राहुल गांधी का बड़ा बयान, कहा- लापरवाही नहीं, एक सोची-समझी साजिश
राहुल ने गांधी ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में SC, ST और OBC वर्गों के लिए प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों का एक बड़ा हिस्सा खाली है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के खाली पदों पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए के लिए आरक्षित पदों का बड़ा हिस्सा वर्षों से खाली पड़ा है, जिससे इन वर्गों के साथ गंभीर भेदभाव हो रहा है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा कई योग्य उम्मीदवारों को केवल ‘NFS’ (Not Found Suitable) बताकर अस्वीकृत कर दिया जाता है, जो एक सोची-समझी प्रक्रिया के तहत बहुजन समाज को शिक्षा और नौकरियों से वंचित रखने का प्रयास है।
राहुल ने गांधी ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में SC, ST और OBC वर्गों के लिए प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों का एक बड़ा हिस्सा खाली है. सरकार की तरफ से संसद में पेश आंकड़ों से पता चलता है कि 60-80% पद खाली हैं. यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि बहुजनों को शिक्षा और शोध से दूर रखने की सुनियोजित साज़िश है.
उन्होंने कहा कि योग्य उम्मीदवारों को ‘NFS’ बताकर रिजेक्ट किया जा रहा है. राहुल ने मांग की है कि यह संस्थागत मनुवाद का प्रमाण है और सभी रिक्त पद तुरंत भरने चाहिए. इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट भी शेयर की है.
राहुल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि संसद में मोदी सरकार की तरफ से पेश किए गए ये आंकड़े बहुजनों की हकमारी और संस्थागत मनुवाद के पक्के सबूत हैं. केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के ST के 83%, OBC के 80%, SC के 64% पद जानबूझकर खाली रखे गए हैं. वहीं एसोसिएट प्रोफेसर के ST के 65%, OBC के 69%, SC के 51% पद भी रिक्त छोड़ दिए गए हैं.
संसद में मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए ये आंकड़े बहुजनों की हकमारी और संस्थागत मनुवाद के पक्के सबूत हैं।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के
– ST के 83%
– OBC के 80%
– SC के 64% पद जानबूझकर खाली रखे गए हैं।वहीं एसोसिएट प्रोफेसर के
– ST के 65%
– OBC के 69%
– SC के 51%…— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 25, 2025
उन्होंने कहा कि ये सिर्फ लापरवाही नहीं, एक सोची-समझी साजिश है. बहुजनों को शिक्षा, रिसर्च और नीतियों से बाहर रखने की. विश्वविद्यालयों में बहुजनों की पर्याप्त भागीदारी नहीं होने से वंचित समुदायों की समस्याएं रिसर्च और विमर्श से जानबूझकर गायब कर दी जाती हैं.
आगे लिखा कि NFS (Not Found Suitable) के नाम पर हजारों योग्य SC, ST, OBC उम्मीदवारों को मनुवादी सोच के तहत अयोग्य घोषित किया जा रहा है. सरकार कोई जवाबदेही लेने को तैयार नहीं है. ये पूरी तरह से अस्वीकार्य है. सभी रिक्त पद तुरंत भरे जाएं. बहुजनों को उनका अधिकार मिलना चाहिए, मनुवादी बहिष्कार नहीं.



