सरकारी बंगला नहीं खाली कर रहे पूर्व CJI चंद्रचूड़, SC प्रशासन ने केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठी
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ रिटायर होने के बावजूद अब तक अपना आधिकारिक सरकारी आवास खाली नहीं किया है।

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ रिटायर होने के बावजूद अब तक अपना आधिकारिक सरकारी आवास खाली नहीं किया है। यह मामला अब विवाद का विषय बनता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस संबंध में भारत सरकार को पत्र लिखकर तत्काल बंगला खाली कराने की मांग की है।
कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 को लेकर विवाद
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ अभी भी कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 में रह रहे हैं, जो कि मुख्य न्यायाधीश का आधिकारिक निवास है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन के अनुसार, चंद्रचूड़ द्वारा रिटायरमेंट के बाद निर्धारित अवधि से अधिक समय तक बंगला खाली नहीं करना नियमों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट की केंद्र से मांग
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई को आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) को पत्र भेजकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि यह बंगला न्यायालय की हाउसिंग पूल का हिस्सा है और इसे वापस लेकर वर्तमान या आगामी मुख्य न्यायाधीश को आवंटित किया जाना चाहिए।
चंद्रचूड़ का पक्ष: वैकल्पिक आवास जर्जर
पूर्व सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सरकारी बंगले को खाली न करने के पीछे यह तर्क दिया है कि उन्हें जो वैकल्पिक आवास आवंटित किया गया है, वह जर्जर स्थिति में है और उसमें रहना संभव नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन इस तर्क से संतुष्ट नहीं है और नियमों के तहत कार्रवाई पर जोर दे रहा है।
क्या बंगला खाली न करने की वजह?
पूर्व सीजेआई कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि जो वैकल्पिक आवास दिया गया था. वह जर्जर स्थिति में था. उसमें बड़े मरम्मत कार्य की जरूरत थी और वह व्हीलचेयर अनुकूल भी नहीं था. यही कारण है कि पूर्व चीफ जस्टिस ने अब तक बंगला खाली नहीं किया है. चंद्रचूड़ नवंबर 2024 में रिटायर हुए थे, लेकिन अब तक वहीं रह रहे हैं.
इसलिए और हो गई देर
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद बंगला किसी ने लेने की इच्छा जाहिर नहीं की है. जस्टिस संजीव खन्ना और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कृष्णा मेनन मार्ग स्थित बंगला लेने से मना कर दिया था. इसके पीछे का कारण उन्होंने मौजूदा बंगले पर रहना पसंद किया था. यही कारण है कि चंद्रचूड़ को बंगला खाली करने के लिए कोई दवाब नहीं रहा.



