शेख हसीना के विरोधी नेता उस्मान हादी की मौत, ढाका में उग्र प्रदर्शन जारी, आगजनी के बाद सेना तैनात

बांग्लादेश की राजनीति और सड़कों पर उबाल और तेज हो गया है। जुलाई आंदोलन के प्रमुख नेता और इंकिलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई। सिर में गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हादी छह दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझते रहे। उनकी मौत के बाद देशभर में शोक, आक्रोश और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने एक दिन के राजकीय शोक का एलान करते हुए दोषियों को जल्द पकड़ने का वादा किया है।
ढाका से जारी जानकारी के मुताबिक, शरीफ उस्मान हादी को पिछले हफ्ते अज्ञात हमलावरों ने सिर में गोली मार दी थी। हालत नाजुक होने पर उन्हें सिंगापुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां गुरुवार रात उन्होंने दम तोड़ दिया। हादी जुलाई आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के नेता माने जाते थे और मौजूदा राजनीतिक हालात में उनकी भूमिका काफी अहम थी। उनकी मौत को आंदोलन पर हमला माना जा रहा है।
हिंसा, तोड़फोड़ और सुरक्षा संकट
हादी की मौत के बाद हालात और बिगड़ते दिखे। ढाका विश्वविद्यालय परिसर में छात्र संगठन जातीय छात्र शक्ति ने शोक मार्च निकाला और गृह सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी का पुतला फूंका। उन पर हमलावरों को पकड़ने में नाकामी का आरोप लगाया गया। इसी दौरान राजधानी में बंगाली अखबार प्रोथोम आलो के दफ्तर पर भीड़ ने हमला कर दिया। कई मंजिलों में तोड़फोड़ हुई और आगजनी की गई। कुछ पत्रकार और कर्मचारी अंदर फंसे रहे। यह साफ नहीं हो सका कि अखबार को निशाना क्यों बनाया गया, जबकि वह अंतरिम सरकार के प्रति नरम रुख रखता रहा है।
बढ़ते तनाव को देखते हुए सरकार ने देशभर में कड़ी सुरक्षा लागू करते हुए ऑपरेशन डेविल हंट 2 शुरू किया है। कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के बीच सरकार ने चुनाव उम्मीदवारों और प्रमुख राजनीतिक व्यक्तियों को हथियार लाइसेंस देने की प्रक्रिया भी आसान करने की घोषणा की है। हादी की मौत ने बांग्लादेश को एक बार फिर उथल-पुथल के दौर में ला खड़ा किया है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि सरकार हत्यारों को कितनी जल्दी पकड़ पाती है और क्या हालात पर काबू पाया जा सकेगा।
हिंसा की आग में मीडिया दफ्तरों को बनाया निशाना
हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा ने मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया। ढाका के करवान बाजार स्थित द डेली स्टार के कार्यालय पर आधी रात के बाद भीड़ ने हमला कर दिया, जहां करीब चार घंटे तक फंसे रहे 25 पत्रकारों को सुबह सुरक्षित निकाला गया। इससे पहले भीड़ ने प्रोथोम आलो के दफ्तर में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, द डेली स्टार की इमारत की निचली मंजिलों में आग लगने से भारी धुआं भर गया, जिससे पत्रकार छत पर शरण लेने को मजबूर हुए। दमकल कर्मियों को भीड़ के कारण मौके तक पहुंचने में दिक्कत हुई। बाद में सेना की तैनाती के बीच पत्रकारों को बाहर निकाला गया।अपील की थी।
द डेली स्टार जैसे प्रमुख मीडिया निशाने पर
द डेली स्टार जैसे प्रमुख मीडिया संस्थानों पर हमले किए गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, हादी की मौत की खबर के बाद प्रदर्शनकारी करवान बाजार में जमा हुए और दोनों अखबारों के कार्यालयों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लाठी-डंडों से हमला और सड़क पर आगजनी देखी गई। हादी को 12 दिसंबर को चुनाव प्रचार के दौरान गोली मारी गई थी और सिंगापुर में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस घटना ने बांग्लादेश में चुनावी माहौल और प्रेस की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यूनुस ने राष्ट्रीय शोक का किया एलान
हादी की मौत के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने कहा कि हादी जुलाई आंदोलन के निडर योद्धा थे और उनकी हत्या बेहद दुखद है। यूनुस ने भरोसा दिलाया कि हत्यारों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया और हादी की पत्नी व इकलौते बच्चे की जिम्मेदारी सरकार द्वारा लेने की बात कही। साथ ही नागरिकों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की।
विपक्ष और आंदोलनों की प्रतिक्रिया
हादी की मौत के बाद राजधानी ढाका के शाहबाग चौराहे पर बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग जुट गए। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए और हादी को न्याय दिलाने की मांग की। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी ने भी उनकी मौत पर शोक जताया। इंक़िलाब मंच ने चेतावनी दी कि जब तक हमलावर गिरफ्तार नहीं होते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा और जरूरत पड़ी तो देश को ठप कर दिया जाएगा। मंच ने यह भी कहा कि यदि आरोपी भारत भागे तो उन्हें भारत सरकार से बातचीत कर वापस लाया जाए।
कौन है शेख हसीना का कट्टर विरोधी उस्मान हादी?
हादी पिछले साल छात्र-नेतृत्व वाले हिंसक सड़क विरोध प्रदर्शन का एक प्रमुख नेता था। इस प्रदर्शन को जुलाई विद्रोह भी कहा जाता है। इसने 5 अगस्त को हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को गिरा दिया था। बता दें, आगामी चुनाव में उस्मान हादी प्रत्याशी भी था।



