नार्को-आतंकवादी नेटवर्क में शामिल होने के आरोप में जम्मू-कश्मीर के 6 अधिकारी बर्खास्त

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में नशीली दवाओं की बिक्री के माध्यम से आतंकवाद को वित्तपोषित करने में कथित संलिप्तता के लिए पांच पुलिसकर्मियों सहित छह सरकारी अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया। जांच में पाया गया कि ये अधिकारी पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस और पाकिस्तानी धरती से संचालित विभिन्न आतंकवादी समूहों द्वारा संचालित एक परिष्कृत नार्को-आतंकवादी नेटवर्क का हिस्सा थे। नेटवर्क ने मादक पदार्थों के प्रवाह को सुगम बनाया, जिससे होने वाले मुनाफे को आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में लगाया गया।
पीटीआई ने एक अधिकारी के हवाले से कहा, पांच पुलिसकर्मियों और एक शिक्षक सहित छह सरकारी अधिकारी नशीली दवाओं की बिक्री के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण में शामिल पाए गए।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) का प्रयोग करते हुए उन्हें तत्काल नौकरी से बर्खास्त कर दिया। यह प्रावधान सरकार को बिना जांच के कर्मचारियों को बर्खास्त करने का अधिकार देता है, यदि राष्ट्रपति या राज्यपाल, जैसा भी मामला हो, संतुष्ट हैं कि राज्य की सुरक्षा के हित में ऐसी जांच करना समीचीन नहीं है।
इसके साथ ही प्रशासन ने 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से इसी तरह के आधार पर 70 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। पिछले महीने, दो पुलिस कांस्टेबलों सहित चार सरकारी कर्मचारियों को नार्को-आतंकवाद में उनकी कथित संलिप्तता के लिए बर्खास्त कर दिया गया था। चारों की पहचान पुलिस कांस्टेबल मुश्ताक अहमद पीर और इम्तियाज अहमद लोन, स्कूल शिक्षा विभाग के जूनियर सहायक बाज़िल अहमद मीर और ग्रामीण विकास विभाग के ग्राम-स्तरीय कार्यकर्ता मोहम्मद जैद शाह के रूप में हुई है।

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