बंद कमरे में मिले 52 ब्राह्मण विधायक, यूपी की सियासत में मचा संग्राम
एमएलए बोले- समुदाय की समस्याओं पर चर्चा करने केलिए एक साथ आए

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान, ब्राह्मण समुदाय के विधायकों ने लगभग चार दर्जन विधायकों की उपस्थिति में एक बैठक आयोजित की। बैठक में उपस्थित विधायक रत्नाकर मिश्रा ने बताया कि बैठक का उद्देश्य समुदाय की समस्याओं पर चर्चा करना था। उन्होंने कहा कि इस बैठक का एकमात्र उद्देश्य यह था कि आज हमारा समुदाय बिखर रहा है। पहले तीन पीढिय़ां एक ही छत के नीचे रहती थीं, लेकिन अब जैसे-जैसे हमारे बच्चे पश्चिमी सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं, हमारा समुदाय बिखर रहा है।
मिश्रा ने आगे कहा कि हमारा एकमात्र उद्देश्य इन बच्चों को एक दिशा में लाना और सबको एकजुट करना था। आज हमारे माता-पिता वृद्धाश्रम जा रहे हैं, जो हमारे लिए चिंता का विषय है। उन्हें एक छत के नीचे कैसे रखा जाए? इसी उद्देश्य से यह बैठक आयोजित की गई थी। उन्होंने समाज में ब्राह्मणों की भूमिका को समझाते हुए कहा कि मूल्य/संस्कृति देना ब्राह्मणों का काम है, इसलिए यदि ब्राह्मणों द्वारा मूल्य/संस्कृति देने के लिए बैठक आयोजित की जा रही है, तो इसमें क्या गलत है? बल्कि, प्रत्येक समुदाय को भारत माता की मुख्यधारा में सबको लाने के लिए बैठक आयोजित करनी चाहिए। मिश्रा ने कहा कि इस बैठक का उद्देश्य राजनीतिक चर्चा करना नहीं था।
उन्होंने आगे कहा कि हमें राजनीतिक विचार-विमर्श की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में माफिया का राज नहीं है और सभी व्यवस्थाएं बेहतर हैं, इसलिए राजनीतिक विचार-विमर्श की कोई जरूरत नहीं थी। मिश्रा ने पार्टी की भागीदारी के बारे में भी स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा, इस बैठक में लगभग चार दर्जन विधायकों ने भाग लिया, इसलिए किस पार्टी के विधायक मौजूद थे, इसकी जानकारी मेरे पास नहीं है। मैं थोड़ा देर से पहुंचा, इसलिए सभी से परिचय नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि अन्य समुदायों ने पहले भी इसी तरह की बैठकें आयोजित की हैं। मिश्रा ने कहा, इससे पहले ठाकुर समुदाय के विधायकों ने भी अपनी बैठक की थी, जो बहुत अच्छी बात थी। कुर्मी समुदाय के विधायकों ने भी अपनी बैठक की थी, और मेरा मानना है कि अन्य समुदायों को भी अपनी बैठकें करनी चाहिए ताकि समुदाय मुख्यधारा से जुड़ सके।

ब्राह्मणों केनाराज होने की खबरें अफवाह : पीएन पाठक
कुशीनगर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक और बैठक के आयोजक पी एन पाठक ने कहा, कल हमने ब्राह्मण विधायकों की एक बड़ी बैठक की। इस बैठक में किसी अन्य पार्टी का कोई विधायक मौजूद नहीं था। इस बैठक का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं था। उन्होंने मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा, मीडिया में तरह-तरह की बातें फैलाई जा रही हैं कि ब्राह्मण नाराज हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी सच नहीं है। ब्राह्मण केवल उत्थान और सामाजिक कल्याण की बात कर रहे हैं।
सामंती मानसिकता के खिलाफ हम लड़ते रहेंगे: राहुल गांधी
नेता प्रतिपक्ष बोले- भाजपा सरकार में वैश्य समुदाय को निशाना बनाया जा रहा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को भाजपा सरकार की उन नीतियों की आलोचना की, जिनसे उनके अनुसार छोटे व्यवसायों को नुकसान पहुंचा है, खासकर वैश्य (व्यापारी) समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने वैश्य समुदाय को अपना पूरा समर्थन देते हुए इसे भाजपा की सामंती मानसिकता के खिलाफ लड़ाई बताया। उन्होंने समुदाय के संघर्षों पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे अर्थव्यवस्था पर सरकारी कार्यों के नकारात्मक प्रभाव की चेतावनी बताया।
एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा कि हमारा व्यवसाय पतन के कगार पर है – व्यापार जगत में वैश्य समुदाय की इस पीड़ादायक पुकार ने हमें अंदर तक झकझोर दिया है। जिस समुदाय ने ऐतिहासिक रूप से राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में इतना योगदान दिया है, वह आज निराशा में है – यह खतरे की घंटी है। सरकार ने एकाधिकारों को खुली छूट दे दी है और छोटे और मध्यम व्यापारियों को नौकरशाही और गलत जीएसटी जैसी दोषपूर्ण नीतियों की जंजीरों में जकड़ दिया है।
एकाधिकार को बढ़ावा देना चाहती है भाजपा
