पश्चिम बंगाल में एक्सपायर दवा चढ़ाने से एक महिला की मौत, पांच महिलाओं की हालत बेहद गंभीर

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। ताजा मामला पश्चिम मेदिनीपुर जिले में एक सरकारी अस्पताल में प्रसव के बाद कथित रूप से ‘एक्सपायर’ दवा चढ़ाये जाने का सामने आया है। हम आपको बता दें कि एक्सपायर दवा चढ़ाये जाने के कारण गंभीर रूप से बीमार हुईं तीन महिलाओं को रविवार रात करीब 11 बजे कोलकाता ले जाया गया और एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि एक को इंटेशिव थेरेपी यूनिट (आईटीयू) में भर्ती कराया गया है, जबकि दो अन्य को गहन चिकित्सा इकाई (सीसीयू) में स्थानांतरित कर दिया गया है। अधिकारी ने बताया, ‘‘तीनों मरीजों की हालत गंभीर है, जिनमें से एक की नाजुक स्थिति बनी हुई है। दो मरीज वेंटिलेटर पर हैं और तीनों में किडनी संबंधी समस्या पाई गई है, जिसके लिए डायलिसिस की जरूरत है। हमारे चिकित्सक आगे के इलाज के लिए उनकी निगरानी कर रहे हैं।’’ उन्होंने बताया कि तीनों मरीजों के उपचार की निगरानी के लिए पांच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है।
अधिकारी ने बताया कि तीनों मरीजों को मेदिनीपुर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (एमएमसीएच) से कोलकाता तक ग्रीन कॉरिडोर के जरिए अलग-अलग उन्नत जीवन रक्षक प्रणाली से लैस एम्बुलेंस में शहर लाया गया। उन्होंने बताया कि चौथी महिला की हालत में थोड़ा सुधार हुआ है और उसे अभी भी एमएमसीएच में ही रखा गया है। हम आपको बता दें कि एमएमसीएच में प्रसव के बाद कथित तौर पर ‘एक्सपायर’ दवा चढ़ाने के कारण एक महिला की मृत्यु हो गई तथा चार अन्य की हालत गंभीर हो गई, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए 13 सदस्यीय समिति गठित की। तीनों महिलाओं के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि मरीजों को एसएसकेएम अस्पताल में स्थानांतरित करने के निर्णय के बारे में अधिकारियों ने उनसे परामर्श नहीं किया।
इस बीच, राज्य के स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम ने कहा कि समिति एमएमसीएच में हुई घटना के संबंध में अपने निष्कर्षों पर अंतिम रिपोर्ट आज प्रस्तुत करेगी। एनएस निगम, स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और एमएमसीएच के प्राचार्य ने रविवार को एसएसकेएम में समिति के सदस्यों के साथ बैठक की थी। निगम ने कहा, ‘‘हमने इस मामले पर विस्तृत चर्चा की। वे (समिति) कल हमें अंतिम रिपोर्ट सौंपेंगे और फिर अगले कदम पर फैसला किया जाएगा। हमने तीनों महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति पर भी चर्चा की।’’ वहीं, विशेष कार्य अधिकारी अनिरुद्ध नियोगी ने संवाददाताओं से कहा कि चढ़ाई गई दवा रिंगर लैक्टेट (आरएल) में खामी हो सकती हैं, लेकिन इसकी जांच औषधि नियंत्रण अधिकारियों द्वारा किए जाने की आवश्यकता है।
इस बीच, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की युवा और छात्र शाखाओं ने एमएमसीएच के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इन संगठनों ने सरकारी अस्पताल में एक महिला की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। डीवाईएफआई और स्टुडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के समर्थकों ने अपनी मांगों को लेकर वहां कुछ समय के लिए सडक़ जाम भी किया।
राज्य कांग्रेस ने इस घटना के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को जिम्मेदार ठहराया और राज्य के स्वास्थ्य विभाग का प्रभार संभाल रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से स्पष्टीकरण देने की मांग की। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने इस घटना को राज्य के स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार और लापरवाही का नतीजा बताते हुए घोषणा की कि पार्टी इस घटना के विरोध में सोमवार को स्वास्थ्य भवन का घेराव करेगी। सरकार ने कहा, ‘‘यह घटना भ्रष्टाचार, लापरवाही और बुनियादी ढांचे की कमी की पराकाष्ठा को उजागर करती है, पीडि़ता बच्चे को जन्म देने के बाद अपने शिशु को देख भी नहीं सकी। चार अन्य महिलाएं अभी भी पीडि़त हैं। स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग क्या कर रहा है? हम जवाब मांगते हैं। हमारे पास कल अपराह्न दो बजे स्वास्थ्य भवन का शांतिपूर्ण घेराव करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

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