फिर चर्चा में आया जोमैटो, इस बार यह रहा मसला
नई दिल्ली। जोमैटो एक बार फिर विवादों में घिर गया है। इस बार जोमैटो के विवाद की वजह डिलीवरी या खाने का सामान नहीं, बल्कि हिंदी भाषा है। दरअसल, चेन्नई के एक जोमैटो ग्राहक ने आरोप लगाया है कि कंपनी के एक कर्मचारी ने उससे हिंदी भाषा को लेकर बहस की। ग्राहक ने इस बहस की चैट का स्क्रीनशॉट भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है. सोशल मीडिया पर मामला सामने आने के बाद जोमैटो ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। इसके बाद जोमैटो ने संबंधित कर्मचारी को हटाया, फिर बाद में उसे बहाल कर दिया। आखिर ऐसा क्या हुआ कि कंपनी ने उन्हें बर्खास्त कर उन्हें बहाल कर दिया। आइए जानते हैं पूरा मामला।
आपको बता दें कि विकास नाम के शख्स ने जोमैटो के एक कर्मचारी से अपनी बातचीत का स्क्रीनशॉट ट्विटर पर ट्वीट किया। विकास को अपना ऑर्डर मिलने में दिक्कत आ रही थी, जिसके लिए उन्होंने कर्मचारी को रेस्टोरेंट से संपर्क करने को कहा। जिस पर जोमैटो के कर्मचारी ने विकास से कहा कि उसने रेस्तरां को पांच बार फोन करने की कोशिश की, लेकिन भाषा के कारण उससे ठीक से संपर्क नहीं हो सका।
इसके बाद विकास ने कहा कि अगर जोमैटो तमिलनाडु में सेवाएं दे रहा है तो उसे भाषा समझने के लिए किसी तमिल भाषी व्यक्ति को काम पर रखना चाहिए। उन्होंने जोमैटो के कर्मचारी से रेस्टोरेंट से पैसे वापस दिलाने को कहा। जवाब में कर्मचारी ने कहा कि आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। इसलिए यह बहुत आम बात है कि हर किसी को थोड़ी बहुत हिंदी आनी चाहिए।
विकास ने अपने ट्वीट में लिखा- जोमैटो से खाना मंगवाया, लेकिन उसमें एक आइटम छूट गया। जब मैंने कस्टमर केयर से बात की तो उसने कहा कि पैसा वापस नहीं किया जा सकता, क्योंकि हिंदी नहीं बोली जाती है। यह भी एक तरह का सबक है कि एक भारतीय होने के नाते मुझे हिंदी सीखनी चाहिए। मुझे झूठा करार दिया गया। इसके बाद विकास ने कहा कि भाषा की समस्या उनकी समस्या नहीं है। कंपनी को पैसा वापस करना चाहिए। विकास के सोशल मीडिया पर एक ट्वीट पोस्ट करने के बाद मामला वायरल हो गया।
सोशल मीडिया पर मामला वायरल होने के बाद जोमैटो ने खुद ट्वीट कर माफी मांगी है। जोमैटो ने अपने ट्वीट में कहा कि वनक्कम विकास, हम अपने कस्टमर केयर एजेंट के व्यवहार के लिए माफी मांगते हैं। हमने इस घटना पर आधिकारिक बयान दिया है। हमें उम्मीद है कि अगली बार आप हमें अपनी बेहतर सेवा करने का मौका देंगे।
इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए जोमैटो ऐप का एक तमिल वर्जन भी काम कर रहा है। कंपनी मामले की जांच कर रही हैर्। ंकंपनी के संस्थापक दीपेंद्र गोयल ने कहा कि फूड डिलीवरी कंपनी के सपोर्ट सेंटर में किसी की अनजाने में हुई गलती एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। हमारे देश में सहिष्णुता और शीतलता का स्तर आज की तुलना में बहुत अधिक होना चाहिए। वर्तमान में हम अपने कर्मचारी को बहाल कर रहे हैं। यह ऐसा कुछ नहीं है जिसके लिए उसे निकाल दिया जाना चाहिए था।
उन्होंने आगे कहा कि याद रखें, हमारे कॉल सेंटर एजेंट युवा हैं, जो अपने सीखने की अवस्था और करियर की शुरुआत में हैं। वह भाषाओं और क्षेत्रीय भावनाओं के विशेषज्ञ नहीं हैं और न ही मैं। मामला इतना बढ़ गया कि डीएमके सांसद ने ट्वीट किया, वहीं डीएमके सांसद सेंथिल कुमार ने इस मुद्दे पर विकास के ट्वीट को शेयर करते हुए जोमैटो से जवाबदेही तय करने की मांग की. उन्होंने कहा कि हिंदी कब से राष्ट्रभाषा बन गई। तमिलनाडु में एक ग्राहक को हिंदी क्यों जाननी चाहिए और आपने अपने ग्राहक को किस आधार पर सलाह दी कि उसे कम से कम हिंदी का ज्ञान होना चाहिए? कृपया अपने ग्राहक की समस्या का समाधान करें और क्षमा मांगे।