चुनाव आयोग के गले की हड्डी बना हाउस नम्बर जीरो!

विपक्ष के आरोपों की बौछार जवाब की दरकार, कांग्रेस का पलटवार, जिनके घर शीशे के होते हैं वह दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते

एसआईआर पर भी माथा पच्ची कर रहा है चुनाव आयोग
सुप्रीम कोर्ट में बिहार में लाखों लोगों के काटे गये नामों का चुनाव आयोग द्वारा जवाब देना अभी बाकी है

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। लोकतंत्र की रीढ़ कहीे जाने वाले चुनाव आयोग जिसे कभी निष्पक्षता और निर्भीकता की पहचान माना जाता था आज खुद कठघरे में है। राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर हल्ला बोलने के बाद चुनाव आयोग ने पहली बार प्रेस काफ्रेंस कर उनके आरोपों का सिलसिलेवार जवाब देने की कोशिश की।
चीफ इलेक्शन कमीशनर ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी को सात दिनों के भीतर हलफनामा देने की बात कही है वहीं कांग्रेस और विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव आयोग राहुल गांधी के आरोपों का जवाब नहीं दे सका। एनसीपी (एसपी) सांसद अमोल कोल्हे ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कई मुद्दों और सवालों को उठाया था जिनके जवाब की सभी को उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग इन सवालों का जवाब देने में पूरी तरह विफल रहा। ये उनकी नैतिक जिम्मेदारी थी कि जो सवाल उठाए गए हैं, उनका सही तरीके से जवाब दिया जाए ताकि आम नागरिकों की शंकाओं का निपटारा हो। मगर उन्होंने सवाल उठाने वाले से ही शपथ पत्र मांगा है, जो संविधान और लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।

अनुराग ठाकुर से क्यों नहीं मांगा शपथ पत्र

कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि बहुत पहले एक फिल्म आई थी जिसमें डायलॉग था कि जिनके घर खुद शीशे के होते हैं वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते। यह चुनाव आयोग पर बिल्कुल फिट बैठता है। उन्होंने कहा कि आयोग को भाजपा के एजेंट के रूप में काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं क्योंकि अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की लेकिन आयोग ने उन्हें एफिडेविट देने की बात नहीं की वहीं जब राहुल गांधी जो लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं ने चोरी पकड़ी और प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उन्हें एफिडेविट देने की बात कही जा रही है।

एड्रेस जीरो पर फंस गयी बात

राहुल गांधी ने एड्रेस जीरो का जो मुददा उठाया है उस पर चुनाव आयोग को जवाब देते नहीं बन रहा है। कांग्रेस ने सवाल पूछे हैं कि क्या देश में कोई व्यवस्था बाकी नहीं रह गयी है जो इतने अधिक लोगों के जीरो नम्बर पर नाम दर्ज है। चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन के लिए मकान नम्बर अनिवार्य है। ऐसे में कैसे संभव है कि इतने अधिक नाम जीरो नम्बर पर एलाट कर लिये गये हो। कांगेस ने कहा है कि इस पूरी व्यवस्था की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

साफ्ट कॉपी की मांग

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सीधी मांग करते हुए कहा है कि हमें देश की मतदाता सूची की सॉफ्ट कॉपी दी जाए ताकि हम यह सत्यापित कर सकें कि किसी व्यक्ति का नाम कई बार या अलग-अलग पहचान के साथ दर्ज तो नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई राज्यों में बिना उचित कारणों के लाखों वोटर डिलीट किए गए हैं लेकिन चुनाव आयोग इस पर पारदर्शी जानकारी नहीं दे रहा। उन्होंने कहा कि बिहार में करीब 65 लाख वोटर के नाम डिलीट किए गए हैं। आखिर ऐसा क्यों किया गया? किनके नाम हटाए गये इसकी सूची सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है दिग्विजय सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की बजाय देश के नागरिकों और विपक्षी नेताओं के सवालों का जवाब देना चाहिए। उन्होंने पूछा, अगर कुछ गलत नहीं है तो सभी वोटर्स की सूची की सॉफ्ट कॉपी सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही।

वोट चोरी बंद करो

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि वोट चोरी बंद करो तो हम चोर कहना बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि महादेवपुरा के एक लाख वोटों का हिसाब किसी ने क्यों नहीं दिया? अनुराग ठाकुर छह विधानसभा क्षेत्रों की डिजिटल मतदाता सूची लेकर घूम रहे हैं उन्हें यह कहां से मिली? क्या यह निजता का उल्लंघन नहीं है? क्या चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया? नहीं। लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज की बात आती है तो आप कहते हैं कि यह निजता का उल्लंघन है।

