दिल्ली दरबार और टीम दीदी आमने सामने

नई दिल्ली। पिछले लंबे समय से ही दिल्ली दरबार और दीदी के बीच रस्साकसी का खेल चल रहा है। यह जोरआजमाइश विधानसभा चुनाव के दौरान अपने चरम पर थी। अब जब एक बार फिर पश्चिम बंगाल की कमान दीदी के हाथों में है तो शह और मात का खेल फिर से चल निकला है। लेकिन अब की इसके केंद्र में एक नौकरशाह हैं। जिनको लेकर घमासान मचा हुआ। वैसे यह कोई पहला मामला नहीं है जब दीदी के दरबार का मुकाबला दिल्ली के दरबार से हो रहा है।
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के समय से पहले रिटायरमेंट को लेकर बवाल मच गया है और ममता बनर्जी ने उन्हें सीएम का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है। केंद्र सरकार ने अलपन बंदोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस भेजकर 3 दिन में जवाब मांगा है।
अलपन को भेजे गए नोटिस में एनडीएमए एक्ट की धारा 51 का हवाला दिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र के आदेश का पालन नहीं करने पर बंदोपाध्याय को कानून के तहत 1 से 2 साल की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकता है। दरअसल, केंद्र ने 28 मई की रात बंदोपाध्याय की सेवाएं मांगी थी और शीर्ष नौकरशाह को 31 मई को सुबह 10 बजे दिल्ली में कार्यभार संभालने को कहा था। उन्होंने दिल्ली नहीं आने का फैसला किया। बंदोपाध्याय को दिल्ली बुलाने का केंद्र का आदेश मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के कुछ घंटों बाद आया, जिसका मुख्यमंत्री द्वारा केवल 15 मिनट में निपटारा किया गया था।
वहीं, सोमवार को बंदोपाध्याय को दिल्ली तलब करने के केंद्र सरकार के आदेश को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था। इसके साथ ही उन्हें तीन साल के लिए मुख्य सलाहकार नियुक्त किया।
इस संबंध में विधि विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी रूप से आईएएस (कैडर) नियमों के तहत, केंद्र को निश्चित रूप से राज्य से आईएएस अधिकारियों को वापस बुलाने का अधिकार है, लेकिन इस तरह की वापसी उचित आधार पर और जनहित के लिए है। उन्होंने कहा कि ऐसा निर्णय लेते समय केंद्र को राज्य के साथ परामर्श करने की आवश्यकता है और असहमति के मामले में केंद्र को असाधारण परिस्थितियों का हवाला देना चाहिए।

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