उन्होंने भाजपा पर एकाधिकार को बढ़ावा देने और छोटे व्यापारियों पर नौकरशाही और दोषपूर्ण नीतियों, जैसे कि गलत जीएसटी, का बोझ डालने का आरोप लगाया। पोस्ट में लिखा था कि यह सिर्फ नीतिगत विफलता नहीं है – यह उत्पादन, रोजगार और भारत के भविष्य पर सीधा हमला है। यह भाजपा सरकार की सामंती मानसिकता के खिलाफ लड़ाई है। और इस लड़ाई में, मैं देश के व्यापार की रीढ़ माने जाने वाले वैश्य समुदाय के साथ पूरी ताकत से खड़ा हूं।
विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक पर चर्चा से बची सरकार
इसी बीच, राहुल गांधी ने सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 पर संसद में चर्चा न करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक विकास लाने के लिए नहीं बल्कि विनाश लाने के लिए है, जिसकी कीमत भारतीयों को अपनी आजीविका खोकर चुकानी पड़ेगी। गांधी ने लिखा कि कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं, संसद में कोई विचार-विमर्श नहीं, राज्यों की कोई सहमति नहीं – मोदी सरकार ने एमजीएनआरईजीए और लोकतंत्र दोनों पर ही बुलडोजर चला दिया है। यह विकास नहीं, बल्कि विनाश है – जिसकी कीमत लाखों मेहनतकश भारतीयों को अपनी आजीविका खोकर चुकानी पड़ेगी। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी का यह लेख अवश्य पढ़ें, जो इस गंभीर मुद्दे के हर पहलू को उजागर करता है।
20 साल बाद साथ आए ठाकरे बंधु
बीएमसी चुनाव में गठबंधन करके दोनों लड़ेंगे चुनाव
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने साथ आने का एलान कर दिया है। 20 साल बाद ठाकरे ब्रदर्स फिर एक बार एक-दूसरे के साथ खड़े हैं। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिवसेना और एमएनएस के गठबंधन की जानकारी दी। नगर परिषद चुनाव (बीएमसी) में दोनों पार्टी नेता अब एक साथ इलेक्शन लड़ते नजर आएंगे।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम एकजुट रहने के लिए एक साथ आए हैं। उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि जो लोग भाजपा के भीतर हो रही घटनाओं को सहन नहीं कर सकते, वे शिवसेना (यूबीटी)-एमएनएस गठबंधन में भी शामिल हो सकते हैं। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का पूरा परिवार एक साथ मंच पर खड़ा नजर आया। ठाकरे परिवार के साथ शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत भी दिखे। ठाकरे ब्रदर्स की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मंच के पीछे लगे पोस्टर पर बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर लगाई गई. इस पोस्टर पर न तो उद्धव ठाकरे की तस्वीर लगाई गई और न ही राज ठाकरे की। दोनों पार्टी के चुनावी चिन्ह के बीच में बालासाहेब ठाकरे की फोटो को लगाया गया।
बालासाहेब ठाकरे को श्रद्धांजलि देने पहुंचे उद्धव व राज ठाकरे
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे अपने पिता बालासाहेब ठाकरे को श्रद्धांजलि देने एक साथ पहुंचे। दोनों नेता अपनी पत्नियों के साथ शिवाजी पार्क स्थित स्मृति स्थल पर गए थे।
मुंबई को मराठी मानुष से कभी नहीं छीना जा सकता : उद्धव
पूर्व मुख्यमंत्री ने कुछ ताकतों पर मुंबई को नष्ट करने का प्रयास करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि लगातार आपसी कलह हुतात्मा का अपमान होगा और उन्होंने जोर देकर कहा कि मुंबई को मराठी मानुष से कभी नहीं छीना जा सकता। भाजपा के नारे बटेंगे तो काटेंगे का जिक्र करते हुए उद्धव ठाकरे ने मराठी मानुष से एकजुट रहने का आह्वान किया और चेतावनी दी कि अब लडख़ड़ाने से विभाजन होगा। उद्धव ठाकरे ने कहा कि वे ठाकरे बंधुओं के रूप में एक साथ आए हैं। उन्होंने अपने दादा प्रबोधनकर ठाकरे की विरासत को याद किया, जिन्होंने महाराष्ट्र के लिए संघर्ष का नेतृत्व किया था, और कहा कि मुंबई के राज्य का हिस्सा बनने के बाद, शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने पार्टी की स्थापना की।
उन्होंने बताया कि शिवसेना को अपनी स्थापना के बाद से 60 साल हो चुके हैं।
मुंबई का मेयर मराठी और हमारा होगा : राजठाकरे
राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र किसी भी आपसी मतभेद से बड़ा है। हम यह घोषणा करते हैं कि हमारा गठबंधन बन चुका है और मुंबई का मेयर मराठी होगा और हमारा होगा। महाराष्ट्र जिस पल का लंबे समय से इंतजार कर रहा था कि शिवसेना और मनसे एक साथ आएं, आज हम उसकी आधिकारिक घोषणा कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के 5 जिलों में हिमस्खलन का खतरा, प्रशासन सतर्क, चेतावनी जारी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के ऊपरी इलाकों में हाल में हुई भारी बर्फबारी के मद्देनजर बुधवार को इस केंद्र शासित प्रदेश के पांच जिलों में हिमस्खलन की चेतावनी जारी की गयी। अधिकारियों ने बताया कि डोडा, गांदरबल, किश्तवाड़, पुंछ और रामबन जिलों के लिए कम खतरे वाली हिमस्खलन की चेतावनी जारी की गई है। ?
