65 दिन बाद लखनऊ कोर्ट से निकांत जैन को मिली जमानत, अभिषेक प्रकाश की बहाली के आसार

सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का…इस कहावत पर इन्वेस्ट यूपी में 400 करोड़ की रिश्वतखोरी का चर्चित प्रकरण सटीक बैठता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के बावजूद नौकरशाही की मेहरबानी से दलाल निकान्त जैन को आखिरकार जमानत मिल ही गयी।
माना जा रहा है कि जल्द ही निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश की बहाली भी हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ ईडी-विजिलेंस जैसी एजेंसियां भी मानो सिर्फ अंधेरे में तीर चला रही हैं। 20 मार्च को सीएम योगी के आदेश पर जहां इन्वेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश को निलंबित किया गया था।
रिश्वतखोरी का खुलासा नहीं कर पाई एसआईटी की टीम
वहीं उनके दलाल होने के आरोपी जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर गिरफ्तारी की गयी थी। सीएम के सख्त निर्देशों के बावजूद डीजीपी के आदेश पर गठित तीन सदस्यीय एसआईटी घूस मांगने वाले उच्च अफसर का नाम तक नहीं खोल सकी है। रिश्वत का एक करोड़ जमीन खा गयी या आसमान निगल गया, अफसरों को नहीं पता चल सका।
हाल ही में दाखिल पुलिस की 1600 पेज की चार्जशीट में भी ख़ास तथ्य नहीं है। विजिलेंस और ईडी अभी तक आईएएस अभिषेक प्रकाश की एक भी सम्पत्ति नहीं खोज सकी हैं। ईडी का पूरा फोकस सिर्फ दलाल जैन पर है। उसकी भी बेनामी सम्पत्तियों को एजेंसी तलाशने में नाकाम नजर आ रही है। तकरीबन 65 दिन तक जेल में रहने के बाद निकान्त जैन का जेल से बाहर जमानत पर आना जांच एजेंसियों की फजीहत कराने के लिए काफी है।
तीन माह से ज्यादा निलंबित रखने का नियम
नियमों के मुताबिक आईएएस अभिषेक प्रकाश को नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग तीन माह से ज्यादा निलंबित नहीं रख सकता है। ऐसे में उनकी बहाली की संभावना ज्यादा है। निलंबन अवधि बढ़ाने पर 90 दिनों के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति में कारणों पर मंथन किया जाएगा। जिसके बाद निलंबन बढ़ाने की संस्तुति यूपी सरकार केंद्र में डीओपीटी को भेजेगी।
क्या बचाने के खातिर दर्ज हुई थी कमजोर एफआईआर?
अरबों के घूसखोरी मामले में दर्ज एफआईआर भी बेहद कमजोर है। तभी इसमें उच्च स्तर पर बैठे मास्टरमाइंड अफसर का नाम छुपा लिया गया था। यहीं से मामले ने कमजोर रूप लेना शुरू किया। एक अफसर के मुताबिक जल्द ही पूरा मामला खत्म भी हो सकता है।
पहले रिमांड अर्जी में देरी फिर पुख्ता साक्ष्य का अभाव
भ्रष्टाचार निवारण के विशेष जज सत्येंद्र सिंह ने आरोपी निकांत जैन को दो लाख की जमानत व दो लाख का मुचलका दाखिल करने के बाद जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। जैन के अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी लोकसेवक नहीं है, पीसी एक्ट की धारा नहीं लग सकती। पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है। रिश्वत की रकम भी बरामद नहीं हुई। इससे पहले कोर्ट ने रिमांड अर्जी खारिज कर दी थी। पुलिस ने 40 के बजाय 45 दिन बाद अर्जी दाखिल की थी।



