विद्युत सुरक्षा की अनदेखी खतरनाक
sanjay sharma
सवाल यह है कि विद्युत विभाग बिजली के तारों को बिछाने के दौरान जरूरी सुरक्षा उपायों की अनदेखी क्यों करता है? अक्सर विद्युत उपकरणों में करंट उतरने के मामले सामने क्यों आते हैं? लोहे के खंभों पर सेफ्टी डिवाइस के प्रयोग में लापरवाही क्यों बरती जा रही है? घरेलू उपभोक्ताओं को कनेक्शन देने के दौरान अर्थ देने की व्यवस्था को क्यों खत्म कर दिया गया?
लखनऊ के बीकेटी के देवराई कला में बिजली के जर्जर पोल में करंट उतरने से दो बच्चियों की मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि विद्युत विभाग बिजली के तारों को बिछाने के दौरान जरूरी सुरक्षा उपायों की अनदेखी क्यों करता है? अक्सर विद्युत उपकरणों में करंट उतरने के मामले सामने क्यों आते हैं? लोहे के खंभों पर सेफ्टी डिवाइस के प्रयोग में लापरवाही क्यों बरती जा रही है? घरेलू उपभोक्ताओं को कनेक्शन देने के दौरान अर्थ देने की व्यवस्था को क्यों खत्म कर दिया गया? अंडरग्राउंड विद्युत लाइन बिछाने की प्रक्रिया को पूरे प्रदेश में क्यों नहीं लागू किया जा रहा है? ग्रामीण क्षेत्रों में हाईटेंशन तार के बीच बस्तियों को बसाने की छूट कौन दे रहा है? क्या लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की छूट किसी को दी जा सकती है?
राजधानी समेत पूरे यूपी में विद्युत सप्लाई की व्यवस्था आज भी पुराने ढर्रे पर चल रही है। सडक़ों से लेकर गलियों तक में बिजली के तारों के जाल फैले हुए हैं। जर्जर तारों के टूटकर गिरने से कई हादसे हो चुके हैं। बावजूद इसके विद्युत विभाग आंखें मूंदे बैठा है। लखनऊ के बाजारों में चारों ओर विद्युत तार दिखाई पड़ते हैं। ये कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। यही नहीं भीड़-भाड़ वाले कई बाजारों में जमीन पर ट्रांसफार्मर रखे हुए हैं। बारिश के दौरान इसके जरिए जमीन पर करंट उतरने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा किसी पशु के इसकी चपेट में आने की आशंका बनी रहती है। हैरानी की बात यह है कि विद्युत तार बिछाने के लिए जरूरी सुरक्षा उपकरण तक नहीं लगाए जा रहे हैं। विद्युत सुरक्षा अधिनियम 1956 के मुताबिक लोहे के विद्युत पोल पर सेफ्टी डिवाइस के तौर पर अर्थ वायर और स्टे वायर लगाना जरूरी है लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है। 11 केवीए से लेकर 440 केवीए और एलटी लाइन के खंभों पर बिना सुरक्षा उपकरण के ही बिजली सप्लाई की जा रही है। यही नहीं घरेलू उपभोक्ताओं को कनेक्शन देते समय अर्थ और न्यूट्रल की व्यवस्था की जाती थी। इससे विद्युत उपकरणों में करंट उतरने की आशंका बेहद कम हो जाती है लेकिन अब अर्थ देने की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। जाहिर है विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है। यदि सरकार करंट से होने वाले हादसों को रोकना चाहती है तो उसे न केवल अंडर ग्राउंड बिजली आपूर्ति व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू करना होगा बल्कि जरूरी सुरक्षा उपायों को मजबूत करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो स्थितियां बदतर हो जाएंगी।