उन्होंने बताया कि अगले 24 घंटों के दौरान इन जिलों से 2,800 मीटर ऊपर हिमस्खलन होने की आशंका है। लोगों से हिमस्खलन की आशंका वाले इलाकों से बचने और सरकार की ओर से जारी परामर्श का पालन करने को कहा गया है। जम्मू कश्मीर के ज्यादातर ऊपरी इलाकों में इस हफ्ते हल्की से भारी बर्फबारी हुई है। हिमस्खलन, ढलान से तेज़ी से नीचे गिरने वाले पदार्थ का एक बड़ा ढेर। हिमस्खलन आमतौर पर तब शुरू होता है जब ढलान पर मौजूद पदार्थ अपने आस-पास से अलग हो जाता है, यह पदार्थ फिर तेज़ी से इक_ा होता है और ढलान से नीचे और भी पदार्थ ले जाता है। हिमस्खलन कई तरह के होते हैं, जिनमें चट्टानी हिमस्खलन (जो टूटी हुई चट्टानों के बड़े टुकड़ों से बनता है), बर्फीला हिमस्खलन (जो आमतौर पर ग्लेशियर के पास होता है), और मलबा हिमस्खलन (जिसमें कई तरह के बिना जमे हुए पदार्थ होते हैं, जैसे ढीले पत्थर और मिट्टी) शामिल हैं।
बर्फीले हिमस्खलन, जो इस लेख का मुख्य विषय है, कई पहाड़ी इलाकों में एक आम घटना है।
अरावली की ‘गलत परिभाषा’ किसके फायदे के लिए
अरावली पहाडिय़ों को लेकर राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और राजधानी दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन जारी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अरावली पहाडिय़ों को लेकर राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और राजधानी दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन जारी हैं। वहीं, कांग्रेस ने बुधवार को केंद्र सरकार पर अरावली के मुद्दे को लेकर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने पूछा कि वह पहाडय़िों की पूरी तरह से गलत परिभाषा को क्यों आगे बढ़ा रही है?
बुधवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अरावली की जिस नई परिभाषा को अपनाया जा रहा है, उसका देश की प्रमुख संस्थाओं ने विरोध किया है। जयराम रमेश ने कहा कि अरावली की इस नई परिभाषा का भारतीय वन सर्वेक्षण, सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी और सुप्रीम कोर्ट के एमिकस क्यूरी पहले ही विरोध कर चुके हैं। इसके बावजूद सरकार इस परिभाषा को आगे बढ़ाने पर अड़ी हुई है। कांग्रेस का आरोप है कि विशेषज्ञ संस्थाओं की आपत्तियों को नजरअंदाज कर किया जा रहा यह कदम पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है।
कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि सरकार अरावली को दोबारा परिभाषित करने पर क्यों जोर दे रही है और यह बदलाव आखिर किसके हित में किया जा रहा है। पार्टी का कहना है कि अरावली भारत की अमूल्य प्राकृतिक धरोहर हैं और इनके संरक्षण से कोई समझौता देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा।
फिलहाल, अरावली की नई परिभाषा को लेकर राजनीतिक टकराव और पर्यावरणीय चिंताएं दोनों गहराती जा रही हैं, जिससे संकेत मिलते हैं कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और बड़ा राजनीतिक विवाद बन सकता है।