बीजेपी के लिए अब अपरिहार्य नेता नहीं रहे प्रधानमंत्री मोदी

सीपी राधाकृष्णन का नाम हो या फिर कांस्टीट्यूशन क्लब के इलेक्शन पर उठ रहे सवाल
राजनीतिक तौर पर कमजोर होते पीएम मोदी!
सीपी राधाकृष्णन का नाम सामने आने के बाद उपराष्ट्रपति कंट्रोवर्सी पर लगा ब्रेक

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति कंट्रोवर्सी से शुरू हुआ बीजेपी के भीतर का पावर गेम सीपी राधाकृष्णन के नाम आने के बाद शांत हो गया है। इस शांति को तूफान के बाद की शांति कहा जा रहा है और बताया जा रहा है कि पीएम मोदी अब राजनीतिक तौर पर कमजोर हो गये हैं। संघ ने पूरी बागडोर अपने हाथों में ले ली है और सीपी राधाकृष्णन संघ का सुझाया हुआ नाम है जिसे पीएम मोदी और जेपी नडडा को मानना पड़ा।
पहले राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद का नाम हो या उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू हर बार माना गया कि अंतिम मोहर मोदी-शाह की थी। लेकिन इस बार सीपी राधाकृष्णन का नाम संघ ने आगे बढ़ाया और प्रधानमंत्री मोदी को इसे स्वीकार करना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना इस बात का सबूत है कि मोदी अब वह अपरिहार्य नेता नहीं रहे जिसकी मर्जी के बिना पार्टी का पत्ता भी नहीं हिलता।
पिछले दिनों उपराष्ट्रपति पद को लेकर बीजेपी के भीतर भारी खींचतान रही। कई नाम सामने आए जिनमें भाजपा के वरिष्ठ सांसद तमिलनाडु और बिहार से जुड़े नेता तक शामिल थे। एक धड़ा चाहता था कि उम्मीदवार बिहार से हो ताकि वहां की राजनीति में पार्टी की पकड़ मज़बूत हो। दूसरा धड़ा तमिलनाडु से नाम चाहता था ताकि दक्षिण भारत में पार्टी के लिए नया आधार तैयार किया जा सके। आखिरकार संघ ने अपने पुराने वफादार और अपेक्षाकृत कम विवादित चेहरे सीपी राधाकृष्णन के नाम पर मोहर लगा दी। पीएम मोदी और नड्डा को यह फैसला मानना पड़ा। इससे साफ है कि भाजपा के भीतर सत्ता समीकरण बदल रहे हैं।

पीएम मोदी की कमजोर होती पकड़

प्रधानमंत्री मोदी की सबसे बड़ी राजनीतिक ताक़त यह रही कि वे फैसलों को एकतरफा करने में माहिर थे। लेकिन यह पहली बार है जब यह धारणा टूटी है। मोदी अब संघ की सहमति के बिना बड़े पदों पर नाम आगे नहीं बढ़ा सकते। भाजपा में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन की राजनीति मोदी की सर्वमान्य छवि से बड़ी हो गई है। वहीं भाजपा नेताओं में अब यह खुलकर कहा जाने लगा है कि पार्टी की कमान धीरे-धीरे फिर से संघ के पास लौट रही है। संघ के इस फैसले को केवल उपराष्ट्रपति पद तक सीमित नहीं देखा जा सकता। दरअस्ल इस इस फैसले को 2029 और उसके बाद के दौर की तैयारी की शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है। संघ यह नहीं चाहता कि मोदी के बाद भाजपा नेतृत्व विहीन हो जाए। इसलिए धीरे-धीरे संगठन की पकड़ मजबूत की जा रही है। सीपी राधाकृष्णन जैसे नाम यह संदेश देते हैं कि भाजपा केवल मोदी ब्रांड पर टिकी नहीं है बल्कि उसका असली आधार संघ ही है।

अखिलेश यादव ने पूछा- एक उपराष्ट्रपति थे वे कहां गए?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को बनाए जाने पर कहा, उपराष्ट्रपति पद खाली है तो बनना ही था। एक उपराष्ट्रति थे वे कहां हैं? नए बन जाएंगे अच्छी बात है। हम क्या फैसला लेंगे वह अलग बात है।

राहुल को देखने पेड़ों व बसों पर चढ़े लोग

वोटर अधिकार यात्रा में समर्थकों और पुलिस में हुई धक्का-मुक्की
औरंगाबाद में सूर्य मंदिर के दर्शन कर गयाजी पहुंचे नेता प्रतिपक्ष

