संभल के सर्वे के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को आपत्ति, निचली अदालत को एक्शन न लेने का आदेश
नई दिल्ली। संभल की जामा मस्जिद में सिविल जज की ओर से सर्वे का आदेश दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई है. इस मामले को सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ सुना. इस दौरान शीर्ष अदालत ने निचली अदालत के पर पर आपत्तियां जताई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि वह शांति और सद्भाव चाहता है.
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिया कि जब तक संभल मस्जिद की शाही ईदगाह कमेटी हाई कोर्ट में याचिका दायर नहीं करती, तब तक वह मामले को आगे न बढ़ाए. साथ ही साथ उसने एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने और इस दौरान उसे न खोलने का भी निर्देश दिया है.
सीजेआई ने कहा कि हमें आदेश पर कुछ आपत्तियां हैं, लेकिन क्या यह हाई कोर्ट में अनुच्छेद 227 के क्षेत्राधिकार के अधीन नहीं है. इसे लंबित रहने दें. हम शांति और सद्भाव चाहते हैं. आप दलीलें दाखिल करें, तब तक निचली अदालत कोई कार्रवाई नहीं करे. वकील विष्णु जैन ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की अगली तारीख 8 है. सीजेआई ने संभल जिला प्रशासन से कहा ने शांति और सद्भाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए. हम इसे लंबित रखेंगे, हम नहीं चाहते कि कुछ हो. मध्यस्थता अधिनियम की धारा 43 देखें और देखें कि जिलों को मध्यस्थता समितियां बनानी चाहिए. हमें बिल्कुल तटस्थ रहना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि कुछ भी अप्रिय न हो.
सीजेआई ने कहा कि हम केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं. याचिकाकर्ताओं को आदेश को चुनौती देने का अधिकार है. यह आदेश 41 के अंतर्गत नहीं है इसलिए आप प्रथम अपील दायर नहीं कर सकते. इस मामले में अगली सुनवाई 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट करेगा.
शाही जामा मस्जिद का रखरखाव करने वाली कमेटी ने इस याचिका में सिविल जज के 19 नवंबर के एकपक्षीय आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. समिति ने याचिका में कहा है कि 19 नवंबर को मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका संभल कोर्ट में दायर हुई. उसी दिन सीनियर डिविजन के सिविल जज ने मामले को सुना और मस्जिद समिति का पक्ष सुने बिना सर्वे के एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया. एडवोकेट कमिश्नर 19 की शाम ही सर्वे के लिए पहुंच भी गए और 24 को फिर सर्वे हुआ.
याचिका में कहा गया है कि जिस तेजी से सारी प्रक्रिया हुई, उससे लोगों में शक फैल गया और वे अपने घर से बाहर निकल गए. भीड़ के उग्र हो जाने के बाद पुलिस गोलीबारी हुई और पांच लोगों की मौत हो गई. याचिका में आगे कहा गया कि शाही मस्जिद 16वीं सदी से वहां है. इतनी पुरानी धार्मिक इमारत के सर्वे का आदेश पूजास्थल अधिनियम और प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल कानून के खिलाफ है. अगर यह सर्वे जरूरी भी था तो यह एक ही दिन में बिना दूसरे पक्ष को सुने नहीं दिया जाना चाहिए था.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह निचली अदालत के आदेश और प्रक्रिया पर रोक लगाए. सर्वे रिपोर्ट को फिलहाल सीलबंद लिफाफे में रखा जाए. याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट यह भी आदेश दे कि इस तरह के धार्मिक विवादों में बिना दूसरे पक्ष को सुने सर्वे का आदेश ना दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ऐसे आदेशों से सांप्रदायिक भावनाएं भडक़ने, कानून-व्यवस्था की समस्या और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचने की आशंका है.
संभल में शाही जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा करने के मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन संभल स्थित चंदौसी की कोर्ट में आज पहली सुनवाई नहीं हुई है. आज सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल किए जाने की संभावना जताई जा रही थी. इसको लेकर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे. 19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल स्थित चंदौसी की अदालत में संभल की शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने को लेकर कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरि, हरिशंकर जैन समेत आठ वादकारियों ने छह लोगों के विरुद्ध दावा दायर किया था.
न्यायालय ने उसी दिन कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव को नियुक्त करके सर्वे (कमीशन) किए जाने के आदेश देते हुए आगामी तिथि 29 नवंबर सुनवाई के लिए नीयत की थी. कोर्ट कमिश्नर उसी शाम शाही जामा मस्जिद में टीम के साथ सर्वे करने के लिए पहुंचे थे. इसके बाद बीते रविवार की सुबह डीएम व एसपी की सुरक्षा में दोबारा सर्वे के लिए पहुंचे तो संभल में बवाल हो गया, जिसमें पांच लोगों की जान चली गई.