मोदी के दांव में फंस गए योगी
अब दिल्ली दरबार के इशारे पर चलेगी यूपी सरकार!
- सतह पर आयी दिल्ली दरबार और प्रदेश सरकार की खींचतान
- रातों-रात बदल दिए गए चीफ सेक्रेटरी, डीएस मिश्रा को मिली कमान
- चुनाव से पहले शीर्ष नेतृत्व धीरे-धीरे पीछे कर रहा सीएम योगी को
- भाजपा नेतृत्व ने अपने दांव से जनता को चेहरा बदलने का भी दिया संकेत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने एक और दांव चल दिया है। अचानक प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी को बदल दिया गया। मुख्य सचिव आरके तिवारी को रातों-रात हटाकर डीएस मिश्रा को चीफ सेक्रेटरी बना दिया गया। सवाल यह है कि क्या मोदी के इस दांव में योगी आदित्यनाथ फंस गए हैं और अब प्रदेश की सरकार दिल्ली दरबार के इशारे पर चलेगी? वहीं इस नियुक्ति से दिल्ली दरबार और प्रदेश सरकार में चल रही खींचतान भी सतह पर आ गयी है।
सूत्रों का कहना है कि अचानक योगी सरकार के पास दिल्ली से एक आदेश आता है कि एक पत्र भेजिए कि डीएस मिश्रा को दिल्ली प्रतिनियुक्ति से मुक्त कर वापस भेजा जाए क्योंकि उनको उत्तर प्रदेश का चीफ सेक्रेटरी बनाया जाना है। ऐसा आदेश इसलिए दिया गया क्योंकि केंद्र किसी भी राज्य में अपनी इच्छा से चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति नहीं कर सकता है। फोन के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय और नौकरशाही में हडक़ंप मच गया। आनन-फानन में केंद्र सरकार को लेटर भेजा गया और कुछ ही मिनटों में दिल्ली सरकार ने लेटर जारी कर दिया कि डीएस मिश्रा को सेवा विस्तार दिया जा रहा है और यूपी सरकार के उनको चीफ सेक्रेटरी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उन्हें राज्य में वापस भेजा जा रहा है। यह नियुक्ति तब की गयी जब डीएस मिश्रा के रिटायरमेंंट में केवल दो दिन शेष बचे थे। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने करीबी अवनीश अवस्थी को चीफ सेक्रेटरी बनाना चाहते थे।
जैसे ही दिल्ली को यह पता चला पीएमओ एक्टिव हो गया और डीएस मिश्रा को चीफ सेक्रेटरी बनाकर प्रदेश में भेज दिया। ये प्रधानमंत्री के भरोसेमंद और काबिल अफसर हैं। एमएलसी अरविंद शर्मा और डीएस मिश्रा के मित्रता की खबरें भी गर्म हैं। साफ है कि नौकरशाही में यह परिवर्तन सीएम योगी आदित्यनाथ को यह संदेश देने के लिए है कि अब उत्तर प्रदेश सरकार की कमान पीएमओ ने संभाल ली है। इसने दिल्ली दरबार और योगी सरकार के बीच चल रही खींचतान भी सामने आ गयी है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को फीडबैक मिला था कि योगी से वही वोट मिलेंगे जो उग्र हिंदुत्ववाद के समर्थक हैं। पिछड़ी जातियों में योगी आदित्यनाथ के चेहरे को लेकर खराब संदेश जा रहा है और ब्राह्मïण भी नाराज हैं। लिहाजा दिल्ली में रणनीति बनी है कि योगी आदित्यनाथ का चेहरा धीरे-धीरे पीछे किया जाए। योगी आदित्यनाथ जानते हैं कि ऐसा हुआ और भाजपा जीती तो वे मुख्यमंत्री नहीं बन सकेंगे। लिहाजा वे फ्रंट पर रहने की रणनीति अपनाए हुए हैं। वहीं दिल्ली दरबार मोदी के चेहरे पर यूपी चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है। यदि मोदी के चेहरे पर भाजपा चुनाव जीतती है तो मुख्यमंत्री वही बनेगा जिसे मोदी चाहेंगे और यह सभी जानते हैं कि मोदी और शाह की जोड़ी योगी को दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। भाजपा पिछड़ी जाति को भी यही संदेश देना चाहती है कि हम चेहरा बदल देंगे। हालांकि मंच से वे योगी को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहते रहते हैं। सच यह है कि भाजपा योगी आदित्यनाथ को लेकर भंवर में फंस गयी है। यदि योगी को आगे रखती है तो पिछड़े और ब्राह्मïण नाराज होते हैं और नहीं रखती हैं तो हिंदुत्वादी वोट प्रभावित होंगे।
डीएस मिश्रा ने संभाला कार्यभार, पीएम का जताया आभार