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दूसरे दिन भी राहुल गांधी के साथ हजारों की भीड़ उमड़ी। लोगों में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस सांसद क ा इतना क्रेज देखने को मिला की लोगों ने पुलिस से धक्का-मुक्की तके की। लोगों का उतावलापन इतना बढ़ा हुआ था कि अपने नेता को एक झालक पाने को लोग पेड़ व बसों तक पर चढ़ गए।
नेता प्रतिपक्ष औरंगाबाद में सूर्य मंदिर के दर्शन कर गयाजी भी पहुंचे। वोटर लिस्ट रिवीजन के खिलाफ वोटर अधिकार यात्रा के दूसरे दिन राहुल गांधी का काफिला औरंगाबाद से गयाजी पहुंचा काफिला फिलहाल गयाजी के डबूर में रुका है। शाम साढ़े 6 बजे खलिश पार्क चौक में जनसभा होगी।

सरकारी स्कूलों की बदहाली का मामला सुप्रीम चौखट पर

राज्यसभा सांसद संजय सिंह पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों को बचाने की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच चुकी है और इस जंग के नायक बने हैं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह। संजय सिंह ने न केवल प्रदेश के बच्चों की आवाज उठाई, बल्कि हजारों स्कूलों को मर्ज किए जाने के खिलाफ खुद कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
उनका कहना है कि यूपी के मासूम बच्चों का भविष्य किसी राजनीतिक प्रयोग का हिस्सा नहीं बन सकता, और शिक्षा के अधिकार से समझौता कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मनीष की पीठ ने आप नेता को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की इजाजत दे दी।
आज 18 अगस्त को उनकी याचिका पर देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हो रही है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट की माननीय जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ के समक्ष रखा गया है। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अदालत में अभिभावकों और बच्चों की पीड़ा को रखेंगे। संजय सिंह का यह कदम उन लाखों परिवारों की उम्मीद बना है, जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और जिनका भविष्य सरकार के इस फैसले से प्रभावित हो सकता है।

लाखों परिवारों की आजीविका को करेगी प्रभावित

यूपी सरकार ने करीब 5,000 से अधिक स्कूलों को मर्जर के नाम पर बंद करने की प्रक्रिया शुरू की है। इससे 27,000 परिषदीय विद्यालय प्रभावित होंगे और 1,35,000 सहायक शिक्षक तथा 27,000 प्रधानाध्यापक के पद खत्म हो जाएंगे। शिक्षामित्रों और रसोइयों की सेवाएं भी खतरे में आ जाएंगी। यह स्थिति केवल शिक्षा तंत्र ही नहीं, बल्कि लाखों परिवारों की आजीविका को भी प्रभावित करेगी।

मुंबई में भारी बारिश से थमी रफ्तार, यूपी में बढ़ी उमस

पहाड़ों पर बादल फ टने की घटनाओं में कई की गई जान

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। इस समय उत्तर से लेकर पश्चिम तक बारिश को कहर जारी है। जहां पहाड़ों में बादल फटने की घटनाओं में सैकड़ों लोग जान गवां चुके हैं, वहीं महाराष्ट्र में मौसम ने हर तरफ तबाही मचा रखी है। शहरों से लेकर गांवों तक हालत खराब है। मुंबई में तो 72 घंटों से मूसलाधार बारिश हो रही है। सोमवार की भारी बारिश ने शहर की रफ्तार रोक दी।
उधर हालांकि यूपी में दो-तीन दिन बारिश के थमने की खबर है। पर इस बीच उमस बढ़ जाने लोग परेशान हो रहे हैं। आद्रता बढ़ जाने से लोगों गर्मी ने बीमार करना शुरू कर दी। वहंी मुंबई शहर के विले पार्ले के पास वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर ट्रैफिक रेंगता नजर आया। सायन के गांधी मार्केट इलाके में कई फीट पानी भर गया और गाडिय़ां जाम में फंसी हुई। अंधेरी-बोरिवली से लेकर दादर-चर्चगेट तक यही आलम रहा। हालात देखते हुए बीएमसी ने स्कूल-कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है। उसने 1916 हेल्पलाइन नागरिकों के लिए जारी की है। बीएमसी को हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है। आईएमडी ने अगले दो दिनों के लिए मुंबई, ठाणे सहित कोंकण और महाराष्ट्र के घाट इलाकों में भारी से लेकर कुछ जगहों पर बेहद भारी बारिश की संभावना के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। मराठवाड़ा और विदर्भ के कुछ हिस्सों के लिए भी ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।

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