नेपाल को लेकर बोले चीफ जस्टिस गवई, कहा- हमें अपने संविधान पर गर्व है
सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है, देखिए हमारे पड़ोसी देशों में क्या हाल है, नेपाल में भी हमने देखा. वहीं कोर्ट में आज गैर बीजेपी शासित राज्यों ने बहस की पूरी.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई के दौरान नेपाल और बांग्लादेश में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों का जिक्र हुआ. सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है, देखिए हमारे पड़ोसी देशों में क्या हाल है, नेपाल में भी हमने देखा. वहीं कोर्ट में आज गैर बीजेपी शासित राज्यों ने बहस की पूरी.
प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर आज यानी बुधवार (10 सितंबर) क 9वें दिन भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. आज रेफरेंस के विरोध में गैर बीजेपी शासित राज्यों ने बहस की पूरी. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए समय-सीमा निर्धारित कर दी थी, जिसके बाद राष्ट्रपति ने प्रेसिडेंशियल रेफरेन्स भेजकर इस मामले से जुड़े 14 संवैधानिक सवालों पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी थी.
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने राष्ट्रपति के संदर्भ में सुनवाई के दौरान नेपाल संकट का ज़क्र किया. सीजेआई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है, देखिए हमारे पड़ोसी राज्यों में क्या हो रहा है? हमने नेपाल देखा. चीफ जस्टिस की इस टिप्पणी पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा-हां, बांग्लादेश में भी.
प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि राज्यपाल की सहमति महत्वपूर्ण है, महज औपचारिकता नहीं. सॉलिसिटर जनरल ने राज्य के इस तर्क का विरोध किया कि राज्यपाल के निर्णय की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है. केंद्र ने कहा कि राज्यपाल को सदन में मतदान का अधिकार भले ही न हो, लेकिन वह विधायिका का एक अनिवार्य घटक है. विधेयक के कानून बनने से पहले की यात्रा अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की स्वीकृति के साथ पूरी होती है. सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि राज्यपाल ने विवेकाधिकार का प्रयोग किया है और यह संविधान की रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा के उनके कर्तव्य से प्रेरित है.
गैर बीजेपी शासित राज्यों ने दलीलें पूरी की
प्रेसिडेंशियल रेफरेंस के विरोध में गैर बीजेपी शासित राज्यों ने अपनी दलीलें पूरी की. केंद्र की ओर SG तुषार मेहता ने अपना जवाब (रीज्वाइंडर) दिया. उन्होंने कहा कि मेरा तर्क यह नहीं है कि राज्यपाल को किसी विधेयक पर अंतहीन रूप से बैठने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास ‘चार’ विकल्प हैं. इस पर CJI ने गोपाल शंकरनारायणन की दलील का जिक्र करते हुए कहा चूंकि यह मामला एक प्रेसिडेंशियल रेफरेंस है इसलिए प्रत्युत्तर देने का कोई सवाल ही नहीं उठता.
इस बात को स्वीकार करते हुए सिब्बल ने तर्क दिया कि तकनीकी रूप से सही होते हुए भी यह मुद्दा जटिल है. जस्टिस विक्रम नाथ ने मामले की विशाल प्रकृति पर गौर करते हुए कहा कि इसमें 25 हजार पन्नों में लिखित दलीलें हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि प्रेसिडेंशियल रेफरेंस महज एक राय नहीं है, यह कानून की घोषणा है. उन्होंने कहा कि आप राय देते समय संविधान की व्याख्या कर रहे हैं.
वहीं प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर आंध्र प्रदेश सरकार ने एक मुद्दे को छोड़कर बाकी सभी मुद्दों पर केंद्र सरकार का समर्थन किया आंध्र प्रदेश सरकार के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि वे सभी मुद्दों पर केंद्र सरकार का समर्थन करते हैं, सिवाय इस दलील के कि राज्य सरकार किसी भी मुद्दे पर अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर नहीं कर सकती.
प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर कल यानी गुरुवार (10 सितंबर) भी सुनवाई जारी रहेगी. CJI ने कल दोपहर 1 बजे तक सुनवाई पूरी करने की बात कही. पर प्रेसिडेंशियल रेफरेंस प सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस गवई के अलावा जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर शामिल हैं.