लखनऊ। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1984 बैच के अधिकारी डीएस मिश्रा ने आज उत्तर प्रदेश के नए चीफ सेक्रेटरी के रूप में लोकभवन स्थित अपने कार्यालय में कार्यभार संभाला लिया है। उन्हें कार्यभार निवर्तमान मुख्य सचिव आरके तिवारी ने सौंपा। डीएस मिश्रा ने इस जिम्मेदारी के लिए पीएम का आभार जताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आशीर्वाद से यूपी की जनता की फिर से सेवा करने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि शहरों के विकास के काम को तेज किया जाएगा। स्मार्ट सिटी के मिशन को मूवमेंट बनाकर पूरे यूपी को स्मार्ट बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह दफ्तर में बैठकर काम करने वाले नहीं बल्कि फील्ड में काम करेंगे। टीकाकरण और कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराएंगे। वे 2014 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे।
ब्राह्मïणों को भी संदेश
डीएस मिश्रा को चीफ सेक्रेटरी बनाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने ब्राह्मïणों को भी संदेश दिया है कि ब्राह्मïण चीफ सेक्रेटरी को हटाकर उसी जाति के व्यक्ति को चीफ सेके्रटरी की जिम्मेदारी दी गयी है। ब्राह्मïणों की नाराजगी को लेकर पिछले दिनों दिल्ली में प्रदेश के दिग्गज ब्राह्मïण मंत्रियों और नेताओं के साथ बैठक हुई थी।
अरविंद शर्मा होंगे पावरफुल
पीएम मोदी के बेहद करीबी और एमएलसी अरविंद शर्मा अब और पावरफुल हो जाएंगे क्योंकि उनके मित्र चीफ सेक्रेटरी बन गए हैं। अभी तक अरविंद शर्मा की वही योजनाएं लागू की जाती थीं जिसको दिल्ली दरबार से समर्थन मिलता था। उत्तर प्रदेश सरकार अरविंद शर्मा को पसंद नहीं करती है। यही नहीं योगी आदित्यनाथ ने इसके जरिए यह संदेश दिया था कि वे पीएम मोदी के सबसे करीबी आदमी को भी किनारे कर सकते हैं। इससे भाजपा नेतृत्व को यह संदेश मिला था कि प्रदेश में अरविंद शर्मा की उपेक्षा की जा रही है। यही से दिल्ली दरबार और यूपी सरकार के बीच विवाद बढ़ा और चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति में योगी आदित्यनाथ की सलाह नहीं ली गयी। मुख्यमंत्री के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। अब दिल्ली सरकार जो कहेगी वही उनको सुनना और करना होगा।
प्रदेश में विधान सभा चुनाव टलने के आसार नहीं
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा, सभी दलों ने की समय पर चुनाव कराने की मांग
- घर बैठे दिव्यांग और बुजुर्ग कर सकेंगे मतदान
- कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए कराए जाएंगे चुनाव
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए लखनऊ आए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने बताया कि सभी राजनीतिक दल समय पर चुनाव कराना चाहते हैं लेकिन कुछ दल ज्यादा रैलियों के खिलाफ हैं और रैलियों की संख्या कम करने को कहा है। इससे साफ है कि अब प्रदेश में चुनाव टलने के आसार नहीं दिख रहे हैं। आयोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए चुनाव कराएगा। उन्होंने कहा कि पांच जनवरी को फाइनल वोटर लिस्ट आ जाएगी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया कि 80 वर्ष से अधिक आयु के लोग, विकलांग व्यक्ति और कोरोना से संक्रमित लोग जो मतदान केंद्र पर नहीं आ पाएंगे, चुनाव आयोग उनके दरवाजे पर वोट के लिए पहुंचेगा। प्रदेश में मतदाताओं की कुल संख्या 15 करोड़ से अधिक है। अंतिम प्रकाशन के बाद मतदाता के वास्तविक आंकड़े आएंगे। अब तक 52.8 लाख नए मतदाताओं को शामिल किया जा चुका है। इनमें 23.92 लाख पुरुष और 28.86 लाख महिला मतदाता हैं। 18-19 आयु वर्ग के 19.89 लाख मतदाता हैं। सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट लगाए जाएंगे। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लगभग एक लाख मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग की सुविधा उपलब्ध होगी। पहली बार कम से कम 800 पोलिंग स्टेशन ऐसे बनाए जाएंगे जहां सिर्फ महिला पोलिंग अधिकारी होंगी। सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम होगा।