है जिसे बघेल ने बड़ी चतुराई से निभाया है। लेकिन क्या इससे संकट पूरी तरह से टल जाएगा?
वास्तव में, यह इतना आसान नहीं होगा हालांकि तमाम कोशिशों के साथ बघेल का राजनीतिक संकट कुछ दिनों तक कम हो सकता है, लेकिन यह कुछ समय के लिए ही ऐसा चलेगा। इसके साथ वह लंबे समय में बड़ी तस्वीर नहीं बदल सकते जो उनकी चुनौती बनी रहेगी । तीन रातें जेल में बिताने के बाद रिहा हुए सीएम भूपेश बघेल के पिता को ब्राह्मणों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
भूपेश बघेल के अपने पिता से विवाद और मतभेद नए नहीं हैं। बघेल ने खुद सार्वजनिक मंच से अपने पिता के साथ मतभेद को स्वीकार किया है। उनके पिता नंद कुमार बघेल पिछले कई वर्षों से सामाजिक जीवन में सक्रिय हैं और प्रदेश में मतदाता जागृति मंच नाम से संगठन भी चलाते हैं। कांग्रेस विरोधी राजनीति कर चुके नंदकिशोर बघेल पूर्व में भी कई बार पार्टी नेताओं के खिलाफ अभियान चला चुके हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ प्रचार किया था। इसके साथ ही भूपेश बघेल ने कई मौकों पर खुद को अपने पिता से अलग कर लिया था। उन्होंने बयान दिया है कि उनके पिता के बयान या काम को उनसे नहीं जोड़ा जाना चाहिए। पिता से मतभेद के चलते वह बचपन में ही घर छोडक़र रायपुर चले गए थे।

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